94 साल से ऑस्ट्रेलिया में चल रहा है दुनिया का सबसे लंबा वैज्ञानिक प्रयोग, अब तक गिरी सिर्फ 9 बूंदें

punjabkesari.in Saturday, Nov 16, 2024 - 09:58 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क. दुनिया भर में वैज्ञानिक प्रयोगों की एक लंबी सूची है, जिनका उद्देश्य नई खोज और अनुसंधान के जरिए मानवता के लिए कुछ नया करना है। इन प्रयोगों की अवधि आम तौर पर कुछ सालों तक होती है, लेकिन ऑस्ट्रेलिया में एक ऐसा प्रयोग है, जो 94 साल से चल रहा है और इसे दुनिया का सबसे लंबा वैज्ञानिक प्रयोग माना जाता है। इस प्रयोग का नाम 'पिच ड्रॉप' है और इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी दर्ज किया गया है।


"पिच ड्रॉप" प्रयोग का इतिहास

इस प्रयोग की शुरुआत 1927 में क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर थॉमस पर्नेल ने की थी। हालांकि इस प्रयोग को तकनीकी रूप से 1930 से मान्यता मिली है, लेकिन इसकी शुरुआत 1927 में हुई थी। पर्नेल का उद्देश्य यह जानना था कि अत्यधिक चिपचिपे (गाढ़े) तरल पदार्थ जैसे पिच (जो कोलतार जैसा दिखता है) में समय के साथ कितना बदलाव आता है।

क्या है 'पिच ड्रॉप' 

इस प्रयोग में कोलतार की तरह लगने वाले पिच नाम के चिपचिपे तरल पदार्थ को एक फ्लास्क में रख दिया गया है। उसकी बूंदें नीचे गिरने के लिए छोड़ दी गई हैं। प्रयोग के तहत यह जानने की कोशिश की जा रही है कि आखिर पिच की एक बूंद कितने साल बाद नीचे गिरती है।

अब तक गिरी 9 बूंदें

अब तक इस प्रयोग में कुल 9 बूंदें नीचे गिरी हैं। सबसे पहली बूंद 1938 में गिरी थी। इसके बाद से बूंदों का गिरना बहुत ही धीमी गति से जारी रहा। दूसरी बूंद 1947 में गिरी और नौवीं बूंद 2014 में गिरने का रिकॉर्ड बना। इस तरह से यह प्रयोग अब तक लगातार जारी है और वैज्ञानिकों का मानना है कि यह प्रयोग अगले 100 सालों तक भी जारी रह सकता है।


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Content Editor

Parminder Kaur

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