शास्त्रों से जानें, कैसे करें द्वितीया का श्राद्ध

punjabkesari.in Saturday, Sep 17, 2016 - 02:18 PM (IST)

शास्त्र कर्म पुराण की श्राद्ध चंद्रिका के माध्यम से वर्णन है कि श्राद्ध से बढ़कर और कोई कल्याण कर वस्तु है ही नहीं इसलिए समझदार मनुष्य को प्रयत्न पूर्वक श्राद्ध का अनुष्ठान करना चाहिए। स्कन्द पुराण के नागर खण्ड में कहा गया है कि श्राद्ध की कोई भी वस्तु व्यर्थ नहीं जाती, अतएव श्राद्ध अवश्य करना चाहिए। अपने पितृगण का तिथि और विधि अनुसार श्राद्ध करने से पितृ प्रसन्न होकर अनुष्ठान कर्ता की आयु को बढ़ा देते हैं। साथ ही धन धान्य, संतान तथा यश प्रदान करते हैं। पितृगण श्राद्ध से तृप्त होकर आयु, धन, विद्या, स्वर्ग, मोक्ष, राज्य एवं अन्य सभी सुख प्रदान करते हैं। 
  
द्वितीया के श्राद्ध नियम: द्वितीया के श्राद्ध कर्म में दो ब्राह्मणों को भोजन करवाने का मत है। अगर ब्राह्मण एक ही हो तो दूसरे ब्राहमण के रूप में दामाद,  नाती अथवा भानजा सम्मिलित करने के निर्देश दिए गए हैं। भोजन के उपरान्त सभी को यथाशक्ति वस्त्र, धन दक्षिणा देकर उनको विदा करते समय आशीर्वाद लेना चाहिए। श्राद्ध सम्पन्न होने के पश्चात कौवे, गाय, कुत्ते तथा भिखारियों को भी यथा संभव भोजन वितरित करना चाहिए। अगर आप से जीवन में जाने अनजाने कोई अशुद्ध कर्म हो जाए तो पितृपक्ष में पितृगण का विधिपूर्वक ब्राह्मण को बुलाकर दूब, तिल, कुशा, तुलसीदल, फल, मेवा, दाल-भात, पूरी पकवान आदि सहित अपने दिवंगत माता-पिता, दादा ताऊ, चाचा, पड़दादा, नाना आदि पितरों का श्रद्धापूर्वक स्मरण करके श्राद्ध करने से सारे पाप कट जाते हैं। यह भी ध्यान रहे कि ये सभी श्राद्ध संबंधित पितरों की दिवंगत तिथियों में ही किए जाएं। 
 
कैसे करें द्वितीया श्राद्ध: इस दिन दो ब्राह्मणों को घर पर बुलाकर उनका सत्कार करें। मित्रों के निमित काली मिर्च युक्त लौकी की खीर, पूड़ी, हरी सब्ज़ी,  बादाम का हलवा  तुलसी पत्र रखकर भागवत गीता के पंचम अध्याय का पाठ  करें। पूजा में तिल के तेल का दीपक जलाएं। मिश्री का भोग लगाएं। पूजा के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं, हार वस्त्र भेंट करें, कांस्य के बर्तन भेंट करें। ईलायची और लौंग खिलाकर दक्षिणा भेंट करें। चरण स्पर्श कर आशीर्वाद जरूर लें।
 
आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

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