क्या आपने कभी सोचा है कि ट्रक के पहियों के पास ये रबड़ क्यों लगाए जाते हैं? 99.99 प्रतिशत लोग नहीं जानते होंगे जवाब

punjabkesari.in Wednesday, Nov 13, 2024 - 04:33 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत में ट्रक केवल एक साधारण वाहन नहीं होते, बल्कि यह देश की संस्कृति और समाज का हिस्सा बन चुके हैं। चाहे वह ट्रक की बाहरी सजावट हो, या फिर ट्रक के पीछे लिखे गए मजेदार स्लोगन, ट्रक ड्राइवरों का इन वाहनों से गहरा जुड़ाव होता है। वे अपने ट्रकों को अक्सर न सिर्फ काम के साधन के रूप में, बल्कि अपने अस्थायी घर के रूप में भी देखते हैं। इस प्रकार, ट्रक को सजाना और उसे आकर्षक बनाना उनके लिए सिर्फ एक शौक नहीं, बल्कि यह उनके जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है। आपने देखा होगा कि ट्रकों के पहियों के पास अक्सर रबर की पट्टियां लटकी होती हैं। इन पट्टियों को देखकर शायद आप सोचते हों कि यह सिर्फ सजावट का हिस्सा हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि इन रबर की पट्टियों का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य भी है?

ट्रक के पहियों के पास लटकने वाली रबर पट्टियों का उद्देश्य
भारत में अधिकांश ट्रकों के पहियों के पास एक या एक से ज्यादा रबर की पट्टियां लटकी रहती हैं। कई बार ये पट्टियां इतने बड़े आकार की होती हैं कि एक गुच्छा बनाकर लटकाया जाता है। यह एक आम दृश्य है जिसे आपने भारतीय सड़कों पर देखा होगा। हालांकि, अधिकतर लोग इस बात से अनजान होते हैं कि इन पट्टियों का क्या काम है। क्या यह सिर्फ सजावट के लिए होता है, या इनमें कोई तकनीकी उद्देश्य भी छिपा होता है? दरअसल, इन रबर की पट्टियों का एक कार्यात्मक उद्देश्य है। इनका मुख्य काम ट्रक के पहियों से जुड़ा हुआ है।

जब ट्रक सड़कों पर चलता है, तो उसकी स्पीड और गति के कारण पहियों पर धूल, मिट्टी और छोटे-छोटे कचरे जमने लगते हैं। इन रबर की पट्टियों का काम इन्हें साफ करना होता है। जब ट्रक चलता है, तो ये पट्टियां पहियों के पास टकराकर धूल और गंदगी को हटा देती हैं। इस प्रक्रिया से ट्रक के पहिये साफ रहते हैं और उनका लुक भी बेहतर बनता है। यह एक तकनीकी दृष्टिकोण से देखी जाने वाली बात नहीं है, बल्कि यह एक साधारण तरीका है जिससे ट्रक को साफ रखा जाता है। हालांकि, इसका उद्देश्य केवल सफाई तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह ट्रक की आकर्षक सजावट का हिस्सा भी बन जाता है, जो भारतीय ट्रक संस्कृति का एक अहम हिस्सा है।

