देश के इस राज्य को मिला अरबों का खजाना, बदल सकती है पूरे भारत की किस्मत!
punjabkesari.in Thursday, Jul 17, 2025 - 04:12 PM (IST)

नेशनल डेस्क: देश के ऊर्जा संसाधनों की दौड़ में अब असम ने एक बड़ा कदम आगे बढ़ाया है। डिब्रूगढ़ जिले के नामरूप क्षेत्र में स्थित बोरहाट-1 नामक कुएं से बड़ी मात्रा में हाइड्रोकार्बन की खोज हुई है। इस अहम खोज की जानकारी खुद असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सार्वजनिक की है और इसे राज्य के लिए ऐतिहासिक मोड़ बताया है।
क्यों है यह खोज इतनी अहम?
नामरूप बोरहाट-1 कुएं में मिली यह हाइड्रोकार्बन की परतें असम को न सिर्फ एक तेल उत्पादक राज्य के रूप में नई पहचान दिला सकती हैं, बल्कि यह भारत के ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ठोस कदम भी है। इस खोज में असम सरकार की साझेदारी सीधे तौर पर है, और इसी कारण राज्य अब तेल उत्पादन में प्रत्यक्ष भागीदारी करने वाला देश का पहला राज्य बनने की राह पर है।
मुख्यमंत्री का बड़ा बयान
सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' (पूर्व में ट्विटर) पर इस उपलब्धि की घोषणा करते हुए लिखा कि ऑयल इंडिया लिमिटेड द्वारा बोरहाट-1 कुएं में की गई यह खोज असम की ऊर्जा क्षमता को वैश्विक मानचित्र पर उभार सकती है। उन्होंने इसे राज्य की आर्थिक मजबूती और देश की ऊर्जा सुरक्षा के लिए एक निर्णायक क्षण बताया।
असम की तेल कहानी: ऐतिहासिक और शक्तिशाली
असम का तेल से जुड़ाव कोई नया नहीं है। देश का पहला तेल कुआं डिगबोई में खोदा गया था, और तब से यह राज्य तेल और गैस के क्षेत्र में अहम भूमिका निभाता आ रहा है। वर्ष 2023-24 के दौरान असम ने 4,361 हज़ार मीट्रिक टन कच्चे तेल का उत्पादन किया, जो राजस्थान और गुजरात के बाद भारत में तीसरे स्थान पर रहा।
आंकड़ों में देखें असम की ताकत
2021-22 से लेकर 2023-24 तक के दो वर्षों में भारत का कुल कच्चा तेल उत्पादन 88,223 TMT रहा। इसमें अकेले असम का योगदान 12,518 TMT रहा, जो यह दर्शाता है कि यह राज्य ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में एक मज़बूत स्तंभ बन चुका है। राजस्थान और गुजरात के बाद यह भारत का तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक राज्य है।
क्या बदलेगी भारत की तकदीर?
इस खोज से न सिर्फ असम की किस्मत बदलने वाली है, बल्कि इससे देश को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने में भी मदद मिलेगी। वैश्विक बाजारों में तेल की कीमतों के उतार-चढ़ाव के बीच, घरेलू स्तर पर उत्पादन बढ़ाना भारत के लिए रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।