अनुराग के साथ हिमाचल के लोगों की बड़ी जिम्मेवारी

punjabkesari.in Tuesday, Aug 24, 2021 - 11:03 AM (IST)

हमीरपुर(प्रकाश ठाकुर): एक साधारण परिवार में 24 अक्तूबर 1974 को प्रेम कुमार धूमल के घर पैदा हुए अनुराग ठाकुर से हिमाचलवासियों को इतना अनुराग होगा यह शायद उनके माता-पिता ने भी नहीं सोचा होगा। जालंधर में पले बढ़े अनुराग ठाकुर ने छोटी सी उम्र में चमक बिखरने का सिलसिला शुरू किया वो लगातार आगे बढ़ रहा है। क्रिकेट खेलने से शुरूआत की और हिमाचल में क्रिकेट के ढांचे में खामियां देखीं, खिलाडिय़ों को किट बुनियादी सुविधाओं के लिए तरसते देखा तो बल्ला छोड़ क्रिकेट प्रबंधन की ओर मुड़ गए। प्रदेश में क्रिकेट प्रबंधन बनाने वाली संस्था एच.पी.सी.ए. की कमान संभाली। फिर देश में क्रिकेट प्रबंधन करने वाले सर्वोच्च संस्था बी.सी.सी.आई. में सचिव और फिर इसके मुखिया भी बने। 

 

राजनीति में पारी शुरू की तो लगातार चौथी बार संसद बने, केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री और अब कैबीनेट में दो महत्वपूर्ण मंत्रालय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय तथा खेल एवं युवा सेवाओं के मामलों के मंत्रालय का जिम्मा संभाल रहे हैं। हिमाचल में जन आशीर्वाद यात्रा के व्यस्त शैड्यूल में से कुछ समय लेकर पंजाब केसरी ने उनसे बात की और उनसे सवाल पूछे जिनका उन्होंने कुछ यूं जवाब दिया ।

 

कैबीनेट मंत्री बनने के बाद पहली बार आप हिमाचल आ रहे हैं। अपने लोगों के बीच आकर आप कैसा महसूस कर रहे हैं?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो महत्वपूर्ण मंत्रालयों का जिम्मा मुझे सौंपा है। जिम्मेदारी मिलने के 40 दिन बाद हिमाचल आया हूं। आशीर्वाद यात्रा की शुरूआत हिमाचल की सीमा से होनी थी। हम चंडीगढ़ में हिमाचल भवन आ रहे हैं, इसकी सूचना जैसी ही लोगों को मिले पूरा हिमाचल भवन खचाखच भर गया। तीन हजार से अधिक लोग वहां आशीर्वाद देने पहुंच गए। पांवटा साहिब से शुरू हुआ स्वागत का कार्यक्रम जितने जोश से हुआ वह उत्साह प्रदेश के हर उस स्थान पर देखने को मिला। तय कार्यक्रमों के स्थान पर तो भीड़ थी ही लोगों ने कई और स्थानों पर भी एकत्रित होकर रास्ते में यात्रा के काफिले को रोका और हमें अपना प्यार और आशीर्वाद दिया। बड़ी बात यह थी की लोगों की मांग कोई नहीं थी बस वो अपना सहयोग और समर्थन दिखाने के लिए आए थे। पार्टी के कार्यकत्र्ता तो उत्साह में थे ही प्रदेश में कई स्थानों पर युवाओं ने रोका व फूल दिए और सैल्फियां लेकर उत्साहवद्र्धन किया।

जन आशीर्वाद यात्रा क्यों और किस लिए कांगे्रस इसे आपदा यात्रा करार दे रही है।

- जन आशीर्वाद यात्रा निकालने की वजह भी कांग्रेस ही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रीमंडल में कुछ बदलाव किए। कुछ मंत्रियों को पदौन्नति दी और कुछ नए लोग मंत्रीमंडल में शामिल किए। संसद सत्र शुरू होने पर प्रधानमंत्री कैबीनेट में शामिल किए गए नए सहयोगियों का परिचय करवाते हैं यह पुरानी परंपरा है। कांग्रेस ने अब की बार विपक्ष के साथ मिलकर सदन में असंसदीय आचरण करते हुए ऐसा हो हल्ला किया कि प्रधानमंत्री को मंत्रीयों का परिचय देने से रोक दिया। ऐसे मेें देश की जनता को अपने मंत्रीयों को जानने का अवसर मिले इसके लिए जन आशीर्वाद यात्रा का कार्यक्रम तय हुआ। देश भर में नए मंत्री अपने अपने राज्यों में इस यात्रा को निकाल रहे हैं और इसी कड़ी में हिमाचल में भी यह यात्रा निकाली जा रही है। कांग्रेस के लोगों को सच में यह यात्रा आपदा की लगेगी क्याकि प्रदेश भर में जिस प्रकार के उत्साह के साथ लोग इसमें शिरकत कर रहे हैं उसे देख कांग्रेस हतोत्साहित है।

