बाहर −52°C, अंदर कैबिन तापमान पहुंचा 50°C तक: प्लेन में पैदा हुए ऐसे हालात, कांप उठी यात्रियों की रूह
punjabkesari.in Friday, Jul 11, 2025 - 04:25 PM (IST)

नेशनल डेस्क: अहमदाबाद में हाल ही में हुए एयर इंडिया बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर क्रैश के बाद हवाई यात्रा को लेकर यात्रियों में एक नया डर बैठ गया है। ऐसी ही एक घटना 7 जुलाई 2025 को सामने आई, जब नेवार्क से दिल्ली के लिए उड़ान भरने वाली यूनाइटेड एयरलाइंस की फ्लाइट UA82 में गंभीर तकनीकी खराबी आ गई। संयोग से यह भी एक बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान था।
करीब 45 मिनट की उड़ान और 33,000 फीट की ऊंचाई पर पहुंचने के बाद, जहां बाहर का तापमान -52 डिग्री सेल्सियस था, वहीं विमान के भीतर का माहौल अत्यधिक गर्म होने लगा। पायलट के माथे पर पसीना यह साफ बता रहा था कि सब कुछ ठीक नहीं है। दरअसल, टेकऑफ के बाद विमान के इलेक्ट्रॉनिक्स कूलिंग सिस्टम में खराबी के संकेत मिले थे। यह सिस्टम विमान के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को ठंडा रखने के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है।
पायलट को डर था कि यदि यह सिस्टम पूरी तरह काम करना बंद कर दे, तो नेविगेशन और कम्युनिकेशन सिस्टम से जुड़े इलेक्ट्रॉनिक उपकरण इतने गर्म हो सकते हैं कि विमान पर से नियंत्रण खो सकता है, जिससे उड़ान की सुरक्षा को गंभीर खतरा हो सकता था। स्थिति की गंभीरता को भांपते हुए, पायलट ने तुरंत कोई जोखिम न लेने का फैसला किया और वापस नेवार्क एयरपोर्ट जाने का निर्णय लिया।
जिस समय यह निर्णय लिया गया, विमान अटलांटिक महासागर के ऊपर था। पायलट ने तुरंत नेवार्क एयर ट्रैफिक कंट्रोल को स्थिति और वापस लौटने के फैसले की जानकारी दी। अनुमति मिलने के बाद, पायलट ने यात्रियों को भी तकनीकी खराबी और इमरजेंसी लैंडिंग के बारे में बताया। यह खबर सुनते ही यात्रियों के दिल और दिमाग में 12 जून को अहमदाबाद में हुए प्लेन क्रैश की याद ताजा हो गई। हर कोई सुरक्षित लैंडिंग के लिए प्रार्थना करने लगा।
आखिरकार, रात करीब 11:15 बजे, यूनाइटेड एयरलाइंस की फ्लाइट UA82 नेवार्क लिबर्टी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर सुरक्षित उतर गई। तब जाकर यात्रियों की जान में जान आई और एक बड़ा हादसा टल गया। इस घटना ने एक बार फिर विमानों की तकनीकी जांच और रखरखाव के महत्व पर जोर दिया है।