प्रधानमंत्री के विकसित भारत 2047 विजन से मेल नहीं खाती अमृत भारत नॉन-एसी ट्रेन, वंदे भारत एक्सप्रेस बनाने वाले इंजीनियर हैं इससे नाखुश

punjabkesari.in Tuesday, Jul 22, 2025 - 06:26 PM (IST)

नेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में चार नॉन-एसी अमृत भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई थी। रेलवे की योजना देशभर में ऐसी 100 ट्रेनें चलाने की है। यह नॉन-एसी स्लीपर क्लास ट्रेन है, जिसमें 12 स्लीपर क्लास कोच और 8 जनरल क्लास कोच शामिल हैं। हालांकि, वंदे भारत एक्सप्रेस को बनाने वाली इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) के पूर्व जनरल मैनेजर सुधांशु मणि इस फैसले से सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि विकसित भारत में नॉन-एसी ट्रेनों की कोई जगह नहीं होनी चाहिए।

विकसित भारत में नॉन-एसी ट्रेन क्यों?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुधांशु मणि ने कहा कि अब समय आ गया है कि नॉन-एसी स्लीपर क्लास ट्रेनों को समाप्त किया जाए, क्योंकि ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के विज़न से मेल नहीं खातीं। उन्होंने कहा, "पहले कहा जा रहा था कि रेलवे सिर्फ एसी ट्रेनें बनाएगा। यह आइडिया मुझे सही लगा, क्योंकि इससे गरीब भी एसी में सफर कर सकते हैं। आज गरीबों के पास पैसे कम हैं, तो उन्हें कम किराये में एसी में सफर का मौका मिलना चाहिए। जब देश विकसित हो जाएगा और लोगों की आमदनी बढ़ेगी, तब किराया बढ़ाया जा सकता है।"

गरीबों को बेहतर सुविधा देने की जरूरत
मणि का कहना है कि गरीब बेहतर सुविधा के हकदार हैं और विकसित भारत में नॉन-एसी ट्रेन चलाना शर्मनाक होगा। उन्होंने कहा कि अगर 2047 के बाद भी नॉन-एसी ट्रेनें चलती रहीं, तो यह देश के लिए निराशाजनक होगा। गरीबों को सम्मानजनक और आरामदायक सफर का अधिकार है। सरकार चाहे तो गरीब रथ जैसी कम किराये वाली एसी ट्रेनों का विकल्प दे सकती है।

नुकसान की भरपाई कैसे होगी?
पूर्व अधिकारी ने कहा कि रेलवे को अगर ऐसी सस्ती एसी सेवाओं से नुकसान होता है, तो उसकी भरपाई वंदे भारत जैसी प्रीमियम ट्रेनों से की जा सकती है। उन्होंने सुझाव दिया कि अगर वंदे भारत ट्रेनों की रफ्तार को बढ़ाया जाए, तो लोग ज्यादा किराया देने के लिए तैयार रहेंगे। फिलहाल वंदे भारत की औसत रफ्तार 70–90 किमी प्रति घंटा है, जिसे 100–120 किमी तक बढ़ाया जा सकता है। हाल ही में शुरू की गई अमृत भारत ट्रेन पुश-पुल ट्रेन है, यानी इस ट्रेन के आगे और पीछे दोनों तरफ इंजन लगे होते हैं। रेल मंत्रालय इसे लो-कॉस्ट हाई-स्पीड ट्रेन के रूप में प्रचारित कर रहा है।


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Content Editor

Shubham Anand

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