Shaheed Diwas: फांसी से पहले भगत सिंह का खत... जानिए देश के नाम क्या था उनका आखिरी पैगाम

punjabkesari.in Wednesday, Mar 23, 2022 - 09:33 AM (IST)

नेशनल डेस्क: 23 मार्च 1931 में भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर ने देश की आज़ादी का सपना दिल में बसाकर मुस्‍कुराते हुए फांसी के फंदे को चूम लिया था। भारत के इतिहास में 23 मार्च का दिन हमेशा अमर रहेगा। भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव ने अपनी जिंदगी देश के नाम लिख दी थी, आखिरी समय तक उनके देशभक्ति कम नहीं हुई। फांसी से कुछ घंटे पहले भगत सिंह ने अपने साथियों को अपना आखिरी खत लिखा था। भगत सिंह के मन में फांसी का तनिक मात्र भी डर या खौफ नहीं था। देश से बढ़कर उनके लिए उनकी जिंदगी नहीं थी। भगत सिंह का लिखा वो आखिरी खत देशवासियों के लिए इंकलाब की आवाज़ बन गया।

 

भगत सिंह का आखिरी खत
जीने का दिल हर किसी का होता है। मेरा भी दिल था कि मैं अपनी मां का हर सपना पूरा करूं, मगर इस घुटन और गुलामी भरे माहौल में मैं नहीं जी सकता। मैं दुनिया में अपना नाम रौशन करने के लिए नहीं बल्कि नौजवानों में देश के प्रति सच्ची भावना और गुलामों वाली जिंदगी न जीने की सीख दिए जा रहा हूं। मैं आशा करता हूं मेरी कुर्बानी व्यर्थ नहीं जाएगी। एक विचार आज भी मेरे मन में आता है कि देश और मानवता के लिए जो कुछ करने की हसरतें मेरे दिल में थीं, उनका 1000वां भाग भी पूरा नहीं कर सका अगर स्वतंत्र, जिंदा रहता तब शायद उन्हें पूरा करने का अवसर मिलता। इसके अलावा मेरे मन में कभी कोई लालच फांसी से बचे रहने का नहीं आया, मुझसे अधिक भाग्यशाली भला कौन होगा। आजकल मुझे स्वयं पर बहुत गर्व है, मुझे अब पूरी बेताबी से अंतिम परीक्षा का इंतजार है, कामना है कि यह और जल्दी आ जाए, तुम्हारा कॉमरेड।
भगत सिंह

 

भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को जिस दिन फांसी दी गई, उनके चेहरे पर मुस्कान थी। तीनों ने आपस में एक-दूसरे को गले लगयाा। जेल में बंद हर कैदी की आंखें उस दिन नम थीं लेकिन तीनों हंसते-हंसते फांसी पर झूल गए।


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Content Writer

Seema Sharma

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