बिना किसी खर्च के चमत्कारी उपाय से होगा जन्म से तर्पण के दिन तक पापों का नाश

punjabkesari.in Wednesday, Sep 30, 2015 - 09:24 AM (IST)

धर्मशास्त्रों के अनुसार जिस प्रकार जीव ने जन्म लिया है, उसी प्रकार उसकी मृत्यु भी निश्चित है उसी प्रकार जिसकी मृत्यु हुई है उसका जन्म भी निश्चित है। माता-पिता की सेवा को सबसे बड़ा धर्म माना गया है। इसी कारण धर्मशास्त्रों में पितृों के उद्धार हेतु श्राद्ध की अनिवार्यता मानी गई है। 

जन्मदाता माता-पिता को मृत्योपरांत लोग विस्मृत न कर दें इसलिए उनका श्राद्ध करने का विशेष विधान बताया गया है। पितृपक्ष में तीन पीढ़ियों तक के पिता पक्ष के व तीन पीढियों तक के माता पक्ष के पूर्वजों के लिए तर्पण किया जाता है। शास्त्रानुसार श्राद्ध पक्ष भाद्रपद पूर्णिमा से प्रारंभ होकर अश्विन अमावस्या पर समाप्त होता है। इस अवधि में पूर्वजों को भोजन वस्त्र आदि अर्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं।

श्लोक: एकैकस्य तिलैर्मिश्रांस्त्रींस्त्रीन् दद्याज्जलाज्जलीन्।

यावज्¬जीवकृतं पापं तत्क्षणादेव नश्यति।।

अर्थात जो अपने पितृों को तिल मिश्रित जल से तीन-तीन अंजलियां जल की प्रदान करता है, उसके जन्म से तर्पण के दिन तक के पापों का नाश हो जाता है। 


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