 

-जन आशीर्वाद यात्रा अब अंतिम चरण है। यात्रा का कोई यादगार पल जो आप को ताउम्र याद रहेंगे।

पूरी यात्रा ही मेरे लिए अविस्मरणीय है। जन आशीर्वाद यात्रा में कल्पना से बढक़र लोगों ने प्यार दिया है। यात्रा का प्रारूप ऐसा तय किया गया था कि इसमें प्रतिदिन चुंनिंदा स्थानों पर कार्यक्रम तय किए गए थे लेकिन यात्रा को कोई दिन ऐसा नहीं था जिसमें तय कार्यक्रमों से दुगने कार्यक्रम न आयोजित हुए हों। जो कार्यक्रम सायं सात आठ बजे तक पूरे हो जाने थे, उनको पूरा करने के लिए रात के दस और 11 बजते रहे। रात 11 के बजे हों, सैकड़ों लोग बरसात की परवाह किए बिना भीगते हुए हमारे पहुंचने के इंतजार में खड़े हों और 70-80 साल के बुजुुर्ग ऐसे माहौल में अपनी छतरी किसी और को थमा कर हार पहनाने के लिए आगे आएं तो दिल उत्साह से और सिर श्रद्धा से झुक जाता है। इतना प्यार और उत्साह, अपनापन जो लोगों ने दिखाया है ये ल हे तमाम जिंदगी यादों में बने रहेंगे और मुझे अपने लोगों के लिए कुछ करना है, उनके विश्वास और उनकी आस को पूरा करना है। ये ल हे और प्रदेश भर में देखने को मिला यह अभूतपूर्व वातारवरण मुझे सतत मेहनत करने के लिए प्रेरित करते रहेंगे।

 

यात्रा से लौटकर मोदी जी को क्या संदेश देंगे आप?

5 दिन के प्रवास में 150 के करीब कार्यक्रम और करीब सवा लाख लोगों से संपर्क का अनुभव, आशीर्वाद और स्नेह लेकर जा रहा हूं। बरसात में, रात के अंधेरे में सुनसान स्थानों पर सडक़ के किनारे बड़ी संख्या में लोग और उनमें मौजूद उत्साह यह बताना है कि प्रदेश के लोगों का विश्वास प्रधानमंत्री पर और उनकी सरकार पर यथावत बना हुआ है। यही संदेश हम प्रधानमंत्री को देंगे।

 

डीजल, पैट्रोल और रसोई गैस के दाम रिकार्ड स्तर पर पहुंच गए हैं। इससे देश में महंगाई भी बढऩे लगी है। सरकार कीमतों में कटौती क्यों नहीं कर रही है?

देश में पैट्रोल और डीजल के भाव रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंचने के लिए पूर्व की मनमोहन सरकार जिम्मेवार है। कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने तेल कंपनियों को सबसिडी देना बंद कर दिया। तेल कंपनियां पर आर्थिक बोझ बढऩे लगा तो कंपरिनयों ने तेल की कीमतों को बढ़ाने की इजाजत मांगी। सरकार ने न दाम बढ़ाने की इजाजत दी और न सबसिडी की राशि। तेल कंपनियों को घाटा पूरा करने के लिए बाजार में आइल बॉड जारी कर पैसा उठाने के आदेश दे दिए। तेल कंपनियों ने केंद्र के निर्देश पर लाखों करोड़ रुपए बाजारी से उठा लिए जिनका भुगतान मोदी ब्याज सहित लोगों को कर रही है। यद्यपि सस्ते तेल को लेकर सरकार पर टैक्स कम करने का दबाव है लेकिन ऑयल बॉड की किश्तों व ब्याज के भुगतान के लिए राशि जुटाने के कारण तेल की कीमतें कम करना सरकार के लिए चाहकर भी संभव नहीं है। मोदी सरकार के दोनों कार्यकाल में तेल पर लगाए गए टैक्सों से 115.73 करोड़ रुपए का अतिरिक्त रैवेन्यू मिलेगा जबकि इन 10 वर्षों में ऑयल बांड के ब्याज और प्रिंसिपल रीपेमेंट्स की राशि 1.43 लाख करोड़ रुपए बैठता है जो कि अतिरिक्त राजस्व का महज 9 फीसदी ही है।

