पाकिस्तान में लड़कियां किस उम्र में करती हैं शादी? इस उम्र तक बन जाती हैं मां, सामने आई चौंकाने वाली सच्चाई
punjabkesari.in Thursday, Sep 04, 2025 - 11:15 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क। पाकिस्तान में कम उम्र में लड़कियों की शादी और जल्दी मां बनने का मुद्दा एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। यूनिसेफ और पाकिस्तान डेमोग्राफिक एंड हेल्थ सर्वे (PDHS) जैसी अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्टों ने इस मुद्दे पर चौंकाने वाले आंकड़े सामने रखे हैं। इन रिपोर्टों के अनुसार पाकिस्तान में बड़ी संख्या में लड़कियों की शादी कम उम्र में ही कर दी जाती है जिससे उनके स्वास्थ्य और भविष्य पर बुरा असर पड़ता है।
कम उम्र में शादी और जल्दी मातृत्व
21% लड़कियों की शादी 18 साल से पहले: यूनिसेफ की रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तान में लगभग 21% लड़कियों की शादी 18 साल की उम्र से पहले हो जाती है। ग्रामीण इलाकों में तो यह आंकड़ा और भी अधिक है।
20 साल की उम्र तक मां बनना: यूनिसेफ की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में बड़ी संख्या में लड़कियां 20 साल की उम्र तक एक या दो बच्चों की मां बन जाती हैं।
मातृ मृत्यु दर का खतरा: जल्दी मातृत्व से मातृ मृत्यु दर का खतरा भी बढ़ जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार 15 से 19 साल की लड़कियों की गर्भावस्था और प्रसव में जटिलताओं के कारण मौत होने का खतरा 20 से 30 साल की महिलाओं की तुलना में दोगुना होता है।
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कानून और जमीनी हकीकत में अंतर
पाकिस्तान में बाल विवाह को रोकने के लिए कानून मौजूद तो हैं लेकिन उनका पालन नहीं होता। पंजाब और सिंध प्रांतों में शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल है जबकि खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान जैसे इलाकों में यह अब भी 16 साल मानी जाती है। इसी कानूनी अंतर और सामाजिक दबाव के कारण बाल विवाह पर रोक लगाना मुश्किल हो गया है।
क्या हैं इसके मुख्य कारण?
रिपोर्टों के अनुसार जल्दी शादी के पीछे कई सामाजिक और आर्थिक कारण हैं:
गरीबी: गरीब परिवार जल्दी शादी करके अपनी बेटियों के आर्थिक बोझ को कम करने की कोशिश करते हैं।
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धार्मिक और सामाजिक परंपराएं: कुछ धार्मिक और सामाजिक परंपराओं के कारण भी लड़कियों की शादी कम उम्र में कर दी जाती है।
शिक्षा की कमी: शिक्षा की कमी भी एक बड़ा कारण है क्योंकि बिना शिक्षित हुए लड़कियों के पास जल्दी शादी के अलावा कोई विकल्प नहीं होता।
कम उम्र में शादी से लड़कियों की शिक्षा बीच में ही छूट जाती है जिससे वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं हो पातीं और उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यह पाकिस्तान के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए भी एक बड़ी चुनौती है।