‘चीन नहीं चाहता विवाद का समाधान’, LAC तनाव पर बोले सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे

punjabkesari.in Monday, May 09, 2022 - 06:59 PM (IST)

नई दिल्लीः पूर्वी लद्दाख में करीब दो वर्ष से चले आ रहे सैन्य गतिरोध के बीच सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने चीन के साथ संबंधों में सीमा विवादों को प्रमुख मुद्दा बताते हुए आज कहा कि पड़ोसी देश सीमा विवादों को उलझाये रखने का इच्छुक है। बमुश्किल दस दिन पहले सेना की बागडोर संभालने वाले जनरल पांडे ने सोमवार को अपने पहले विधिवत संवाददाता सम्मेलन में चीन और पाकिस्तान से जुड़े मुद्दों पर बेबाकी के साथ सवालों के जवाब दिये।

चीन के साथ संबंधों तथा सीमा विवाद के बारे में पूछे गये सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा , ‘ बुनियादी मुद्दा सीमा के समाधान का है। हमें ऐसा लगता है कि चीन की मंशा सीमा विवादों को उलझाये रखने की है। एक देश के रूप में हमें ‘ समग्र राष्ट्र ' के द्दष्टिकोण की जरूरत है और सैन्य डोमेन में यह वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथा स्थिति में किसी भी तरह के बदलाव की कोशिश को रोकना तथा उसका मुकाबला करना है।'' 

जनरल पांडे ने दोहराया कि सेना प्रमुख के रूप में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अप्रैल 2020 की यथास्थिति की बहाली और दोनों पक्षों के बीच विश्वास तथा मैत्री का माहौल बनाना उनकी प्राथमिकता होगी । साथ ही उन्होंने कहा कि लेकिन यह केवल एक पक्ष के प्रयासों से संभव नहीं है तथा इसके लिए दोनों ओर से प्रयास किये जाने की जरूरत है।

सेना प्रमुख ने जोर देकर कहा कि वह आश्वस्त करना चाहते हैं कि भारतीय जवान पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर द्दढता के साथ डटे हैं और वहां पर किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त बल तैनात हैं। उन्होंने कहा , ‘‘ वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ साथ हमारे जवान महत्वपूर्ण पोजीशन पर बैठे हैं और उन्हें सख्त निर्देश है कि यथास्थिति में बदलाव की किसी भी कोशिश को विफल करना है।''

सेना प्रमुख ने कहा कि पूर्वी लद्दाख और अन्य सीमा विवादों का समाधान कूटनीतिक और सैन्य बातचीत से ही संभव है और अब तक 15 दौर की बातचीत से उत्तरी और दक्षिणी पेगोंग झील , गोगरा तथा गलवान घाटी जैसे क्षेत्रों में मुद्दों का समाधान भी हुआ है। उन्होंने कहा कि टकराव के अन्य मुद्दों का समाधान भी बातचीत से ही संभव होगा। उन्होंने कहा ,‘‘ हम निरंतर बातचीत कर रहे हैं और यही एक तरीका है।'' 

एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सैन्य कूटनीति भी विदेश कूटनीति का हिस्सा है और ये दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। इन्हें अलग अलग नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विभिन्न देशों की सेनाओं के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास तथा आदान प्रदान के अन्य कार्यक्रम सैन्य कूटनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इस क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं।

 


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Content Writer

Yaspal

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