चीन या भारत: एशिया का कंडोम किंग कौन? मार्केट में आएगा जबरदस्त उछाल, UAE ने भी तोड़ा रिकार्ड
punjabkesari.in Saturday, Sep 20, 2025 - 05:42 PM (IST)

International Desk: एशिया का कंडोम मार्केट आने वाले दशक में जबरदस्त उछाल लेने वाला है। अभी तक लोगों के बीच यह प्रोडक्ट संकोच और झिझक का विषय रहा है, लेकिन नई रिपोर्ट बताती है कि आने वाले सालों में यह अरबों डॉलर का कारोबार बनेगा। इंडेक्स बॉक्स (IndexBox) की ताज़ा स्टडी के मुताबिक, 2035 तक एशियाई कंडोम मार्केट 19 अरब यूनिट्स और 405 मिलियन डॉलर तक पहुँच जाएगा।
कंडोम का सफर: झिझक से ज़रूरत तक
5000 साल पहले यहूदी पौराणिक कथाओं में राजा मिनोस द्वारा बकरी के मूत्राशय का इस्तेमाल सुरक्षा साधन के रूप में किया गया। प्राचीन मिस्र और रोम में लोग बकरियों और भेड़ों की आंतों से बने प्रोटेक्शन का उपयोग करते थे। 1920 की क्रांति दौरान लेटेक्स की खोज ने कंडोम को सुरक्षित, टिकाऊ और बड़े पैमाने पर सुलभ बना दिया। आज यह सिर्फ गर्भनिरोधक नहीं, बल्कि यौन संचारित रोगों से बचाव और यौन स्वतंत्रता का बड़ा साधन है।
एशिया का कंडोम मार्केट: ताज़ा हालात
2022 : उत्पादन 32 अरब यूनिट्स।
2024 : उत्पादन घटकर 26 अरब यूनिट्स, मार्केट वैल्यू 292 मिलियन डॉलर तक गिर गई।
कारण : महामारी के बाद आर्थिक सुस्ती और लोगों की खपत में अस्थायी कमी। लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि यह गिरावट अस्थायी है और अगले दशक में बाजार फिर से तेज़ी पकड़ेगा।
कौन है सबसे बड़ा खिलाड़ी?
चीन : 5.8 अरब यूनिट्स (42% हिस्सा) एशिया का सबसे बड़ा उपभोक्ता।
भारत : 2.4 अरब यूनिट्स ( दूसरा स्थान)।
तुर्की : 701 मिलियन यूनिट्स (तीसरा स्थान)।
दिलचस्प बात : कुल खपत में चीन आगे है, लेकिन प्रति व्यक्ति खपत में UAE नंबर वन है। वहां हर शख्स औसतन 31 यूनिट्स सालाना इस्तेमाल करता है।
कीमतों का हाल
औसत इम्पोर्ट कीमत: 31 डॉलर प्रति हजार यूनिट्स ।
वियतनाम: 48 डॉलर (सबसे महंगा)।
मलेशिया: 9.6 डॉलर (सबसे सस्ता)।
निर्यात और उत्पादन
थाईलैंड, मलेशिया और चीन का एशिया के 95% एक्सपोर्ट पर कब्जा है। मलेशिया दुनिया का सबसे बड़ा कंडोम उत्पादक और निर्यातक बना हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार 2024 से 2035 के बीच एशियाई कंडोम मार्केट औसतन 3% की वार्षिक दर से बढ़ेगा । यानी आने वाले 10 सालों में यह बाजार न सिर्फ खपत और उत्पादन में दोगुना होगा, बल्कि लाइफस्टाइल और हेल्थ इंडस्ट्री के सबसे बड़े सेगमेंट में शामिल हो जाएगा। अब सवाल यही है कि भारत और चीन की इस खपत दौड़ में आने वाले दशक में कौन नंबर वन बनेगा । चीन अपनी आबादी और वर्तमान खपत के दम पर आगे रहेगा या भारत तेज़ी से बढ़ते शहरीकरण और जागरूकता के कारण बाज़ी पलट देगा?