क्या बड़े IPO हमेशा होते हैं फायदेमंद? स्टडी में मिले चौंकाने वाले नतीजे

punjabkesari.in Monday, Oct 21, 2024 - 04:33 PM (IST)

नेशनल डेस्क: हाल ही में किए गए एक अध्ययन ने यह स्पष्ट किया है कि भारत के टॉप 30 बड़े IPO में से केवल 2 ने CNX500 इंडेक्स से बेहतर प्रदर्शन किया है। यह इंडेक्स एनएसई में लिस्टेड प्रमुख कंपनियों के प्रदर्शन को ट्रैक करता है। यह अध्ययन CapitalMind Financial Services द्वारा किया गया है, और इसके नतीजे निवेशकों के लिए काफी चौंकाने वाले हैं।

अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष
खराब प्रदर्शन करने वाले IPO :
अध्ययन के अनुसार, टॉप 30 बड़े IPO में से 8 ने नकारात्मक रिटर्न दिया है। इनमें सबसे बड़ी निराशा रिलायंस पावर का IPO रहा, जिसने अपने निवेशकों को निराश किया। यह IPO उस समय का सबसे बड़ा था, लेकिन इसके बाद कंपनी के शेयरों में भारी गिरावट आई, जिससे कई निवेशक नुकसान में चले गए।

सीमित सफलता:
इस अध्ययन में यह भी पता चला है कि टॉप 10 बड़े IPO में से सिर्फ 2 ही ऐसे हैं जिन्होंने CNX500 इंडेक्स को पीछे छोड़ा है। उदाहरण के लिए, कोल इंडिया का IPO पिछले 14 वर्षों में अपनी कीमत में दोगुना हो गया है, लेकिन जब डिविडेंड का हिसाब लगाया जाता है, तो इसका प्रदर्शन केवल इंडेक्स के बराबर आता है।

Zomato की सफलता:
Zomato, एक प्रमुख IPO , ने अपने शेयरों के प्रदर्शन के कारण निवेशकों का ध्यान आकर्षित किया है। यह अकेला ऐसा IPO है, जिसने बाजार के औसत रिटर्न से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया है। इसके अलावा, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स, इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉर्प, सोना BLW प्रिसिजन फोर्जिंग्स और ICICI लोम्बार्ड जैसे अन्य सफल IPO भी हैं।

हाल के IPO का अच्छा प्रदर्शन:
पिछले दो वर्षों में लॉन्च हुए टॉप 10 IPO में से आधे ने शानदार रिटर्न दिया है। इनमें बजाज हाउसिंग फाइनेंस, भारती हेक्साकॉम, और ब्रेनबीज (फर्स्ट क्राई) जैसी कंपनियाँ शामिल हैं, जिन्होंने अच्छे बाजार हालात का लाभ उठाया है। यह दर्शाता है कि जब बाजार की स्थिति अनुकूल होती है, तो नए IPO में निवेश करने के अवसर भी बेहतर होते हैं।

क्या कारण हैं खराब रिटर्न के?
CapitalMind के विशेषज्ञों के अनुसार, बड़े IPO के खराब प्रदर्शन के कई कारण हैं:
1. उच्च मूल्यांकन: बड़े IPO अक्सर बुल मार्केट के बाद आते हैं, जब निवेशक अधिक जोखिम लेने को तैयार होते हैं। इससे इनका मूल्यांकन बहुत ऊँचा हो जाता है, जो बाद में उनके प्रदर्शन को प्रभावित करता है।
2. उम्मीदें और वास्तविकता: बड़े IPO में आमतौर पर बड़ी मात्रा में शेयर बेचे जाते हैं, जिससे निवेशकों की अपेक्षाएँ भी ऊँची होती हैं। यदि कंपनियों की कमाई की उम्मीदें पूरी नहीं होतीं, तो निवेशक निराश होते हैं और यह शेयरों की कीमत को प्रभावित करता है।
3. बाजार में बदलाव: जब बाजार सामान्य हो जाता है और निवेशक अधिक सतर्क हो जाते हैं, तो ये बड़े IPO  अपेक्षाकृत कम रिटर्न देने लगते हैं। इस स्थिति में, शेयरों की कीमतों में उतार-चढ़ाव निवेशकों को नुकसान में डाल सकता है।

अध्ययन में यह भी पाया गया है कि वित्तीय क्षेत्र ने सबसे ज्यादा फंड जुटाए हैं। 2024 में, वित्तीय क्षेत्र से 27% फंड आया है। हालांकि, कंज्यूमर कंपनियाँ, जिनमें साइक्लिकल और नॉन-साइक्लिकल दोनों शामिल हैं, अब तक 34% फंड जुटा चुकी हैं। इसके बाद वित्तीय क्षेत्र 27% और औद्योगिक क्षेत्र 14% के साथ हैं। इस अध्ययन के नतीजे यह संकेत देते हैं कि बड़े IPO हमेशा बेहतर रिटर्न नहीं देते। निवेशकों को बड़े IPO  में निवेश करने से पहले सावधानीपूर्वक विचार करना चाहिए। डेटा और मार्केट ट्रेंड्स को समझकर ही निवेश करना एक समझदारी भरा कदम हो सकता है।

बड़े IPO में निवेश करने से पहले यह जरूरी है कि निवेशक कंपनी के प्रदर्शन, बाजार की स्थिति और उद्योग के ट्रेंड्स पर ध्यान दें। इसके साथ ही, उन्हें अपने निवेश के लक्ष्यों और जोखिम सहिष्णुता को भी ध्यान में रखना चाहिए। यही समझदारी निवेशकों को बेहतर रिटर्न दिलाने में मदद कर सकती है। इसलिए, जब भी बड़े IPO की बात आती है, तो निवेशकों को अपने निर्णयों को तथ्यों और आंकड़ों पर आधारित रखना चाहिए, ताकि वे सही तरीके से निवेश कर सकें और बेहतर रिटर्न की उम्मीद कर सकें।


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Content Editor

Mahima

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