IPL में 8.3 लाख करोड़ की सट्टेबाजी! बड़े लेवल पर पैसा हो रहा था इधर से उधर, UPI भी हो गया परेशान
punjabkesari.in Tuesday, Apr 15, 2025 - 11:59 AM (IST)

नेशनल डेस्क: इंडियन प्रीमियर लीग यानी IPL सिर्फ क्रिकेट का त्यौहार नहीं रहा बल्कि यह अब तकनीकी चुनौतियों और वित्तीय निगरानी के लिए एक गंभीर कारण बन चुका है। भारत में हर साल IPL के दौरान करीब 8.3 लाख करोड़ रुपये की अवैध सट्टेबाज़ी होती है। यह आंकड़ा सिर्फ एक खेल टूर्नामेंट से जुड़ा हुआ है, जिससे समझा जा सकता है कि ये खेल अब सिर्फ मैदान तक सीमित नहीं रह गया। यह सट्टा कारोबार ज्यादातर विदेशी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से संचालित होता है। इन प्लेटफॉर्म्स पर भारतीय नागरिक क्रिप्टोकरेंसी और म्यूल अकाउंट्स (ऐसे बैंक अकाउंट जो दूसरों के नाम पर खोलकर फर्जी लेन-देन किए जाते हैं) की मदद से सट्टेबाज़ी करते हैं। चूंकि ये ट्रांजैक्शन बैंकों की नज़र से बच निकलते हैं इसलिए इनकी निगरानी करना काफी मुश्किल हो जाता है।
फैंटेसी गेम्स की आड़ में भी सट्टा
Dream11 और Probo जैसे फैंटेसी स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म भी इस दौर में बेहद लोकप्रिय हो गए हैं। यहां लोग अपनी जानकारी और अनुमान के आधार पर असली पैसों से दांव लगाते हैं। ये कानूनी दायरे में आते हैं लेकिन इनके ज़रिए भी भारी मात्रा में पैसे का लेन-देन होता है, जिससे बैंकिंग सिस्टम पर भारी दबाव पड़ता है।
UPI पर भारी ट्रैफिक का बोझ
भारत का UPI (Unified Payments Interface) सिस्टम अब दुनिया का सबसे बड़ा रियल टाइम डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म बन चुका है। हर महीने UPI पर करीब 3 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा का लेन-देन होता है। लेकिन IPL सीजन में यह आंकड़ा कई गुना बढ़ जाता है। इससे सर्वर पर दबाव बढ़ जाता है और ट्रांजैक्शन फेल होने की दर भी तेजी से ऊपर जाती है।
बैंकों के फेल्योर रेट पर नजर
हर महीने NPCI (नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया) द्वारा बैंकों का ‘फेल्योर रेट’ जारी किया जाता है जिससे यह पता चलता है कि किस बैंक का सर्वर ज्यादा ट्रैफिक नहीं झेल पाया। IPL सीजन में ये आंकड़े और महत्वपूर्ण हो जाते हैं क्योंकि हर दूसरा यूज़र किसी न किसी फैंटेसी गेम या सट्टे से जुड़ा होता है।
RBI की सख्ती और साइबर निगरानी
RBI अब बैंकों की डिजिटल परफॉर्मेंस और साइबर सुरक्षा को लेकर सख्त हो गया है। बैंकों को निर्देश दिया गया है कि वे बिग डेटा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद लें ताकि संदिग्ध गतिविधियों की पहचान की जा सके। कई बैंक अब ऐसे स्टार्टअप्स की मदद ले रहे हैं जो रीयल टाइम ट्रांजैक्शन डेटा को मॉनिटर करते हैं।
VuNet Systems कर रहा है निगरानी का काम
बेंगलुरु की VuNet Systems नाम की कंपनी हर दिन करीब 1 अरब ट्रांजैक्शन पर नजर रखती है और हर दिन लगभग 50 टेराबाइट डेटा को प्रोसेस करती है। इसका मकसद यह है कि किस समय, किस क्षेत्र में, किस प्लेटफॉर्म के ज़रिए किस प्रकार की गतिविधि हो रही है इसकी पूरी जानकारी समय रहते मिल सके।