Pics: आंखों के सामने देवर,पति और ससुर को गोली मार गाड़ी में ले गए

punjabkesari.in Sunday, Mar 01, 2015 - 07:18 AM (IST)

2 मासूमों के सिर से उठा दादा व पिता का साया
बहादुरगढ़ (प्रवीण भारद्वाज): तिहरे हत्याकांड के बाद गांव लोवा कलां में सन्नाटा पसरा हुआ है। एक दिन पहले तक हंसता-खेलता परिवार सब कुछ खो बैठा है। गांव के लोग यहां पहुंचकर बेसुध महिलाओं को ढांढस बंधा रहे हैं। बताते हैं कि सुमित को करीब सवा साल का एक बेटा हर्ष है जबकि दीपक की शादी को अभी एक साल ही हुआ था। महीनाभर पहले उसकी पत्नी ने बच्ची को जन्म दिया था। दोनों मासूम के सिर से पिता, ताऊ व दादा का साया छिन गया है। घर में अब कमाने वाला भी नहीं बचा है। पलभर में घर की तीनों महिलाओं की मांग उजड़ गई है। झगड़ा भी तो बिल्कुल मामूली था। रात से ही पूरे गांव में सन्नाटा है। कोई भी इस वारदात को लेकर कुछ नहीं बोल पा रहा। मामला सगे भाइयों के बीच होने के कारण हर कोई चिंतित भी नजर आया। छोटी सी बात पर इस कद्र आवेश बढ़ जाएगा इसका किसी को अंदाजा न था।

रात भर दौड़ती रही पुलिस
जैसे ही पुलिस के पास सूचना पहुंची तो तमाम अधिकारी दलबल के साथ मौके के लिए दौड़ पड़े। बाद में जब शवों को भी गाड़ी के अंदर ही डाल लिए जाने की जानकारी मिली तो पुलिस सकते में आ गई। पुलिस ने हमलावरों का पीछा किया। चारों तरफ नाकाबंदी की गई। शनिवार सुबह तक पुलिस 2 शवों को लेकर बहादुरगढ़ पहुंच गई थी जबकि तीसरे के नहर के अंदर तलाश की गई। दोपहर के समय सुमित का शव मिल गया।

मृतक सुमित की पत्नी की शिकायत पर हुआ मामला दर्ज
पुलिस को दी शिकायत में रूबी ने बताया है कि पानी का कनैक्शन करते वक्त उसके तायसरा रामकिशन और उसके लड़कों के साथ उनकी कहासुनी हुई थी लेकिन बीच बचाव के बाद मामला शांत हो गया था। इसके बाद गड्ढा खोदा गया और कनैक्शन करने की तैयारी की थी। इस दौरान वो खुद अपनी सास सत्यवंती, ननद सीमा और गांव का ही राकेश पुत्र धर्म सिंह भी वहां खड़ा था तभी आरोपियों ने आकर उसके देवर दीपक, पति  सुमित और ससुर रामफल को गोली मार दी। जब वे बीच-बचाव के लिए आगे आए तो आरोपी परिवार की औरतों ने उन्हें पकड़ लिया और उनकी आंखों केे सामने ही तीनों के शवों को गाड़ी में ले गए।

20 दिन पहले घर में गूंजी थी किलकारी
मृतक रामफल के घर करीब 20 दिन पहले ही एक नन्ही परी ने जन्म लिया था। मृतक रामफल के छोटे बेटे दीपक की पत्नी ने 20 दिन पहले ही बेटी को जन्म दिया था। परिवार में नए मेहमान की खुशियां का रंग चढ़ा हुआ था लेकिन मामूली सी बात को लेकर हुई इस घटना ने पूरे परिवार को तबाह कर दिया है। बुढ़ापे में सुहाग और बेटों खो चुकी मां सत्यवंती की आंखों के आंसू रुक नहीं रहे हैं। गांव में गम का माहौल है और आरोपियों के प्रति रोष भी है। हर कोई दबी जुबान से आरोपी परिवार को कोस रहा है।

ये हों चुकी वारदातें
पिछले कुछ समय में ही दोहरे, तिहरे व चौहरे हत्याकांड की कई वारदातें हो चुकी हैं। कुछ मामले भले ही गैंगवार और कुछ आपसी रंजिश के रहे हों लेकिन अधिकांश मामले ऐसे हैं जिनमें वजह बड़ी नहीं रही। छोटे से कारण में ही जिंदगियां खत्म हो गई। हाल ही में दिल्ली के मितराऊ में 4 युवकों की हत्या की गई और शवों को ईस्सरहेड़ी में जलाया गया जबकि इससे पहले मकान के विवाद में पिता-पुत्र की हत्या की गई थी। इस वारदात के पीछे भी परिवार के सदस्य ही शामिल थे। इससे पहले डाबोदा गांव में 2 सगे भाइयों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इनमें एक दिल्ली पुलिस में था तो दूसरा सेना में। यह झगड़ा भी मामूली सी बात को लेकर हुआ था। इससे पहले भी अनेक ऐसी वारदात रही हैं जिनमें परिवार उजड़ गए हैं। बहादुरगढ़ के कश्मीरी कालोनी में 2 भाइयों की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी गई थी उनके प्लाट को कब्जाने की कोशिश की जा रही थी।


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