अब यहां नहीं कर सकेंगे ऑनलाइन पेमेंट! सिर्फ कैश ही चलेगा, जानें वजह
punjabkesari.in Monday, Jul 14, 2025 - 11:04 PM (IST)

नेशनल डेस्क: डिजिटल पेमेंट का गढ़ माने जाने वाला बेंगलुरु अब धीरे-धीरे एक बार फिर कैश आधारित लेन-देन की ओर लौटता नजर आ रहा है। शहर की गलियों में जहां पहले हर दुकान पर UPI स्कैनर और QR कोड वाले स्टिकर दिखाई देते थे, अब वहां हाथ से लिखे पोस्टर टंगे हैं- “UPI नहीं, सिर्फ कैश!”
दुकानदार क्यों छोड़ रहे UPI?
छोटे दुकानदारों का कहना है कि अब UPI से पेमेंट लेना उनके लिए घाटे का सौदा बनता जा रहा है। होरमावु इलाके के एक दुकानदार शंकर (परिवर्तित नाम) बताते हैं, “मैं रोज़ाना करीब 3,000 रुपये का कारोबार करता हूं, जिसमें मुनाफा बहुत ही कम होता है। ऊपर से अगर GST का नोटिस आ जाए तो कैसे संभालेंगे?”
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बेंगलुरु के हजारों छोटे व्यापारियों को जीएसटी विभाग की ओर से नोटिस मिले हैं। इनमें सड़क किनारे चाय, नाश्ता, फल-सब्जी बेचने वाले लोग भी शामिल हैं। इस कारण दुकानदारों में डिजिटल पेमेंट को लेकर डर बढ़ गया है।
GST नोटिस का डर बना वजह
बेंगलुरु स्ट्रीट वेंडर्स एसोसिएशन के संयुक्त सचिव और वकील विनय के. श्रीनिवास के अनुसार, “GST विभाग ने 2021-22 से अब तक के UPI ट्रांजेक्शन डेटा के आधार पर नोटिस भेजे हैं। कई दुकानदारों को लाखों रुपये टैक्स जमा करने को कहा गया है।" इन व्यापारियों का कहना है कि डिजिटल पेमेंट से उनकी आय का ट्रैक आसानी से सरकार के पास पहुंच रहा है, जिससे उन्हें बिना GST रजिस्ट्रेशन के कारोबार करने पर नोटिस मिल रहे हैं।
क्या कहता है कानून?
- अगर कोई व्यापारी साल में 40 लाख रुपये से ज्यादा का सामान बेचता है, तो उसे GST रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है।
- सेवा देने वाले व्यवसायों के लिए ये सीमा 20 लाख रुपये है।
- कर विभाग का कहना है कि UPI लेन-देन से कई व्यापारियों की कमाई इस सीमा से ऊपर पाई गई, लेकिन उन्होंने GST रजिस्ट्रेशन नहीं कराया, इसलिए कार्रवाई की जा रही है।
अब दुकानदारों की राह मुश्किल
GST नोटिस मिलने के बाद से छोटे दुकानदारों में डर है कि-
- कहीं दुकान न छिन जाए
- कहीं भारी जुर्माना न लग जाए
- या कानूनी कार्रवाई न झेलनी पड़े
- इसलिए उन्होंने UPI को पूरी तरह बंद कर कैश लेने का विकल्प अपनाया है।
नतीजा: डिजिटल इंडिया की रफ्तार को झटका
बेंगलुरु, जो एक समय डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने में सबसे आगे था, अब अपने ही मॉडल से परेशान नजर आ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को छोटे व्यापारियों के लिए UPI और टैक्स के नियमों को सरल बनाना चाहिए, ताकि डिजिटल लेन-देन फिर से भरोसेमंद और सुविधाजनक बन सके।