KCR ने राजनीति की तेज लहरों पर बड़े सधे अंदाज में पार की अपनी नैया

punjabkesari.in Wednesday, Dec 12, 2018 - 02:27 PM (IST)

नई दिल्ली: कांग्रेस के साधारण कार्यकर्ता के रूप में लगभग गुमनामी में सियासी सफर की शुरूआत से तेलंगाना गौरव का चेहरा बनने तक के. चंद्रशेखर राव ने राजनीति की तेज लहरों पर बड़े सधे अंदाज में अपनी चुनावी नैया पार की है। उन्होंने कांग्रेस को झुकने पर मजबूर करके अलग तेलंगाना राज्य के गठन में सफलता भी हासिल की। अलग तेलंगाना राज्य के दशकों पुराने एकमात्र स्वप्न को साकार करने के लिए बनी तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) की मंगलवार को घोषित परिणामों में जबरदस्त जीत के बाद केसीआर के नाम से लोकप्रिय के. चंद्रशेखर राव (64) ने देश के सबसे नये राज्य का सबसे ऊंचे कद वाला नेता होने का अपना दावा बरकरार रखा है। 

के. चंद्रशेखर राव की बेटी है लोकसभा सदस्य
जून 2014 में तेलंगाना के गठन के बाद से हुए पहले विधानसभा चुनाव में मिली यह सफलता उनके लिए राष्ट्रीय राजनीति में बड़ी भूमिका निभाने की उनकी आकांक्षा को मूर्त रूप देने में अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। उन पर अकसर परिवार का शासन चलाने और भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे हैं। कार्यवाहक मुख्यमंत्री राव के बेटे के टी रामाराव उनकी सरकार में मंत्री रहे। वहीं बेटी के. कविता निजामाबाद से लोकसभा सदस्य हैं। राव के भतीजे हरीश राव भी राज्य की कार्यवाहक सरकार में मंत्री हैं। गैर-भाजपा और गैर-कांग्रेस मोर्चे के हिमायती रहे केसीआर की यह सफलता क्षेत्रीय क्षत्रप के रूप में उनकी ताकत को और मजबूती प्रदान करेगी। तेलंगाना विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने से करीब सात महीने पहले ही सितंबर में विधानसभा भंग करने के राव के फैसले को मास्टरस्ट्रोक के रूप में देखा जा रहा है। उन्हें लगता था कि लोकसभा चुनावों के साथ राज्य विधानसभा चुनाव होने पर राष्ट्रीय मुद्दे राज्य के मुद्दों पर हावी हो सकते हैं।

उन्होंने विधानसभा भंग करने की सिफारिश करने के कुछ ही घंटे के भीतर 119 सदस्यीय विधानसभा के लिए 105 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया था। तभी से टीआरएस के उम्मीदवार मैदान में उतर गए और उनकी मेहनत रंग लाई। टीआरएस अध्यक्ष ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू पर लगातार निशाना साध कर ‘तेलंगाना गौरव’ के मुद्दे को जीवंत रखा। उन्होंने नायडू पर तेलंगाना का विकास बाधित करने का आरोप लगाते हुए उन्हें बाहरी नेता की संज्ञा भी दी। खुद को मेडक जिले के ङ्क्षचतामडाका गांव का किसान बताने वाले राव की संपत्ति पिछले करीब चार साल में 41 प्रतिशत बढ़कर 22.6 करोड़ रुपये पहुंच गई है। 

 

  • युवा कांग्रेस के साधारण कार्यकर्ता के रूप में राजनीतिक करियर की शुरूआत। 
  • राव ने 1983 में तेलुगू देशम पार्टी का दामन थामा। 
  • पहले ही चुनाव में सिद्दीपेट सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार से हार गए। केसीआर 1985 में इस सीट पर चुनाव जीते। 
  • एनटी रामाराव सरकार में मंत्री भी रहे। 
  • आंध्र प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी भी निभा चुके हैं। 
  • अलग तेलंगाना राज्य का सपना उन्होंने कभी नहीं छोड़ा। 
  • 2001 में उन्होंने तेदेपा छोड़ दी और टीआरएस का गठन किया। 
  • कांग्रेस के साथ हाथ मिलाया और 2004 के लोकसभा चुनाव उसके साथ गठबंधन में लड़े। कांग्रेस ने तेलंगाना को राज्य बनवाने का वादा किया था। बाद में कांग्रेस पर इस मुद्दे पर गंभीर नहीं होने का आरोप लगाते हुए उन्होंने गठबंधन छोड़ दिया। राव 2009 के लोकसभा चुनाव तेदेपा के साथ मिलकर लड़े।
  • राव ने अलग तेलंगाना के लिए आमरण अनशन किया। तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने 9 दिसंबर, 2009 को घोषणा की कि तेलंगाना के गठन के लिए कदम उठाये जाएंगे। इसके बाद राव ने 11 दिन बाद अनशन को समाप्त कर दिया।
  • लंबे संघर्ष के बाद आखिरकार वह अलग तेलंगाना राज्य बनवाने में सफल रहे और राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने।

    ओवैसी बोले- गैर भाजपा, गैर कांग्रेस सरकार बनाने के लिए साथ 
     मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के सहयोगी के तौर पर नजर आ रहे आल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लमीन के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि 2019 में देश को केसीआर जैसे नेता की जरूरत है। ओवैसी ने यह भी कहा है कि केसीआर 2019 में गैर-बीजेपी और गैर-कांग्रेसी सरकार बनाने के लिए कुशल नेतृत्व बन सकते हैं। अच्छा है अगर देश को कोई बेहतर नेतृत्व मिले तो, अब तक तो सारे के सारे फेल ही नजर आते हैं। ओवैसी ने कहा, मैं पूरे भरोसे के साथ कह रहा हूं कि के चंद्रशेखर राव में पूरी क्षमता है कि अगले लोकसभा चुनाव में वह केंद्र में गैर बीजेपी और गैर कांग्रेसी सरकार बनाने के लिए कुशल नेतृत्व कर सकते हैं। ओवैसी ने आगे कहा कि केसीआर को नजदीक से समझने के बाद मुझे लगता है कि देश को उनके जैसे नेता की जरूरत है। मुझे उम्मीद है कि वह आगे जो भी कदम उठाएंगे, उसमें सफल होंगे। 2019 में गैर-बीजेपी, गैर-कांग्रेसी सरकार बनाने के लिए उनके साथ कंधे से कंधे मिलाकर खड़ा रहूंगा। 

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Anil dev

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