ट्रंप के सलाहकार नवारो ने भारत पर जताया ब्राह्मणों के जरिए मुनाफाखोरी का आरोप
punjabkesari.in Monday, Sep 01, 2025 - 03:04 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने भारत के रूस से तेल खरीदने को लेकर एक बड़ा और विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि रूस से तेल खरीदने का फायदा भारत का केवल एक छोटा अभिजात्य वर्ग यानी ब्राह्मण उठा रहा है। नवारो ने आरोप लगाया कि यह वर्ग देश के बाकी लोगों की कीमत पर मुनाफाखोरी कर रहा है। उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में चीन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की है।
क्या है नवारो का आरोप?
नवारो ने फॉक्स न्यूज से बातचीत में कहा कि भारत के रिफाइनर रूस से सस्ते दामों पर कच्चा तेल खरीदते हैं, लेकिन उसके बाद उस तेल को महंगे दामों पर विदेशों को बेचकर भारी मुनाफा कमाते हैं। खासतौर पर उन्होंने भारत के ब्राह्मणों को इस मुनाफाखोरी का जिम्मेदार बताया। उन्होंने यह भी कहा कि इस पैसे का इस्तेमाल रूस यूक्रेन युद्ध में कर रहा है, इसलिए इसे रोकना जरूरी है। नवारो ने एक बार फिर कहा कि ट्रंप का भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने का फैसला सही था। उनका मानना है कि भारत की यह नीति अमेरिकी कारोबारियों और यूक्रेनी नागरिकों दोनों के लिए नुकसानदेह है।
चीन और रूस पर भी नवारो का निशाना
पीटर नवारो का यह बयान प्रधानमंत्री मोदी के चीन में एससीओ शिखर सम्मेलन में पुतिन और जिनपिंग से मुलाकात के बाद आया। उन्होंने कहा कि मोदी, पुतिन और जिनपिंग वैश्विक स्थिरता को कमजोर कर रहे हैं। नवारो ने मोदी को "महान नेता" कहा लेकिन साथ ही यह भी कहा कि मोदी का रूस और चीन के साथ घनिष्ठ संबंध समझ से परे है।
नवारो ने भारत की व्यापार नीति की भी कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में सबसे अधिक टैरिफ लगाने वाला देश है। भारत अमेरिका से बहुत सारी चीजें खरीदता है लेकिन अमेरिकी सामान को अपने यहां आसानी से बेचने नहीं देता। इसके चलते अमेरिकी मजदूर और यूक्रेन के लोग दोनों प्रभावित हो रहे हैं।
अमेरिका-भारत संबंधों पर असर
भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते पिछले कुछ समय से तनावपूर्ण हैं। खासकर भारत के रूस से तेल खरीदने के कारण अमेरिका काफी नाराज है। अमेरिका ने भारत पर भारी टैरिफ लगाए हैं लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी नीति नहीं बदलेगा और रूस से तेल खरीदना जारी रखेगा। इससे अमेरिका की नाराजगी और बढ़ गई है।