संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञों ने पाकिस्तानी कार्यकर्ता खट्टक को दोषी ठहराने का किया विरोध
punjabkesari.in Thursday, Dec 16, 2021 - 02:45 PM (IST)
इंटरनेशनल डेस्कः संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने पाकिस्तान में अग्रणी मानवाधिकार और नागरिक समाज कार्यकर्ता इदरीस खटक को दोषी करार दिए जाने और 14 वर्ष के कारावास की सजा सुनाए जाने के फैसले की निन्दा की है। मानवाधिकार विशेषज्ञों ने सैन्य अदालत में चलाए गए मुकद्दमे की कार्रवाई की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाया है। इदरीस खटक पाकिस्तान के पश्चिमोत्तर प्रान्त में अल्पसंख्यक पश्तून समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिये प्रयासरत हैं और उन्होंने जबरन गुमशुदगी के शिकार लोगों के मामलों पर काफी काम किया है।
उन पर जासूसी में लिप्त होने और देश के हितों व सुरक्षा के विपरीत आचरण करने के आरोप लगाए गए, और पाकिस्तान सेना अधिनियम के अन्तर्गत एक सैन्य अदालत में मुक़दमा चलाया गया। बताया गया है कि फील्ड जनरल कोर्ट मार्शल ने इदरीस खटक को कथित तौर पर गोपनीय ढंग से सजा सुनाई और उनके परिवारजन और वकील को इस सम्बन्ध में कोई जानकारी नहीं दी। स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा, “एक आम नागरिक के तौर पर, उन पर मुकद्दमा एक सिविल अदालत में चलाया जाना चाहिए था।”
बता दें कि पाकिस्तानी अधिकारियों ने पहली बार 16 जून 2020 को यह माना था कि इदरीस खटक उनकी हिरासत में हैं। उनकी ओर से यह स्वीकारोक्ति, इदरीस खटक को कथित रूप से जबरन गायब किये जाने के, सात महीने बाद सामने आई थी मगर यह नहीं बताया गया था कि उन्हें किस स्थान पर रखा गया है।सुरक्षा एजेंसियों ने इदरीस खटक को 13 नवम्बर 2019 को ख़ैबर पख़्तूनख्वाह प्रान्त में अगवा किया था। वह सात महीनों तक जबरन गुमशुदगी का शिकार रहे। पिछले दो वर्षों में, इदरीस खटक का बाहरी दुनिया से सम्पर्क बेहद सीमित रहा है।
खटक के परिवार को उनसे दो ही बार मिलने की अनुमति दी गई जबकि उनके वकील भी मुक़दमे की कार्रवाई शुरू होने से पहले, उनसे दो बार मिले हैं। यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने अपने वक्तव्य में सैन्य अदालत के इस फैसले को पाकिस्तान में मानवाधिकार समुदाय के विरुद्ध हमला बताया है। मानवाधिकार विशेषज्ञोंं के समूह ने इदरीस खटक सहित उन मानवाधिकार व नागरिक समाज कार्यकर्ताओं की रक्षा किए जाने का आग्रह किया है, जिन्हें मानवाधिकारों पर उनके कामकाज के लिए या तो उन्हें गिरफ़्तार किया गया या फिर उन्हें जबरन गायब करा दिया गया।