52 लाख में 160 स्टील के जग... कांग्रेस ने लगाए घोटाले के आरोप तो सरकार ने दी सफाई, कहा- ये तो बस...
punjabkesari.in Wednesday, Jul 16, 2025 - 05:11 PM (IST)

नेशनल डेस्क: छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिले में आदिवासी छात्रावास के लिए 52 लाख रुपए में स्टील के 160 जग खरीदे जाने के आरोपों ने सियासी माहौल गरमा दिया है। कांग्रेस ने इस खरीद को घोटाला बताते हुए भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। हालांकि, आदिवासी विकास विभाग ने सफाई दी है कि यह केवल एक प्रस्ताव था, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया।
एक जग की क़ीमत ₹32,000
— Deepak Baij (@DeepakBaijINC) July 15, 2025
चौंकिए मत, विष्णुदेव की सरकार में सब संभव है।
आदिवासी बच्चों के हॉस्टल के लिए ख़रीदे जाने वाले सामानों के फंड पर भी लगा ग्रहण।
जेम पोर्टल से एक जग ख़रीदा गया — 1 जग ₹32,000 का!
कुल 160 नग जग की क़ीमत ₹51 लाख।
शर्मनाक। pic.twitter.com/MxcuujSSKy
कांग्रेस ने उठाए सवाल, सरकार पर लगाए गंभीर आरोप
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने 15 जुलाई को एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट करते हुए लिखा कि राज्य में एक स्टील जग के लिए 32,000 रुपए का भुगतान प्रस्तावित था। उन्होंने इसे आदिवासी बच्चों के हक पर डाका बताते हुए कहा, "छात्रावासों के सामान की खरीदी में भारी गड़बड़ी हुई है। यह विष्णुदेव सरकार के सुशासन का नमूना है।" बैज ने इस मामले की विस्तृत जांच की मांग की है और कहा कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
पूरे प्रदेश के छात्रावासों में हुई खरीदी की अच्छी तरह जाँच होनी चाहिए और आदिवासी बच्चों के हक़-अधिकार पर ग्रहण लगाने वाले सभी लोगों को सज़ा मिलनी चाहिए।
— Deepak Baij (@DeepakBaijINC) July 15, 2025
₹32 हज़ार रुपए का जग (मग्गा) ख़रीदकर किस प्रकार के सुशासन का परिचय दे रही है विष्णुदेव सरकार? pic.twitter.com/jijGkh3qc1
क्या कहता है विभाग?
विवाद गहराने के बाद छत्तीसगढ़ के आदिवासी विकास विभाग ने बयान जारी कर मामले को "भ्रामक" बताया है। विभाग के अनुसार, फरवरी 2024 में तत्कालीन सहायक आयुक्त संजय कुर्रे द्वारा 160 स्टील जग की खरीद का एक प्रस्ताव जेम पोर्टल पर भेजा गया था, जिसकी अनुमानित लागत करीब 52 लाख रुपए थी। जांच में रेट अधिक पाए जाने पर प्रस्ताव को निरस्त कर दिया गया और कोई ऑर्डर जारी नहीं किया गया। वर्तमान सहायक आयुक्त सूरजदास मानिकपुरी ने स्पष्ट किया कि "इस प्रस्ताव के आधार पर न कोई भुगतान हुआ और न ही कोई सामग्री मंगाई गई।"
राजनीतिक हमला या प्रशासनिक चूक?
कांग्रेस जहां इस प्रस्ताव को लेकर सरकार को घेर रही है, वहीं विभाग का दावा है कि यह केवल एक रद्द हुआ प्रस्ताव था, जिसे कार्यान्वित नहीं किया गया। अब यह मामला राजनीतिक और प्रशासनिक बयानबाज़ी के बीच उलझता नज़र आ रहा है।