 

-आप को जन आशीर्वाद यात्रा में शांता कुमार का आशीर्वाद मिला। उन्होंने आपको भविष्य का नेतृत्व करार दिया है। आप इस लम्हे को कैसे देखते हैं।

 शांता जी प्रदेश के सबसे सीनियर नेता हैं, वह अन्य कार्यकर्ताओं की तरह स्वयं चलकर आए थे, उन्होंने स्वागत भी किया और आशीर्वाद भी दिया। जब किसी व्यक्ति का कद बड़ा होता है तो उससे उम्मीदें भी बढ़ती हैं। उन्होंने और प्रदेश के लाखों लोगों ने मुझ पर जो उ मीदें और आशाएं रखी हैं, उन की उ मीदों और आशाओं पर पूरा उतरने के लिए सतत प्रयास करता रहूंगा और जो भरोसा उन्होंने हम पर जताया है उनके विश्वास की डोर को टूटने नहीं दूंगा और इसके लिए दिन रात मेहनत करेंगे।

 

खेल को मैदान, खेल प्रबंधन और इसके बाद देश के खेल मंत्री बनना। खिलाडिय़ों, खेलों व खेल संघों की मांगों पर कैसे खरा उतरेंगे आप?

खेलों को अपने राज्य में बढ़ावा देना राज्य सरकार को काम होता है। खेल संघों को काम प्रदेश में अच्छे खिलाडिय़ों का चयन करना व खिलाडिय़ों को सुविधाएं मुहैया करवाना है और स्टेट सबजैक्ट होने के कारण सरकार को भी विभिन्न स्तर पर खेलों को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम तय करने चाहिए जिसमें खिलाडिय़ों को प्रतिस्पर्धा करने और अपनी प्रतिभा को निखारने का अवसर मिले। भारत सरकार ने खेलों को बढ़ावा देने के लिए खेलो इंडिया गे स, खेलो इंडिया अकैडमीज और इसके अलावा स्कूली व विश्वविद्यालय स्तर की खेलों इंडिया गेम्स के माध्यम से हमारा यही प्रयास है कि देश में खिलाडिय़ों को आगे आने के लिए अवसर मिलें। वन स्पोर्ट वन स्टेट, वन कार्पोरेट वन इवैंट जैसी योजना राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की तैयारी करेंगे ताकि प्रदेशों से अच्छे खिलाड़ी आगे आएं। सरकार ने खेलों को बजट बढ़ाया है और ऐसे खिलाड़ी जो भविष्य में शानदार प्रदर्शन करें उनके लिए उच्च स्तरीय सुविधाएं देने के प्रयास सरकार कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं खिलाडिय़ों को प्रोत्साहित करते हैं। ओलिम्पिक खेलों में मैडल जीतकर आए खिलाडिय़ों को उन्होंने जितना सम्मान और समय दिया उतना ही अधिमान उन्होंने मैडल न पा सकने वाले खिलाडिय़ों को भी उतना ही अधिमान और सम्मान दिया। पहले की सरकारें खेलों में फोटो सैशन तक सीमित रहते थे लेकिन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने खिलाडिय़ों के सुख-दुख में उनके साथ खड़ा रहने व उन्हें वो सभी सुविधाएं देने की नई शरूआत की है जो खेलों के प्रोत्साहन के लिए बड़ी बात है।

 

