लखनऊ: लोकबंधु अस्पताल में भीषण आग का तांडव, डॉक्टरों और स्टाफ ने बचाई कई मरीजों की जान
punjabkesari.in Tuesday, Apr 15, 2025 - 10:01 AM (IST)

नेशनल डेस्क. सोमवार रात लखनऊ के लोकबंधु अस्पताल में उस समय हड़कंप मच गया, जब दूसरे मंज़िल पर अचानक आग लग गई। आग महिला मेडिसिन वार्ड के पास एक बंद कमरे से शुरू हुई और कुछ ही देर में आसपास के हिस्सों में फैल गई। आग की वजह से पूरे अस्पताल में धुआं भर गया, जिससे माहौल और ज़्यादा डरावना हो गया।
डॉक्टरों और स्टाफ ने दिखाई बहादुरी
आग की जानकारी मिलते ही अस्पताल का स्टाफ तुरंत हरकत में आया। डॉक्टर, नर्सें और सफाईकर्मी जान की परवाह किए बिना धुएं और आग के बीच मरीजों को बाहर निकालने में जुट गए। उन्होंने इलाज से जुड़ी ज़रूरी दवाइयां और उपकरण भी सुरक्षित जगह पहुंचाए।
ICU से मरीज निकालना रहा सबसे मुश्किल
सबसे ज्यादा परेशानी ICU में भर्ती मरीजों को बचाने में आई, क्योंकि वहां ऑक्सीजन की आपूर्ति पर असर पड़ा। धुएं से हालात और बिगड़ गए थे, लेकिन डॉक्टर और नर्सें कपड़े से मुंह ढंककर ICU में घुसे और एक-एक मरीज को स्ट्रेचर और व्हीलचेयर की मदद से बाहर लाए।
इस बीच खबर है कि ICU में भर्ती 61 वर्षीय राजकुमार प्रजापति की मौत हो गई। वह हुसैनगंज के छितवापुर इलाके के निवासी थे और 13 अप्रैल को भर्ती हुए थे। बताया जा रहा है कि ऑक्सीजन की कमी की वजह से उनकी जान गई, हालांकि प्रशासन ने उनकी मौत की पुष्टि नहीं की है। परिजनों ने मीडिया को बताया कि वह हादसे के समय ICU में ही थे।
दमकल विभाग और प्रशासन का बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन
आग लगने की सूचना मिलते ही शहर के अलग-अलग फायर स्टेशनों से करीब 12 दमकल गाड़ियाँ और 2 हाइड्रोलिक मशीनें मौके पर पहुंचीं। दमकल कर्मियों ने तेजी से काम शुरू किया और रात करीब 1 बजे तक आग पर काबू पा लिया गया।
रेस्क्यू ऑपरेशन में पुलिस, स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम और दमकल विभाग के कर्मचारी पूरी रात लगे रहे। हालात को गंभीर देखते हुए लखनऊ के जिलाधिकारी, मंडलायुक्त, DG हेल्थ और कई पुलिस अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए। अस्पताल में लगी सीजफायर प्रणाली से आग बुझाने की कोशिश की गई, लेकिन वह काम नहीं आई।
मरीजों को अन्य अस्पतालों में किया गया शिफ्ट
डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने घटनास्थल पर पहुंचकर राहत कार्यों का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि हादसे के समय अस्पताल में करीब 200 मरीज भर्ती थे, जिन्हें सुरक्षित निकालकर सिविल अस्पताल KGMU और बलरामपुर अस्पताल में भेजा गया। उन्होंने कहा कि भगवान की कृपा से कोई बड़ी जनहानि नहीं हुई और सभी मरीजों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।
मानवता और हिम्मत की मिसाल बनी ये रात
पूरी रात अस्पताल में अफरा-तफरी मची रही, लेकिन डॉक्टरों, नर्सों और अन्य कर्मचारियों ने जज्बे और साहस से काम किया। वह काबिले तारीफ है। कुछ नर्सें धुएं के बीच दौड़ती रहीं और मरीजों को सही रास्ता दिखाती रहीं। कई कर्मचारी जरूरी दवाइयों, फाइलों और उपकरणों को बचाने में लगे रहे।