अब रेल का नाम होगा नैरोलेक एक्सप्रेस, कोका कोला मेल, रिलायंस स्वर्ण शताब्दी

punjabkesari.in Friday, Feb 27, 2015 - 04:31 PM (IST)

(अर्जुन शर्मा) देश के रेलमंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने ऊपर वाले प्रभु के नाम पर जो रेल बजट पेश किया है उसमें बहुत कुछ छिपा हुआ है जो मुंह अंधेरे से सर खपा रहे न्यूज चैनल भी नहीं पकड़ पाए कि सुरेश प्रभु का छिपा हुआ एजैंडा भला क्या है? रेलमंत्री ने कहा कि 12 हजार के करीब रेलों की ब्रांडिंग करवा कर तथा आठ हजार के करीब रेलवे स्टेशनों के भवनों को चार से पच्चीस मंजिला बना कर प्राईवेट हिस्सेदारों को जोड़ेंगे व इस सारे सिलसिले से पैसा जुटा कर रेलवे की बिगड़ी सेहत को दुरुस्त करेंगे।

मुझे लगता है कि रेलों के नाम ब्रांडिंग किए जाने का अर्थ तो यही हो सकता है कि आने वाले समय में पता चले कि भारतीय क्रिकेट खिलाडिय़ों को अपने ब्रांड के कपड़े पहनाने की तरह रेलों को भी अपने नाम पर एक साल चलाने के लिए कारपोरेट कंपनियों में बोली लगा करेगी। कोई बड़ी बात नहीं कि आने वाले समय में आपको स्वर्ण शताब्दी के नाम वाली ट्रेन का नाम सुनने में मिल सकता है रिलायंस श्वर्ण शताब्दी, और अखबारों व चैनलों की सुर्खियां हों, इस बार दो सौ करोड़ में हुई शताब्दी अंबानी की। या फिर कोका कोला कंपनी दिल्ली-मुंबई राजधानी का नाम पांच सौ करोड़ के बदले अपने नाम पर करने में सफल हुई। हो सकता है कि ऐसी बोलियों में भी खोजी पत्रकार घोटाले की खबरें तलाश कर लें कि पांच सौ करोड़ मिले रेलवे को पर एक हजार करोड़ खा गए मंत्री के भांजे। रेलवे स्टेश्नों को दो से पच्चीस मंजिल बनवाने के लिए बोलियां लगा करेंगी। फिर खबरें मिलेंगी कि लखनऊ स्टेशन का ठेका बेच खाया देश के फलां मंत्री ने। चलिए यदि ऐसा हुआ भी तो भी सभी को फायदा ही फायदा है। रेलवे को पैसा मिलेगा। नेताओं को हाथ रंगेने का मौका मिल जाएगा व इलैक्ट्रानिक मीडिया को मिलेगी खबरें यानि टीआरपी। बहुत अच्छा है। अच्छे दिन आने वाले हैं।

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