इस शहर में कुत्ता रखने का भी देना होगा किराया, किराएदारों की बढ़ी मुश्किलें

punjabkesari.in Tuesday, Nov 25, 2025 - 04:04 PM (IST)

नेशनल डेस्क : भारत के सिलिकॉन वैली बेंगलुरु शहर में पालतू जानवरों के प्रति प्यार अब किराये पर मकान लेने वालों के लिए एक नई चिंता का कारण बन गया है। यहां के कुछ पॉश इलाकों में मकान मालिक अब किरायेदारों से 'पेट्स रेंट' के नाम पर हर महीने ₹1000 से ₹2000 तक अतिरिक्त शुल्क वसूल रहे हैं। यह नया नियम पालतू जानवर रखने को लेकर अतिरिक्त खर्चों के कारण लागू किया गया है।

क्यों लिया जा रहा है अतिरिक्त किराया?
यह अतिरिक्त किराया पहले बेंगलुरु के कोरमंगला और एचएसआर लेआउट जैसे इलाकों में शुरू हुआ, जहां मकान मालिकों ने यह तर्क दिया कि पालतू जानवरों की वजह से घर को ज्यादा नुकसान होता है जैसे फर्श पर दाग, दीवारों या दरवाजों पर खरोंच, और गंध की वजह से डीप क्लीनिंग का खर्च। इसके बाद यह ट्रेंड इंडिरानगर, बेलंदूर, और व्हाइटफील्ड तक फैल गया।

अब, ब्रोकर भी इस बात को छिपाए बिना किराये की बातचीत में यह शर्त रखते हैं कि पालतू जानवरों के कारण सफाई के खर्च के तौर पर ₹1500 या ₹2000 अतिरिक्त लगेंगे। किरायेदारों का कहना है कि यह नियम सभी पर लागू किया जाता है, जबकि हर पालतू जानवर घर को नुकसान नहीं पहुंचाता। लेकिन मकान मालिक इस पर कोई समझौता करने को तैयार नहीं हैं।

बेंगलुरु में पेट्स पेरेंट्स को झेलनी पड़ रही हैं ये शर्तें

पेट्स रेंट के अलावा, बेंगलुरु में पालतू जानवरों के मालिकों को कई और अजीब शर्तों का सामना करना पड़ रहा है:

नॉन-रिफंडेबल पेट्स डिपॉजिट: अब सिक्योरिटी डिपॉजिट के अलावा, एक 'पेट्स डिपॉजिट' भी देना पड़ता है, जो वापस नहीं किया जाता।

पेंटिंग का एडवांस खर्च: कई मकान मालिक किरायेदारों से घर की पेंटिंग का खर्च भी पहले से वसूलते हैं।

लिफ्ट में गोद में लेकर चलना: पेट्स को कॉमन एरिया या लिफ्ट में ले जाने के लिए उन्हें गोद में उठाने या खास पाबंदी में रखने की शर्त।

कुछ ब्रीड्स पर रोक: कुछ खास नस्लों के कुत्तों को घर में रखने की मनाही।

कॉमन एरिया में ले जाने पर पाबंदी: बिल्डिंग के साझा हिस्सों में पेट्स को ले जाने पर सख्त पाबंदी।

शोर होने पर जुर्माना: अगर पालतू जानवर शोर मचाते हैं और पड़ोसी शिकायत करते हैं, तो जुर्माना भरने का नियम।

कानून क्या कहता है?
अब सवाल यह है कि इस मामले में कानून क्या कहता है? कानूनी तौर पर, देश में कहीं भी पालतू जानवर रखने पर कोई सीधा बैन नहीं लगाया जा सकता। हाउसिंग सोसाइटी भी पालतू जानवरों को नस्ल या आकार के आधार पर रखने से रोक नहीं सकती। लेकिन, यहां एक कानूनी खाली जगह है—प्राइवेट मकान मालिक। निजी मकान मालिक अपने रेंटल एग्रीमेंट में कोई भी शर्त जोड़ सकते हैं। और एक बार जब किरायेदार उस एग्रीमेंट पर दस्तखत कर देता है, तो उसे उन शर्तों का पालन करना पड़ता है। यही कारण है कि 'पेट्स रेंट', 'पेट्स डिपॉजिट' और अन्य अतिरिक्त शुल्कों का यह खेल शुरू हुआ है।


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Content Editor

Shubham Anand

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