-आप स्वयं खिलाड़ी रहे हैं और खेलों की अहमियत जानते हैं। क्या आपकी सरकार स्कूलों में खेलों को आवश्यक विषय को शामिल करने पर विचार कर रही है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को खेलों की दुनिया में एक शक्ति के रूप में स्थापित होते देखना चाहते हैं। इसलिए देश में कोरोना बंदिशों के चलते जब सब कुछ बंद किया गया था उस दौर में भी उन्होंने ओलिम्पिक खेलों में भाग लेने के लिए जा रहे सभी खिलाडिय़ों को उच्च स्तरीय प्रशिक्षण की सुविधाएं मुहैया करवाईं। कुछ खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण अवधि में चोट लग जाने के कारण उच्च स्तरीय जब चोट लग गई और उनको आधुनिक इलाज की जरूरत थी तो उन्होंने उन खिलाडिय़ों को इलाज के लिए विदेश में भेजा। जो खिलाड़ी ओलंपिक में खेलने गए थे स्कूली बच्चे उनसे प्रेरणा ले सकें इसके लिए इन खिलाडिय़ों को प्रदेश के 75 चयनित स्कूलों में भेजा जा रहा है। खिलाड़ी स्कूली बच्चों की शंकाओं को समाधान करवाएंगे और उनसे संवाद स्थापित कर उन्हें खेलों में आगे आने के लिए अपने अनुभव सुनाएंगे तथा अच्छा खिलाड़ी बनने के लिए क्या करें व क्या न करें की सीख देंगे।

हिमाचल प्रदेश में भी साहसिक खेलों की बड़ी संभावनाएं हैं। आप केंद्र में हिमाचल का प्रतिनिधित्व करते हैं इसके लिए बतौर केंद्रीय खेल मंत्री आप क्या प्रयास करेंगे।

खेलें एडवेंचर्स होंं या साधारण खेल, इन से पर्सनैलिटी डिवैलपमैंट हो निश्चित तौर पर होती है। खेलों से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर सीधा असर पड़ता है। हिमाचल प्रदेश को प्रकृति ने विभिन्न भौगोलिग परिस्थितियों से नवाजा है। यहां पर ऐेसे स्थान हैं जहां पर साइकिलिंग व मोटर स्पोट्र्स की गतिविधियां शुरू की जा सकती हैं। पैराग्लाडिंग में हिमाचल के बीलिंग का नाम दुनिया भर में प्रसिद्ध है। हवा में उड़ान भरने के इस रोमांचक खेल को बीड़ बीलिंग में आयोजित करने के साथ-साथ प्रदेश में इसकी अन्य साइट्स भी तलाशी जानी चाहिए। वाटर स्पोट्र्स के लिए रणजीत सागर डैम व गोबिंद सागर जैसे स्थान हैं। प्रदेश की सदानीरा नदियों में बड़े पैमाने पर रीवर राफ्टिंग को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। इसके अतिरिक्त प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में ट्रैकिंग की गतिविधियां आयोजित की जा सकती हैं। हिमाचल प्रदेश को एडवैंचर स्पोट्र्स का डैस्टिनेशन बनाने के लिए जो भी बन पड़ेगा, सीरियस प्रयास किए जाएंगे। -केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडक़री ने हिमाचल प्रदेश को 69 नैशनल हाईवे का तोहफा उस समय दिया था जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। प्रदेश में अब भाजपा की सरकार है लेकिन एनएच के इस प्रोजैक्ट में से कुछ पर ही काम हो रहा है। नितिन गडक़री ने उस समय जन प्रतिनिधियों से मिले प्रस्तावों के आधार पर यह घोषणा की थी। ये प्रस्ताव जब दिए गए थे तो प्रस्ताव देने वालों को भी यह पता नहीं था कि जिस सडक़ का वो नाम दे रहे हैं कि क्या वह सडक़ एनएच बनने का क्राईटैरिया को पूरा करती है या नहीं। जब सरकार ने इन घोषणाओं के अनुसार घरातल पर काम शुरू किया तो अधिकांश सडक़ों की बायबिलिटी ही नहीं बन पा रही थी। इसके चलते कई प्रोजैक्ट रद्द हो गए। जिन प्रोजैक्ट की वायबिलिटी बनती है, उन पर काम कुछ परियोजनाओं पर काम शुरू हो रहा है और कुछ परियोजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए काम चल रहा है। बायबल सडक़ों पर चरणबद्ध तरीके से काम शुरू किया जाएगा। 

 

प्रदेश में रेल विस्तार की र तार बहुत कम है। मनाली तक रेल पहुंचेगी या बात जुमला ही साबित होगी?

