बाबा वेंगा की भविष्यवाणी ने मचाई खलबली, इस देश की धड़ाधड़ कैंसल हो रही टिकट बुकिंग

punjabkesari.in Thursday, Jun 19, 2025 - 05:16 PM (IST)

नई दिल्ली: जापान की मशहूर मंगा कलाकार  जिन्हें अक्सर "जापान की बाबा वेंगा" कहा जाता है, की हालिया भविष्यवाणी ने एशियाई ट्रैवल और एविएशन सेक्टर में हलचल मचा दी है। उन्होंने अपनी पुस्तक The Future I Saw में यह दावा किया है कि 5 जुलाई 2025 को जापान समेत आस-पास के समुद्री क्षेत्रों में  बेहद शक्तिशाली सुनामी आ सकती है जिसके चलते लोग इतने घबराए हुए है कि उन्होंने अपना जापान की बुकिंग तक कैंसिल कर दी है।

 

 तत्सुकी ने बताया कि समुद्र के तल में अचानक बड़े-बड़े बुलबुले उभर सकते हैं और पानी “बॉयलिंग” जैसा प्रतीत हो सकता है—जैसे कि कोई समुद्रियन ज्वालामुखीय विस्फोट हो रहा हो। उनके अनुसार, अगर ऐसी घटना होती है, तो इसकी लहरें 2011 की तोहोकू सुनामी से तीन गुणा भी अधिक शक्ति की हो सकती हैं। इसके प्रभाव में केवल जापान नहीं आएगा, बल्कि फिलीपींस, ताइवान और इंडोनेशिया जैसे अन्य एशियाई देश भी आ सकते हैं।

इस भविष्यवाणी की खबर फैलते ही जापान जाने वालों में डर ने दस्तक दी है। खासकर हांगकांग एयरलाइंस ने कागोशिमा और कूमामोटो की यात्राएं जुलाई–अगस्त तक रद्द कर दी हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, हांगकांग, ताइवान और दक्षिण कोरिया से जापान जाने वाली फ्लाइट बुकिंग्स में 50–83 फीसदी तक गिरावट आ गई है। क्षेत्रीय एयरलाइंस जैसे ग्रेटर बे एयरलाइंस की यात्राएं तो आधे सफर पर खाली ही रह रहीं।

हालांकि, कई वैज्ञानिक और मौसम विभाग इस भविष्यवाणी को अवैज्ञानिक और अतिशयोक्ति मान रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा है कि इस तरह की किसी घटना के लिए वैज्ञानिक आधार या तथ्यात्मक पुष्टि पहले जरूरी है। फिर भी जापान और उसके आस-पास की समुद्री भू-भाग स्थितीय रूप से “रिंग ऑफ फायर” पर आते हैं, जहां Nankai Trough जैसी प्लेट-फॉल्ट जगह है, इसलिए यहां सुनामी आने की संभावना हमेशा बनी रहती है।

इस बीच, दूरदर्शी विकल्पों की बात हो रही है। ट्रैवल इंडस्ट्री भले ही डर की दहलीज पर खड़ी हो, लेकिन राजस्व और बुकिंग्स अभी बंद नहीं हुई हैं। दूसरी ओर, सरकार और आपदा प्रबंधन एजेंसियां पूर्व-सतर्कता और वास्तविक समय निगरानी की ओर बढ़ने की गुंजाइश तलाश रही हैं।

यह घटना हमें दो बातें याद दिलाती है: एक ओर, जब भविष्यवाणा सुनसान होते हैं तो तुरंत उनकी सफलता या सच्चाई साबित या नकारा नहीं जा सकता; दूसरी ओर, वैज्ञानिक तथ्यों और तकनीकी तैयारियों पर भरोसा बनाए रखना अत्यंत जरूरी है। ऐसे समय में, यथार्थ और अंधविश्वास के बीच संतुलन बनाए रखना ही सही रास्ता है।

 


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Content Writer

Anu Malhotra

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