पिता को खोया, भाई चला गया, बहन कैंसर से जूझ रही... पर हार नहीं मानी, आकाश दीप ने रचा इतिहास
punjabkesari.in Monday, Jul 07, 2025 - 02:05 PM (IST)

नेशनल डेस्क: क्रिकेट की दुनिया में तेज़ी से उभरता नाम आकाश दीप आज इंग्लैंड के एजबेस्टन मैदान पर भारत को जीत दिलाकर सुर्खियों में हैं, लेकिन उनके पीछे छिपी कहानी दर्द, त्याग और अटूट हौसले की मिसाल है। एक तरफ पिता की बीमारी और फिर मौत, दूसरी ओर बड़े भाई की अचानक मौत से टूट चुका परिवार, और अब बहन को कैंसर- लेकिन इन तमाम त्रासदियों के बावजूद आकाश ने न केवल खुद को संभाला, बल्कि देश के लिए इतिहास रच डाला। यह सिर्फ क्रिकेटर बनने की कहानी नहीं है, यह उस नौजवान की दास्तान है जिसने हर दुख को सीढ़ी बनाकर सपनों की ऊंचाइयों को छुआ।
बिहार के रोहतास ज़िले के छोटे से गांव बड्डी से निकलकर टीम इंडिया का हिस्सा बनने वाले तेज़ गेंदबाज आकाश दीप ने इंग्लैंड की धरती पर ऐसा इतिहास रच दिया, जिसकी गूंज अब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सुनाई दे रही है। इंग्लैंड के खिलाफ एजबेस्टन टेस्ट में उन्होंने ऐसी गेंदबाज़ी की, जिसे बरसों तक याद किया जाएगा। पहली पारी में 4 विकेट और दूसरी पारी में 6 विकेट चटकाकर उन्होंने कुल 10 विकेट लिए और भारत की धमाकेदार जीत के हीरो बन गए।
1976 के बाद पहली बार ऐसा कारनामा
आकाश दीप, इंग्लैंड के खिलाफ एक ही टेस्ट में 10 विकेट लेने वाले चंद भारतीय गेंदबाज़ों की फेहरिस्त में शामिल हो गए हैं। इससे भी बड़ी बात ये है कि वो 1976 के बाद पहले भारतीय गेंदबाज़ हैं जिन्होंने इंग्लैंड की पहली पारी में उनके टॉप-5 बल्लेबाज़ों में से चार को आउट किया।
उनके पिता चाहते थे कि बेटा सरकारी नौकरी करे, लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था। जब आकाश क्रिकेट की तरफ बढ़ रहे थे, तभी 2015 में पिता को पैरालिसिस हुआ और उनका निधन हो गया, और दो महीने के भीतर ही बड़े भाई की भी मलेरिया से मौत हो गई। आर्थिक हालत खराब हो गई और पूरे परिवार की जिम्मेदारी आकाश पर आ गई, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
बहन को समर्पित किया प्रदर्शन
मैच के बाद आकाश दीप ने बताया कि उन्होंने ये शानदार प्रदर्शन अपनी बड़ी बहन ज्योति सिंह को समर्पित किया है, जो कैंसर से जूझ रही हैं। लखनऊ में रह रहीं उनकी बहन की बीमारी ने उन्हें अंदर से झकझोर दिया है, लेकिन उन्होंने दर्द को ताकत में बदल दिया।
आकाश दीप ने अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत बिहार के सासाराम से की, लेकिन सीमित संसाधनों और मौके की कमी के चलते उन्होंने दुर्गापुर का रुख किया। वहां से उनका सफर उन्हें कोलकाता तक ले गया, जहां असली संघर्ष और पहचान की शुरुआत हुई। बंगाल की अंडर-23 टीम में मौका मिलने के बाद उन्होंने 2017-18 के सीज़न में शानदार प्रदर्शन करते हुए 42 विकेट झटके और चयनकर्ताओं का ध्यान खींचा।