सुरक्षा परिषद में ईरान पर नए प्रतिबंधों से पहले कड़ा निर्णय, पश्चिमी देशों ने रूस-चीन का प्रस्ताव ठुकराया
punjabkesari.in Saturday, Sep 27, 2025 - 11:59 AM (IST)

International Desk: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम के कारण उसपर फिर से तत्काल प्रतिबंध नहीं लगाने संबंधी कुछ देशों के अंतिम प्रयास को समय सीमा से एक दिन पहले खारिज कर दिया। यह कदम ऐसे वक्त उठाया गया जब पश्चिमी देशों ने दावा किया कि हफ्तों की बैठकों के बावजूद कोई ठोस समझौता नहीं हो पाया है। ईरान पर फिलहाल प्रतिबंध नहीं लगाने संबंधी प्रस्ताव 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में ईरान के सबसे शक्तिशाली और निकटतम सहयोगी रूस और चीन ने शुक्रवार को पेश किया था। इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए नौ देशों का समर्थन चाहिए था, जो संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को शनिवार से प्रभावी होने से रोकने के लिए आवश्यक था।
संयुक्त राष्ट्र में रूस के उप राजदूत दिमित्री पोल्यान्स्की ने बैठक के दौरान कहा, ‘‘ हमें उम्मीद थी कि यूरोपीय सहयोगी और अमेरिका दो बार सोचेंगे और ब्लैकमेल के बजाय कूटनीति व बातचीत का रास्ता चुनेंगे...इससे क्षेत्र में स्थिति और बिगड़ेगी।'' ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के प्रतिबंधों की बहाली के बाद विदेश में ईरानी संपत्तियों को फिर से ज़ब्त कर लिया जाएगा, ईरान के साथ हथियारों के सौदे रुक जाएंगे और बैलेस्टिक मिसाइल कार्यक्रम जारी रहने पर ईरान पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। इन कदमों से ईरान की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था पर और दबाव पड़ेगा। वहीं ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान ने शुक्रवार दोपहर एक साक्षात्कार में इस फैसले को ‘‘अनुचित, अन्यायपूर्ण और अवैध'' करार दिया। इस कदम से ईरान और पश्चिमी देशों के बीच पहले से जारी तनाव के और बढ़ने की आशंका है।
लेकिन परमाणु अप्रसार संधि से हटने की पिछली चेतावनियों के बावजूद, पेजेशकियान ने पत्रकारों के एक समूह को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि देश का अभी ऐसा करने का कोई इरादा नहीं है। 2003 में इस संधि को छोड़ने वाला उत्तर कोरिया परमाणु हथियार बनाने में लगा हुआ है। चार देशों -चीन, रूस, पाकिस्तान और अल्जीरिया ने एक बार फिर ईरान को यूरोपीय देशों और अमेरिका के साथ बातचीत करने के लिए अधिक समय देने का समर्थन किया। ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने मतदान के बाद कहा, ‘‘अमेरिका ने कूटनीति का पालन नहीं किया, लेकिन यूरोपीय देशों ने तो कूटनीति को दफन ही कर दिया। यह रातोंरात नहीं हुआ। यूरोपीय देश और अमेरिका, दोनों ने ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम को लगातार गलत तरीके से पेश किया है।''
अरागची अपने फ्रांसीसी, ब्रिटिश और जर्मन समकक्षों के साथ अंतिम क्षणों में समझौता करने के लिए बैठकें करते रहे लेकिन ये वार्ताएं निरर्थक साबित हुईं। यूरोपीय देशों ने कहा है कि अगर ईरान कुछ शर्तों का पालन करता है, तो वे समय सीमा बढ़ाने को तैयार हैं। इन शर्तों में ईरान को परमाणु कार्यक्रम पर अमेरिका के साथ सीधी बातचीत फिर से शुरू करना, संयुक्त राष्ट्र के परमाणु निरीक्षकों को अपने परमाणु स्थलों तक पहुंच की अनुमति देना, और उसके पास मौजूद 400 किलोग्राम (880 पाउंड) से ज़्यादा उच्च संवर्धित यूरेनियम का लेखा जोखा देना शामिल है।