क्यों बीयर की बोतलें अलग-अलग रंग में होती हैं? सच जानकर हो जाएंगे हैरान
punjabkesari.in Thursday, Nov 14, 2024 - 07:38 PM (IST)
नेशनल डेस्क : आप भी अगर बीयर पीने के शौकीन हैं तो आपने एक चीज अवश्य नोटिस किया होगा कि बीयर की बोतलें अलग-अलग रंग की होती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? दरअसल, इसके पीछे एक खास कारण है, जो बीयर के स्वाद और गुणवत्ता से जुड़ा हुआ है। आइए जानते हैं क्यों बीयर की बोतलें अलग-अलग रंग की होती हैं और इसका बीयर पर क्या असर पड़ता है।
1. बीयर की बोतल का रंग क्यों होता है?
बीयर की बोतल का रंग केवल दिखावट या मार्केटिंग के लिए नहीं होता। इसका बीयर के स्वाद और गुणवत्ता से गहरा संबंध है। बीयर को लंबे समय तक ताजे और फ्रेश रखने के लिए बोतल का रंग अहम भूमिका निभाता है।
कांच की बोतल का उपयोग 19वीं सदी से ही बीयर पैकिंग में किया जा रहा है, क्योंकि यह बीयर को लंबे समय तक ताजे रखने का एक अच्छा और सस्ता तरीका था। हालांकि, समय के साथ यह पता चला कि क्लीयर (स्पष्ट) कांच की बोतलों में बीयर का स्टोर करना सही नहीं है, खासकर जब ये सूरज की रोशनी के संपर्क में आती हैं। इससे बीयर का स्वाद बदल सकता है, और बीयर की सुगंध भी खराब हो सकती है। इस घटना को "लाइटस्ट्रक" कहा जाता है।
2. लाइटस्ट्रक: सूरज की रोशनी और बीयर का स्वाद
लाइटस्ट्रक तब होता है जब सूरज की UV किरणें बीयर की बोतल पर पड़ती हैं और इसके अंदर के हॉप्स जैसे इंग्रीडिएंट्स के साथ रिएक्ट करती हैं। हॉप्स में एक तत्व होता है, जिसे आइसोहुमुलोन कहा जाता है, जो बीयर के स्वाद और गंध को बदल सकता है। इससे बीयर का स्वाद बदबूदार हो सकता है और इसका पिओंने का अनुभव खराब हो सकता है।
3. ब्राउन बोतल का इस्तेमाल
इस समस्या से बचने के लिए बीयर कंपनियों ने ब्राउन या एम्बर रंग की बोतलें इस्तेमाल करना शुरू किया। ये बोतलें UV किरणों से बीयर को सुरक्षा प्रदान करती हैं, जिससे कोई भी प्रकाश बीयर तक नहीं पहुंचता। इस तरह, बीयर के अंदर के संवेदनशील इंग्रीडिएंट्स जैसे हॉप्स और अन्य तत्व सुरक्षित रहते हैं और किसी भी तरह के केमिकल रिएक्शन से बचते हैं।
ब्राउन बोतलें आमतौर पर बीयर को ताजे रखने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं, और इनका उपयोग तब से शुरू हुआ जब शराब बनाने वाले लोग अपने प्रोडक्ट को प्रकाश और अन्य एक्सपोज़र के प्रभाव से बचाना चाहते थे।
4. ग्रीन बोतल का इस्तेमाल
ग्रीन बोतल का इस्तेमाल द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बढ़ा था। उस समय ब्राउन कांच की बोतलें उपलब्ध नहीं थी, इसलिए शराब बनाने वाली कंपनियों ने ग्रीन कांच का इस्तेमाल करना शुरू किया। यह रंग तब कंज्यूमर्स द्वारा आसानी से स्वीकार कर लिया गया और आज भी यह सामान्य है।
हालांकि, ग्रीन बोतलें ब्राउन बोतलों जितनी UV सुरक्षा नहीं देतीं। इन बोतलों में रखी बीयर सूरज की रोशनी के संपर्क में आने पर खराब हो सकती है, जिससे इसका स्वाद बदल सकता है और बीयर का स्वाद और गंध खराब हो सकती है। इसके बावजूद, कंपनियां अब भी ब्रांडिंग और परंपरा के कारण ग्रीन बोतलों का उपयोग करती हैं।
5. क्लीयर बोतल का इस्तेमाल
क्लीयर (स्पष्ट) बोतलों का उपयोग आज भी किया जाता है, लेकिन अब कंपनियां इन बोतलों पर UV-प्रोटेक्शन कोटिंग लगाने लगी हैं। इस कोटिंग से यह सुनिश्चित किया जाता है कि बीयर सूरज की रोशनी से पूरी तरह सुरक्षित रहे और उसका स्वाद खराब न हो। इस प्रकार, क्लीयर पैकेजिंग से जुड़े जोखिमों को मैनेज किया जा सकता है और यह बीयर उत्पादों के लिए उपयुक्त साबित हो सकता है।
बीयर की बोतल के रंग का सीधा असर बीयर के स्वाद और उसकी गुणवत्ता पर पड़ता है। सूरज की UV किरणें बीयर के स्वाद को खराब कर सकती हैं, इसलिए बीयर निर्माता कंपनियां अलग-अलग रंग की बोतलें इस्तेमाल करती हैं। ब्राउन बोतलें UV किरणों से सबसे अच्छे से बचाव करती हैं, जबकि ग्रीन और क्लीयर बोतलें थोड़ी कम प्रभावी होती हैं, लेकिन इन्हें UV-प्रोटेक्शन कोटिंग्स से सुरक्षा मिल जाती है। अब जब आप बीयर खरीदें, तो इस जानकारी को ध्यान में रखते हुए आप बेहतर विकल्प चुन सकते हैं!