अमेरिका ने नौसेना में शामिल किया खतरनाक हथियार "हिलियॉस", पल भर में तबाह कर देगा चीनी मिसाइलें

punjabkesari.in Monday, Aug 22, 2022 - 11:36 AM (IST)

वॉशिंगटन: अमेरिकी और चीन के बीच कोरोना उत्पति को लेकर चल रही तनातनी अब ताइवान की वजह से और बढ़ गई है। ताइवान को लेकर दोनों महाशक्तियां अब आमने-सामने हैं। ड्रैगन की आक्रमकता का जवाब देने के लिए अब अमेरिकी नौसेना को एक ऐसा ताकतवर हथियार मिला है जो पलभर में ही दुश्‍मन को सबक सिखा देगा। अमेरिकी नौसेना ने ताकतवर डेस्‍ट्रॉयर पहली ऑपरेशनल एंटी-मिसाइल लेजर गन इंस्‍टॉल की है जिसे आने वाले कुछ सालों में टेस्‍ट किया जाना है। 

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कहीड मार्टिन की तरफ से डेवलप इस गन को हिलियॉस का नाम दिया गया है । इस लेजर गन को अमेरिकी नौसेना के डेस्‍ट्रॉयर यूएसएस प्रेबल पर इंस्‍टॉल किया गया है। ये एक हाई-एनर्जी टैक्टिकल लेजर वेपन है जो पल भर में  चीनी मिसाइलों को तबाह करने में सक्षम है। खास बात यह है कि पहली बार है जब अमेरिकी नौसेना को यह हथियार मिला है। हिलियॉस  को अमेरिकी नौसेना अपनी हर वॉरशिप पर तैनात करने की तैयारी कर चुकी है। डेस्‍ट्रॉयर ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा है, 'अब ये जहाज अमेरिकी नौसेना का सबसे खतरनाक युद्धपोत बन गया है।'

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एंटी-मिसाइल लेजर गन के बारे में खास बातें

  • USS प्रेबेल पर इंस्‍टॉल इस लेजर गन को एजिस रडार के साथ रेडी किया गया है।
  • लॉकहीड मार्टिन ने इस लेजर सिस्‍टम को वो हथियार बताया है जो आने वाले दिनों में सबकुछ बदलकर रख देगा।
  • ये लेजर गन क्रूज मिसाइल्‍स को तो खत्‍म कर ही सकती है, साथ ही साथ ड्रोन और छोटी नावों को भी तबाह कर देगी। 
  • ये लेजर गन 60 किलोवॉट की है लेकिन इसे अपग्रेड करके 120 किलोवॉट तक किया जा सकता है। 
  • अमेरिकी मिलिट्री ने लेजर हथियार को डेवलप करने के लिए एक खास प्रोग्राम चलाया है।
  • सेना का मानना है कि इस तरह के हथियारों को डेवलप करने में समय कम लगता है। 
  • इसके अलावा ये गाइडेड मिसाइल या फिर बाकी बंदूकों की तुलना में ज्‍यादा सटीक होती हैं।
  • इस लेजर गन का प्रयोग न सिर्फ टारगेट्स को खत्‍म करने में होगा बल्कि ये एक साथ कई और मिशन भी पूरे कर सकती है। 
  • इसकी लॉन्‍ग रेंज बीम इंटलीजेंस के लिए डाटा जुटा सकती हैं, सर्विलांस को अंजाम दे सकती हैं । 
  • लेजर गन पर एक नहीं बल्कि ऐसे कई उपकरण हैं जो किसी भी बेड़े की सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी हैं। 

 

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सन् 1960 में कैलिफोर्निया के मालीबू में थियोडर मैंमैने ने ह्यूजेस रिसर्च लैब में पहली लेजर को डिवैलप किया था। इसके बाद से ही इसे संभावित सुपरवेपन के तौर पर देखा जाने लगा था। बाकी दूसरे लेजर हथियारों की तरह हिलियॉस लाइट की स्‍पीड से एक साथ कई टारगेट्स को निशाना बना सकती है। इसमें किसी भी तरह के उपकरण का कोई खर्चा नहीं आएगा। साथ ही जब तक इसमें पावर रहेगी तब तक असीमित मात्रा में गोला-बारूद भी सप्‍लाई किया जा सकेगा।

 


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Content Writer

Tanuja

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