बागेश्वर बाबा ने मांगी माफी, बोला- बयान को तोड़कर पेश किया गया
punjabkesari.in Wednesday, Feb 05, 2025 - 05:16 PM (IST)
नेशनल डेस्क: हाल ही में बागेश्वर धाम के प्रमुख पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, जिन्हें बाबा बागेश्वर के नाम से जाना जाता है, के एक बयान पर विवाद खड़ा हो गया। उन्होंने प्रयागराज महाकुंभ के दौरान हुए एक हादसे में मारे गए लोगों को मोक्ष मिलने की बात कही थी। उनके इस बयान ने समाज में काफी हलचल मचाई, और आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। अब बाबा बागेश्वर ने अपने बयान पर सफाई दी है और दावा किया है कि उनका बयान तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। उन्होंने कहा कि पूरा वीडियो देखे बिना ही उन पर आरोप लगाए गए हैं।
बागेश्वर बाबा का बयान, क्या कहा था उन्होंने?
बागेश्वर बाबा ने महाकुंभ के दौरान भगदड़ में मारे गए लोगों के बारे में कहा था, “यह महाप्रयाग है, जहां मृत्यु तो सबकी एक दिन आनी ही है। जो गंगा के किनारे मरे हैं, उन्हें मोक्ष प्राप्त हुआ है।” उन्होंने आगे कहा, “जो असमय चले गए, उनके लिए दुख तो है, लेकिन जाने वाले को जाना ही है।” उनका यह भी कहना था कि जो लोग भगदड़ में मरे हैं, उन्हें मोक्ष मिल चुका है क्योंकि वो गंगा के किनारे मरे हैं, जो एक पुण्य स्थान है।
बाबा ने दी सफाई: "बयान को तोड़कर पेश किया गया"
बाबा बागेश्वर ने अपने बयान की सफाई देते हुए कहा कि उनके शब्दों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया। उन्होंने दावा किया कि वीडियो में जो कुछ भी कहा गया, वह सिर्फ एक छोटे हिस्से को काटकर वायरल किया गया है। उनका कहना था कि उनके बयान को पूरी तरह से नहीं सुना गया। बागेश्वर बाबा ने कहा, “अगर पूरी बात सुनी जाती तो कोई विवाद नहीं होता। मैंने यह कहा था कि हृदय में बहुत दुख है, लेकिन फिर भी मृत्यु सबकी आनी है, और जो गंगा के किनारे मरे हैं, उन्हें मोक्ष मिला है।”
संत समाज की आलोचना
बागेश्वर बाबा के बयान के बाद, संत समाज के कुछ बड़े हस्तियों ने उनकी आलोचना की। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा, "अगर बाबा शास्त्री मोक्ष का दावा करते हैं, तो उन्हें भी मोक्ष मिलना चाहिए। हम तैयार हैं, अगर वह चाहें तो हम भी उन्हें मोक्ष दिलाने को तैयार हैं।" यह बयान काफी तीखा था और बाबा बागेश्वर की टिप्पणी पर सवाल उठाता है।
क्यों मचा विवाद?
कई लोग इस बयान को गैर-जिम्मेदाराना और संवेदनहीन मानते हैं, क्योंकि यह बयान महाकुंभ में मारे गए लोगों के दुखद निधन के साथ जुड़ा था। ऐसे में यह टिप्पणी दुख की घड़ी में लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचा सकती थी। इसके बावजूद बाबा का कहना था कि उनका उद्देश्य किसी को आहत करना नहीं था, बल्कि वे सिर्फ यह बता रहे थे कि मृत्यु एक अनिवार्य सत्य है और जो गंगा के किनारे मरे, उन्हें मोक्ष मिला है।