26/11: उन 'महानायकों' का शुक्रिया, जिनके बलिदान से मुंबई आपात स्थिति से बाहर निकली

punjabkesari.in Sunday, Nov 26, 2017 - 02:49 PM (IST)

नेशनल डेस्कः मुंबई हमले को 9 साल हो गए हैं। इस हमले की दु:खात्मकता कई कारणों से बढ़ जाती है। एक तो ये देश के सबसे हाईप्रोफाइल इलाकों में से एक पर किया गया हमला था। दूसरा आतंकी इन जगहों से ऐसे वाकिफ थे कि जैसे वो यहीं रहते हों। हमले के दौरान सुरक्षा एजेंसियों की हड़बड़ाहट खुलकर समाने आई तो मीडिया की लापरवाही भरी कवरेज से भी आतंकियों को मदद मिली। लेकिन इन सब के बावजूद हमें उन महानायकों का शुक्रिया अदा करना चाहिए जिन्होंने अपनी जीवन का बलिदान देकर मुंबई को आपात स्थिति से बाहर निकाली।
PunjabKesariमुंबई पुलिस को सलाम
हवल्दार तुकाराम ओम्बले। इनकी वजह से कसाब को जिंदा पकड़ा जा सका था लेकिन तुकाराम को कसाब के साथ हुई मुठभेड़ में अपनी जान देनी पड़ी। इसी तरह एन्काउंटर स्पेशलिस्ट विजय सालस्कर, एसीपी अशोक कामटे, एटीएस चीफ हेमंत करकरे भी इस हमले में शहीद हो गए थे। इन लोगों के साथ ही मुंबई पुलिस के वो लोग भी इतने ही सम्मान के हकदार हैं जो उस समय मोर्चे पर नहीं थे मगर कंट्रोल रूम और बाकी जगहों पर काम करते हुए शहर की स्थिति नियंत्रण में लाने की कोशिश कर रहे थे।
PunjabKesariएनएसजी का शुक्रिया
26 नवंबर 2008 के हमले के दूसरे दिन ताज होटल में एनएसजी ने मोर्चा संभाला था। आतंकवादी बंधकों को मारते जा रहे थे और होटल में ग्रेनेड का इस्तेमाल कर रहे थे। एनएसजी कमांडो गजेंद्र सिंह बिष्ट और मेजर संदीप उन्नीकृष्णन को इन आंतकियों से सीधे इनकाउंटर में शहीद होना पड़ा लेकिन इन जांबाजों की बदौलत ताज होटल को हमलावरों से छुड़वाया जा सका।
PunjabKesariडॉग स्क्वॉड की तत्परता
हमले के दौरान जहां हमारे जांबाज उन आतंकियों से लोहा ले रहे थे तो मैक्स सीजर, टाइगर और सुल्तान नाम के इन चार कुत्तों ने 8 किलो आरडीएक्स, 25 ग्रेनेड, चार डेटोनेटर और दूसरे हथियार बरामद करवाए, जिनकी वजह से कई जानें बचीं। सरकार ने इन तीनों को इसके लिए गोल्ड मेडल भी दिया। इनमें से मैक्स सबसे उम्रदराज होने के चलते उसकी 2016 में मौत हो गई। बाकी तीनों मुंबई के एक कैनल में अपना रिटायरमेंट गुजार रहे हैं।
PunjabKesariकैप्टन रवि धर्निधिरका
इनके नाम से बहुत कम लोग परिचित हैं। भारतीय मूल के कैप्टन रवि धर्निधिरका गिनती उन वीरों में से हैं, जिन्होंने ताज होटल में 157 लोगों की जान बचाई थी। यूएस मरीन में कैप्टन रहे धर्निधिरका हमले के वक्त ताज के अंदर एक रेस्टोरेंट में थे। पहले कैप्टन खुद हमलावरों से मुकाबला करना चाहते थे लेकिन आतंकियों के हथियारों के खतरे को देखते हूए उन्होंने बंधकों को सुरक्षित बाहर निकालने का फैसला किया। जलते हुए होटल की 20वीं मंजिल से 157 लोगों को सुरक्षित बाहर निकालना अपने आप में एक बड़ा मिशन था जिसे कैप्टन ने बखूबी अंजाम दिया। इस काम में उनकी मदद दक्षिण अफ्रीका के दो पूर्व कमांडो ने भी की। 


 


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