ऑफ द रिकॉर्डः सरकारी बंगलों में ही रहेंगे आडवाणी व जोशी

punjabkesari.in Tuesday, Aug 06, 2019 - 05:39 AM (IST)

नेशनल डेस्कः वरिष्ठ लेकिन सक्रिय राजनीति से लगभग बाहर हो चुके एल.के. अडवानी और मुरली मनोहर जोशी इस संबंधी भाग्यशाली हैं कि मोदी सरकार ने उन्हें एक लाभ दिया है। हालांकि उन्हें लोकसभा चुनाव में पार्टी की ओर से टिकट नहीं दिया गया था लेकिन मोदी सरकार ने उन्हें उनके सरकारी बंगलों में बसे रहने की इजाजत दे दी है। यह फैसला कैबिनेट कमेटी ऑन अकम्मोडेशन द्वारा लिया गया है। क्योंकि इन दोनों को जैड प्लस सुरक्षा मिली हुई है। इसलिए यह महसूस किया गया कि उन्हें आवास बदलने के लिए न कहा जाए। ये दोनों लोग अब सांसद नहीं हैं लेकिन अडवानी और जोशी क्रमश: 30 पृथ्वीराज रोड और 6 रायसिना रोड आवास में बने रहेंगे।
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उल्लेखनीय है कि प्रियंका गांधी वाड्रा भी सुरक्षा कारणों से लोधी एस्टेट आवास में रह रही हैं। उन्हें एस.पी.जी. सुरक्षा मिली हुई है। इसके अलावा कुछ अन्य लोगों को भी सुरक्षा कारणों से सरकारी घर मिले हुए हैं। हालांकि सरकारी बंगलों में अनधिकृत तरीके से रह रहे कुछ अन्य लोगों प्रति सरकार ने सख्ती दिखाई है। 27 पूर्व मंत्रियों सहित कई पूर्व सांसदों को सरकारी आवास छोड़ने को कहा गया है। संसद का गठन हुए 2 महीने हो चुके हैं और 265 नव निर्वाचित सांसद अभी भी अपने घरों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। पूर्व सांसदों को कहा गया है कि उन्हें आगे कोई समय नहीं मिलेगा क्योंकि नव निर्वाचित सांसदों को तुरन्त घरों की जरूरत है। 
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इस संबंधी लोकसभा में एक बिल पास किया गया है जिस तहत सांसदों सहित जनसेवकों को उनकी रिटायरमैंट के 3 कार्य दिवसों के भीतर अपने घर खाली करने होंगे। राज्यसभा में पास होने के बाद यह बिल कानून का रूप ले लेगा। लुटियंस दिल्ली में इस समय कुछ लोगों में परेशानी का माहौल है क्योंकि कुछ नेताओं को चुनाव हारने और मंत्री पद खोने के बाद भी सरकारी घरों में बने रहने की आदत पड़ी हुई है। 
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अरुण जेतली, सुषमा स्वराज, मनोज सिन्हा और कुछ अन्य लोगों ने निर्धारित समय में अपने घर छोड़ दिए हैं जबकि कुछ अन्य अभी इंतजार कर रहे हैं। कलराज मिश्र जैसे कुछ पूर्व मंत्री राज्यपाल बन चुके हैं। पूर्व जद (यू) नेता शरद यादव जो 7 तुगलक रोड में रहते रहे हैं अपने मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि वे पूर्व सांसद हैं। मल्लिकार्जुन खडग़े के साथ भी ऐसी ही स्थिति है जो लोकसभा चुनाव हार चुके हैं लेकिन उन्हें कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष चुने जाने की उम्मीद है।


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Pardeep

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