भारत में टॉप 53 में से 52 ऐप्स यूजर्स को कर रहे हैं गुमराह, निर्णय लेने की क्षमता पर हो रहा असर
punjabkesari.in Saturday, Aug 03, 2024 - 12:54 PM (IST)
नेशनल डेस्क. आजकल हम खाना बनाने से लेकर शॉपिंग करने तक हर काम के लिए स्मार्टफोन के ऐप्स का उपयोग करते हैं। हम इन्हें अपनी जिंदगी को आसान बनाने वाला मानते हैं, लेकिन असल में इन ऐप्स में कुछ खामियां भी हैं। भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) और पैरलल एचक्यू द्वारा की गई एक स्टडी के अनुसार, अधिकांश ऐप्स हमें गुमराह कर रहे हैं। इस स्टडी में शामिल 53 ऐप्स में से 52 ने यूजर इंटरफेस और यूजर एक्सपीरियंस को भ्रामक तरीके से डिजाइन किया है।
इसका मतलब है कि ये ऐप्स हमें गलत जानकारी देते हैं और हमारी निजता में भी दखलअंदाजी करते हैं। ये ऐप्स अक्सर "डार्क पैटर्न" का इस्तेमाल करते हैं, जिसका मतलब है कि वे जानबूझकर ऐसे डिजाइन होते हैं, जो यूजर्स को अपने मनपसंद विकल्प चुनने में मुश्किल डालते हैं या उन्हें अनचाहे विकल्प चुनने के लिए मजबूर करते हैं। इस स्टडी में नेटफ्लिक्स, ओला और स्विगी जैसे बड़े ऐप्स भी शामिल हैं। ये ऐप्स हमारे निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं और हमारी निजी जानकारी की सुरक्षा को भी खतरे में डाल सकते हैं।
इन ऐप्स को यूजर्स को गुमराह करने के लिए 21 अरब बार डाउनलोड किया गया है। एक विश्लेषण में पता चला है कि इन ऐप्स में से 79% में गोपनीयता से जुड़ी समस्याएं थीं।
45% ऐप्स में यूजर इंटरफेस में दखलअंदाजी की गई, जिससे यूजर्स को सही विकल्प चुनने में मुश्किल हुई।
43% ऐप्स ने ड्रिप प्राइसिंग का इस्तेमाल किया, जिसमें सामान की कीमत धीरे-धीरे बढ़ाई जाती है।
32% ऐप्स ने झूठी तात्कालिकता दिखाकर यूजर्स पर दबाव डाला, जैसे कि "अभी ऑफर खत्म होने वाला है" जैसे फर्जी संदेश दिखाए।
ऐप्स हमारे निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित कर रहे हैं। एएससीआई की रिपोर्ट के अनुसार, ये एप्स यूजर्स की स्वायत्तता और निर्णय लेने की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं। ये एप्स भ्रामक तरीकों से यूजर्स को धोखा देते हैं।
शॉपिंग ऐप्स ड्रिप प्राइसिंग और झूठी तात्कालिकता का उपयोग करके दबाव डालते हैं:
ड्रिप प्राइसिंग: इसमें केवल किसी वस्तु की कुल लागत का एक हिस्सा दिखाया जाता है, जिससे यूजर्स को पूरी कीमत का पता नहीं चलता।
अकाउंट डिलीट करने में कठिनाई:
स्टडी के मुताबिक, सभी ई-कॉमर्स ऐप्स ने यूजर्स के लिए अपने अकाउंट को डिलीट करना कठिन बना दिया है।
हेल्थ-टेक ऐप्स में से चार में से पांच ने यूजर्स पर जल्दबाजी करने का दबाव डाला और समय आधारित दबाव बनाकर निर्णय लेने के लिए मजबूर किया।