ट्रक के पीछे लिखे मजेदार स्लोगन
आपने अक्सर देखा होगा कि भारतीय ट्रकों के पीछे रंग-बिरंगे स्लोगन या शायरी लिखी होती है। इन स्लोगनों का उद्देश्य सिर्फ ट्रक की सजावट करना नहीं होता, बल्कि यह ट्रक मालिकों और ड्राइवरों के मनोभावनाओं और विचारों को भी व्यक्त करता है। कुछ स्लोगन ट्रक के साथ यात्रा कर रहे ड्राइवरों की भावनाओं को व्यक्त करते हैं, जबकि अन्य समाज में जागरूकता फैलाने का काम करते हैं। उदाहरण के तौर पर, कोरोना महामारी के दौरान ट्रकों के पीछे कुछ स्लोगन देखे गए थे जैसे, "टीका लगवाओगे तो बार-बार मिलेंगे, लापरवाही करोगे तो हरिद्वार में मिलेंगे", "देखो मगर प्यार से, कोरोना डरता है वैक्सीन की मार से", और "बुरी नजर वाले तेरा मुंह काला, अच्छा होता है, वैक्सीन लगवाने वाला"। ये स्लोगन न सिर्फ हास्य का तत्व प्रदान करते थे, बल्कि वे कोविड-19 से संबंधित जागरूकता फैलाने का भी एक प्रयास थे। इसी तरह के स्लोगन समय-समय पर बदलते रहते हैं और ट्रक के पीछे के स्थान पर इस प्रकार के संदेश लिखे जाते हैं, जो किसी खास मुद्दे या सामाजिक स्थिति को दर्शाते हैं। ये स्लोगन ट्रक ड्राइवरों की सोच और उनके हास्यबोध को भी दर्शाते हैं, और अक्सर इनका उद्देश्य उनके जीवन के अनुभवों को लोगों तक पहुंचाना होता है।

ट्रक की सजावट की परंपरा
भारत में ट्रकों की सजावट एक पुरानी परंपरा है। खासकर भारत के ग्रामीण और छोटे शहरों में ट्रक ड्राइवर अपने ट्रकों को रंग-बिरंगे बल्ब, फूलों की झालरें, पेंटिंग्स और कभी-कभी धार्मिक प्रतीकों से सजाते हैं। इन सजावटी वस्तुओं का उद्देश्य ट्रक को आकर्षक बनाना और ट्रक ड्राइवर की अपनी सांस्कृतिक पहचान को सामने लाना होता है। ट्रक ड्राइवर के लिए ट्रक सिर्फ एक वाहन नहीं होता, बल्कि यह उनके लिए एक घर होता है। ड्राइवर अक्सर महीनों तक ट्रक में ही रहते हैं, और इसीलिए वे इसे अपने घर की तरह सजाते हैं। साथ ही, ट्रक के पीछे धार्मिक प्रतीक या भगवान के चित्र भी लगाए जाते हैं, जो ड्राइवरों की धार्मिक आस्थाओं और विश्वासों को दर्शाते हैं। कई बार ट्रक पर लिखा होता है, "साईं का कृपा, हर रास्ता सुरक्षित", या "जय श्रीराम", जिससे ड्राइवर को मानसिक शांति मिलती है और उनका विश्वास मजबूत होता है।

ट्रक ड्राइवर का जीवन
ट्रक ड्राइवरों के लिए ट्रक केवल रोजगार का साधन नहीं होता, बल्कि यह उनका स्थायी या अस्थायी घर भी होता है। वे ट्रक में दिन-रात यात्रा करते हैं, और यह उनकी दिनचर्या का अहम हिस्सा होता है। ट्रक ड्राइवरों की ज़िंदगी अक्सर अकेली होती है, और वे अपने ट्रक को ही अपना साथी मानते हैं। यही कारण है कि ट्रक की सजावट में न केवल सौंदर्य का ध्यान रखा जाता है, बल्कि उसमें ड्राइवर के व्यक्तिगत विचार, उनकी आस्थाएं और उनकी जीवनशैली भी झलकती है।

ट्रक के पहियों के पास लटकने वाली रबर की पट्टियां और ट्रक की सजावट भारतीय ट्रक संस्कृति का एक अहम हिस्सा हैं। जहां एक ओर ये रबर की पट्टियां पहियों को साफ रखने का काम करती हैं, वहीं दूसरी ओर यह ट्रक के लुक को और आकर्षक बनाती हैं। इसके अलावा, ट्रक के पीछे लिखे गए स्लोगन और शायरी न केवल ड्राइवर के विचारों को व्यक्त करते हैं, बल्कि समाज में जागरूकता फैलाने का भी एक तरीका होते हैं। इस प्रकार, ट्रक केवल एक साधारण वाहन नहीं होता, बल्कि यह एक सांस्कृतिक प्रतीक और ड्राइवर के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन जाता है।


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Content Editor

Mahima

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