क्या ‘गुलाम’ बन जाएगा ब्रिटेन? बदलती डेमोग्राफी और बढ़ते अप्रवासियों के बीच क्या है खतरा?
punjabkesari.in Tuesday, Sep 16, 2025 - 12:25 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः ब्रिटेन, जो सदियों तक दुनिया के कई हिस्सों पर राज करता रहा, आज एक नए बदलाव और डर के दौर से गुजर रहा है। हाल ही में लंदन की सड़कों पर लाखों लोगों ने ‘यूनाइट द किंगडम’ नाम की रैली निकाली और अप्रवासियों के खिलाफ जोरदार विरोध जताया। वे मानते हैं कि बढ़ती अप्रवासी आबादी उनकी आज़ादी और पहचान को खतरे में डाल रही है।
लंदन की सड़कों पर बड़ा विरोध प्रदर्शन
यह विरोध प्रदर्शन वेस्टमिंस्टर ब्रिज से शुरू होकर ब्रिटेन की सड़कों पर फैल गया। आयोजकों का दावा है कि इस प्रदर्शन में लगभग दस लाख लोग शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए कहा कि वे अपने देश को वापस चाहते हैं और अप्रवासियों को वापस भेजा जाना चाहिए। खासतौर पर इंग्लिश चैनल पार कर आए अवैध अप्रवासियों को रोकने की मांग की गई।
ब्रिटेन के मूल नागरिकों की घटती संख्या, बढ़ती अप्रवासी आबादी
ब्रिटेन की जनसंख्या में मूल ब्रिटिश नागरिकों की हिस्सेदारी लगातार घटती जा रही है। रिपोर्ट्स के अनुसार, वर्तमान में ब्रिटेन की आबादी में लगभग 73% लोग मूल निवासी हैं, जो 2050 तक घटकर 57% और 2063 तक 50% से नीचे आ जाएगी। 2075 तक यह घटकर 44% और सदी के अंत तक केवल 33% रह सकती है। इस बदलाव को लेकर ब्रिटेन के मूल नागरिकों में गहरी चिंता और डर व्याप्त है कि कहीं वे अपने देश में अल्पसंख्यक न बन जाएं।
अप्रवासियों का बड़ा सैलाब: 2022-23 में लाखों पहुंचे ब्रिटेन
पिछले कुछ वर्षों में ब्रिटेन में अप्रवासियों की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई है। 2022 में लगभग 7 लाख 64 हजार अप्रवासी पहुंचे, जबकि 2023 में यह संख्या लगभग 6 लाख 85 हजार रही। इसी साल जून तक एक लाख से अधिक लोगों ने शरण मांगने के लिए आवेदन किया है। इस तेजी से बढ़ती अप्रवासी संख्या को लेकर ब्रिटिश जनता में आर्थिक अवसरों और सांस्कृतिक पहचान को लेकर असुरक्षा की भावना बढ़ी है।
ब्रिटेन में मुस्लिम आबादी में तेजी से वृद्धि
ब्रिटेन में मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ रही है। 2001 में यहां लगभग 16 लाख मुस्लिम थे, जो कुल आबादी का मात्र 3% था। अब उनकी संख्या बढ़कर लगभग 40 लाख (6.5%) हो गई है। अनुमान है कि 2050 तक मुस्लिम आबादी 1 करोड़ 40 लाख तक पहुंच सकती है, जो कुल आबादी का 17.2% होगी। इस बढ़ोतरी ने कई लोगों में डर और चिंता पैदा कर दी है। ब्रिटेन में लगभग 85 शरिया अदालतें भी संचालित हो रही हैं, जो पश्चिमी देशों में सबसे अधिक हैं।
बढ़ती नफरत और सामाजिक तनाव
2024 में मुस्लिम विरोधी नफरत के लगभग 6,300 मामले दर्ज किए गए, जो पिछले साल की तुलना में 43% अधिक हैं। लंदन, बर्मिंघम जैसे बड़े शहरों में मुस्लिम आबादी लगभग 15 से 20 प्रतिशत के बीच पहुंच चुकी है। इसी का हवाला देते हुए दक्षिणपंथी नेता टॉमी रॉबिन्सन ने लंदन में विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया।
राजनीतिक विवाद और अलग-अलग राय
ब्रिटेन में लेबर पार्टी की सरकार है, जिसे अप्रवासियों के पक्ष में माना जाता है। प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने इस स्थिति पर कहा कि हिंसा और विभाजन फैलाने वालों के आगे वे झुकेंगे नहीं। दूसरी ओर, टॉमी रॉबिन्सन और उनके समर्थकों को अमेरिकी कारोबारी इलॉन मस्क का भी समर्थन मिला है। मस्क ने कहा कि यूरोप के पास अब कोई विकल्प नहीं बचा है, उन्हें ‘लड़ो या मरो’ की स्थिति का सामना करना होगा।