मनाली लेह रेल लाइन का सामरिक महत्व है। यह प्रोजैक्ट हिमाचल की दृष्टि से तो महत्वपूर्ण है ही इसकी सैन्य उपयोगिता भी है। इसलिए सरकार इसे बनाने के लिए गंभीर है। सरकार ने इसके लिए धन राशि प्रदान कर दी है और सरकार ने काम को शुरू करने के लिए एक हिस्से का मुआवजा आदि देकर जमीन का अधिग्रहण भी कर लिया है। रेल विकास निगम ने भानुपल्ली-बिलासपुर-बेरी रेललाइन के निर्माण के लिए निविदाएं भी आमंत्रित कर ली हैं। लगभग 770 करोड़ रुपए की लागत से रेल टै्रक, पुल व टनल बनाने तथा रास्ते में आने वाले स्टेशन का निर्माण इसमें होना है। इसके लिए निर्माता कंपनी को 2 वर्ष का समय दिया गया है। अगले चरण का काम जल्द शुरू हो इसके लिए भूमि अधिग्रहण का काम सरकार ने शुरू कर दिया है। जैसे ही भूमि अधिग्रहण का काम पूरा होगा और मुआवजा की राशि लोगों को अदा कर दी जाएगी, इस हिस्से पर भी रेल लाइन बिछाने का काम युद्धस्तर पर शुरू किया जाएगा।

 

और हमीरपुर में रेल पहृुंचाने का आप का ड्रीम प्रोजैक्ट कब पूरा होगा।
उना जिला के चुरड़ू तक रेललाइन बन चुकी है और इस पर रेल आवागमन शुरू हो गया है। हमीरपुर ऊना के बीच लगभग 50 किलोमीटर रेल लाइन बननी है। इस लाइन के निर्माण पर तीन हजार करोड़ से अधिक राशि खर्च होनेे हैं। इस रेल लाइन के निर्माण पर होने वाली खर्च की भागीदारी राज्य सरकार व केद्र सरकार को मिलकर करना है। कौन कितना खर्च करेगा यह तय होने के बाद इस रेल लाइन का काम शुरू होगा।

 

-केंद्रीय विश्व विद्यालय की स्थापना के लिए आपने बड़े प्रयास किए लेकिन अब भी धरातल पर काम शुरू नहीं हो पाया है?

केंद्रीय विश्व विद्यालय की स्थापना दो हिस्सों में होनी है। प्रशासनिक भवन धर्मशाला में और शैक्षिक ब्लॉक देहरा में बनना है। देहरा में विवि के नाम भूमि हो चुकी है। वन भूमि से संबंधित अड़चनें दूर हो चुकी हैं। लगभग सवा 5सौ करोड़ रुपए का बजट इसके काम को शुरू करने के लिए सीयू को मिल भी चुका है। विश्वविद्यालय का साइटपलॉन बनाने का काम चल रहा है। जैसे की यह काम पूरा होगा, इसकी टैंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी। निर्माण एजैंसी को फाइनल कर भवन बनाने का काम उसे सौंप दिया जाएगा। यह प्रक्रिया अंतिम चरण में है।

-देश में किसान आंदोलन को चले हुए एक वर्ष से अधिक का समय हो गया है। सरकार आंदोलन को समाप्त करने के लिए प्रयास करेगी या आप बैठे रहो हम अपना काम करेंगे की नीति पर आगे बढ़ती रहेगी।

सरकार ने 11 बार किसान संगठनों से बात की है। आगे भी बातचीत के दरवाजे सरकार ने खुले रखे हैं। किसान एम.एस.पी. पर खरीद की मांग कर रहे हैं। तो सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य न केवल बरकरार रखे हैं बल्कि इनमें समय-समय पर बढ़ौतरी भी की है। पिछली बार की अपेक्षा इस साल अधिक मात्रा में सरकार ने किसानों से समर्थन मूल्य पर उनके उत्पाद खरीदे हैं। सरकार कई बार आंदोलन को समाप्त करने की अपील कर चुके हैं लेकिन कुछ लोग अपने एजैंडे को आगे बढ़ाने के लिए आंदोलन को चलाए हुए हैं। मोदी सरकार किसानों के साथ थी है और आगे भी खड़ी रहेगी।


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Content Writer

vasudha

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