मातम में बदली रक्षाबंधन की खुशियां, मंदिर की दीवार गिरने से 7 लोगों की दर्दनाक मौत, एक परिवार तबाह
punjabkesari.in Saturday, Aug 09, 2025 - 05:33 PM (IST)

नेशनल डेस्क: दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के जैतपुर इलाके के हरि नगर में शनिवार सुबह एक बड़ा हादसा हुआ, जिसमें एक पुराने मंदिर की दीवार गिरने से सात लोगों की मौत हो गई और एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया। हादसे में जान गंवाने वालों में एक ही परिवार के चार सदस्य भी शामिल हैं, जिससे पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई है।
कैसे हुआ हादसा?
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, सुबह करीब 7 बजे एक तेज धमाके जैसी आवाज सुनाई दी। जब लोग बाहर आए तो देखा कि मंदिर की एक बड़ी दीवार गिर चुकी थी। दीवार के पास बनी झुग्गियों में रहने वाले लोग मलबे के नीचे दब गए थे। यह सभी परिवार कबाड़ का काम करते हैं और दीवार से सटी झुग्गियों में रहते थे।
बारिश बनी वजह
पुलिस अधिकारी एडिशनल डीसीपी (साउथ-ईस्ट) ऐश्वर्या शर्मा ने बताया कि यह मंदिर काफी पुराना था और दीवार जर्जर हो चुकी थी। रातभर हुई भारी बारिश के कारण दीवार की नींव कमजोर हो गई, जिससे यह गिर पड़ी। मलबे में कुल आठ लोग दबे, जिनमें से सात की मौत हो गई और एक घायल है, जिसका इलाज अस्पताल में चल रहा है।
तेजी से चला राहत और बचाव कार्य
हादसे की जानकारी मिलते ही दमकल विभाग, पुलिस और आपदा प्रबंधन की टीमें मौके पर पहुंचीं। स्थानीय लोगों की मदद से मलबा हटाकर घायलों को बाहर निकाला गया। बचाव कार्य में लोहे के सरिए और भारी ईंटों को काटना पड़ा, जिससे अभियान में काफी समय लगा। बारिश की वजह से बना कीचड़ भी राहत कार्य में बाधा बना।
फिलहाल, इलाके की बाकी झुग्गियों को एहतियातन खाली करवा दिया गया है और मलबे में किसी और के दबे होने की आशंका को देखते हुए सर्च ऑपरेशन जारी है।
लापरवाही का आरोप, जांच के आदेश
शुरुआती जांच में सामने आया है कि मंदिर की दीवार पहले से ही कमजोर थी, लेकिन उसकी मरम्मत नहीं करवाई गई थी। स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार शिकायत के बावजूद प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया। अब इस लापरवाही की कीमत निर्दोष लोगों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी है। पुलिस ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं।
पुरानी इमारतों की हालत पर फिर सवाल
यह हादसा राजधानी दिल्ली में मौजूद पुरानी और जर्जर इमारतों की स्थिति पर फिर से सवाल खड़े करता है। शहर में कई ऐसे धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल हैं जिनकी हालत बेहद खराब है, लेकिन समय पर मरम्मत और देखरेख नहीं होती। विशेषज्ञों का मानना है कि प्रशासन को ऐसे ढांचों का नियमित निरीक्षण करना चाहिए और ज़रूरत पड़ने पर उनकी मरम्मत या पुनर्निर्माण कराना चाहिए।