तस्लीमा नसरीन का पहलगाम हमले को लेकर तीखा प्रहार, बोलीं-" जब तक इस्लाम जिंदा रहेगा, आतंकवाद भी रहेगा"
punjabkesari.in Wednesday, Apr 23, 2025 - 07:13 PM (IST)

Dhaka: कश्मीर की वादियों में सैर के इरादे से पहुंचे लोग क्या जानते थे कि मौत उनका इंतज़ार कर रही है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए एक भीषण आतंकी हमले में अब तक 28 निर्दोष लोगों की जान चली गई। इस हमले ने न सिर्फ देश को हिला दिया है, बल्कि इंसानियत को भी शर्मसार कर दिया है। हमले की सबसे भयानक बात यह रही कि आतंकियों ने धर्म के आधार पर हत्या की । चश्मदीदों के मुताबिक, आतंकवादियों ने पहले पुरुषों के पैंट उतरवाकर देखा कि वे हिंदू हैं या नहीं फिर उन्हें गोली मार दी गई। इस जघन्य कृत्य को लेकर हर तरफ गुस्सा है।
इस घटना के पीछे पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के हालिया भड़काऊ बयान को भी जिम्मेदार माना जा रहा है, जिन्होंने कुछ दिन पहले हिंदुओं के खिलाफ आग उगली थी ।हमले के बाद की जो तस्वीरें और वीडियो सामने आए हैं, वो किसी का भी दिल दहला दें। एक वायरल हो रही तस्वीर में एक नवविवाहिता अपने पति के शव को देखकर निर्जीव आँखों से शून्य में निहार रही है । वे दोनों हनीमून मनाने कश्मीर आए थे, लेकिन यह खूबसूरत सफर अचानक खून और चीखों की कहानी बन गया । तस्लीमा नसरीन का कड़ा हमला-"जब तक इस्लाम रहेगा, तब तक इंसानियत नहीं बचेगी" बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका और नारी अधिकार कार्यकर्ता तस्लीमा नसरीन ने इस हमले के बाद एक बेहद विवादास्पद बयान दिया।
उन्होंने लिखा कि "जब तक इस्लाम जीवित रहेगा, आतंकवाद जीवित रहेगा। जब तक इस्लाम जीवित रहेगा, गैर-मुसलमान सुरक्षित नहीं होंगे, महिलाएं सुरक्षित नहीं होंगी, तर्कशील और स्वतंत्र विचारक सुरक्षित नहीं होंगे।"उन्होंने यह भी कहा कि "इस्लाम की कोख से नफरत पैदा होती रहेगी। जब तक इस्लाम रहेगा, फूल मुरझाते रहेंगे, बच्चे मरते रहेंगे, और कोई भी राज्य सभ्य नहीं बन पाएगा।" उनके इस बयान पर सोशल मीडिया पर तीखी बहस चल रही है—कुछ लोग इसे सच की आवाज़ मान रहे हैं, जबकि कुछ धार्मिक भेदभाव और नफरत फैलाने वाला बयान बता रहे हैं।
26 वर्षीय असावरी जगदाले जिन्होंने इस हमले में अपने पिता को खो दिया, ने मीडिया को बताया:"हम बेताब घाटी घूमने गए थे। तभी कुछ बंदूकधारी पुलिस की वर्दी में आए। उन्होंने हमारे धर्म पूछे और पैंट उतरवाकर देखा कि हम हिंदू हैं या नहीं। उसके बाद उन्होंने गोली चला दी। मेरे पापा वहीं गिर पड़े।" पहलगाम का यह हमला यह दिखाता है कि आतंकवाद अब केवल गोली और बारूद तक सीमित नहीं है। यह धर्म के नाम पर इंसानियत की हत्या बन चुका है।