ट्रंप का पागलपन या फैंटेसी! अब ममदानी के सामने 61वीं बार दोहराया झूठ, भारत बोला-“बस करिए मिस्टर ट्रंप..ये मीटिंग हुई कहां थी?

punjabkesari.in Saturday, Nov 22, 2025 - 12:01 PM (IST)

Washington: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर सुर्खियों में हैं और इस बार कारण वही पुराना, 60 बार दोहराया जा चुका दावा, जिसे भारत कई बार “पूरी तरह झूठा” कहकर खारिज कर चुका है। लेकिन ट्रंप का अपना ही एक रूटीन है वो दावे को छोड़ते नहीं, बल्कि हर मंच पर उसे और भी सजाकर पेश करते हैं। एक कहानी गढ़ना, उसे बार-बार दोहराना और फिर उसे इतना बोलना कि लोग उसे सच मान लें।लेकिन इस बार उनका दावा किसी छोटी बात का नहीं, बल्कि भारत-पाकिस्तान की जंग रोकने वाला है वह भी 61वीं बार।

 

झूठ को सच बनाने को ट्रंप का अलग ही गणित
न्यूयॉर्क के नए मेयर जोहरान ममदानी से व्हाइट हाउस में मुलाकात के दौरान ट्रंप ने फिर वही बात दोहराई:“मैंने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव खत्म कराया था।”दुनिया जानती है कि भारत इसे कई बार सख्ती से झूठ बता चुका है।लेकिन ट्रंप का अलग ही गणित है कि अगर कोई बात बार बार बोल दी जाए, तो शायद वह इतिहास बन जाए।और अब 61वीं बार भी कह दी गई है। व्हाइट हाउस में न्यूयॉर्क के नए मेयर जोहरान ममदानी से मुलाकात के दौरान ट्रंप ने फिर कहा कि उन्होंने मई में भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव “शांत कराया” था। यह बात उन्होंने मीडिया कैमराओं के सामने इतनी सहजता से कही मानो दुनिया को शांति दिलाना उनका रोज़ का काम हो।


 
अमेरिका में  भी ट्रंप के इस दावे पर उठ रहे  सवाल
अमेरिकी राजनीतिक विश्लेषक कह रहे हैं कि ट्रंप बार-बार इस “भारत-पाकिस्तान मध्यस्थता कहानी” को अपनी चुनावी छवि गढ़ने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं, जबकि कोई भी आधिकारिक अमेरिकी दस्तावेज़, बयान या अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड इस दावे की पुष्टि नहीं करता।भारत तो पहले ही साफ बोल चुका है “किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं थी। यह दावा बिल्कुल गलत और भ्रामक है।”फिर भी ट्रंप का ज़ोर इस हद तक है कि उन्होंने 350% टैरिफ की धमकी, मोदी का फोन, और सीज़फायर करवाने जैसी बातें फिर दोहरा दीं।

 

अमेरिकी पत्रकार भी हैरान
कई अमेरिकी पत्रकारों ने इस पर तुरंत सवाल उठाया-अगर यह इतना बड़ा कूटनीतिक पल था, तो व्हाइट हाउस के किसी आधिकारिक दस्तावेज़ में इसका ज़िक्र क्यों नहीं है?”सोशल मीडिया पर इस दावे का वीडियो क्लिप वायरल हो गया है, जिसमें लोग ट्रंप की इस “डिप्लोमैटिक कहानी” को उनकी ऑल-टाइम टॉप फिक्शनल स्टेटमेंट्स में बता रहे हैं।

 

भारत का करारा जवाब
भारत की ओर से भी फिर दोहराया गया कि 7 मई के बाद हुए किसी भी संघर्षविराम या सैन्य निर्णय में अमेरिका का कोई रोल नहीं था। ऑपरेशन सिंदूर पूरी तरह भारतीय सेना की स्वतंत्र कार्रवाई थी, और डीजीएमओ स्तर पर दोनों देशों की सीधी बातचीत से ही हालात शांत हुए थे। भारत का जवाब पहले जैसा ही कड़ा है कि“कोई तीसरा पक्ष शामिल नहीं था। ट्रंप का दावा गलत और भ्रामक है।” अमेरिका का इसमें एक सेकंड का भी रोल नहीं था।

   
ट्रंप की “डिप्लोमैटिक फैंटेसी”
अमेरिका के भीतर भी ट्रंप के इस दावे को “डिप्लोमैटिक फैंटेसी” कहा जा रहा है। सोशल मीडिया पर लोग तो इसे “ट्रंप का जियोपॉलिटिकल फिक्शन-सीज़न 2” कह रहे हैं।जोहरान ममदानी पहले दक्षिण एशियाई और मुस्लिम मेयर ट्रंप के बयान पर शांत खड़े रहे। लेकिन अमेरिकी मीडिया ने तुरंत पूछा:“ट्रंप ने ऐसी कौन-सी डिप्लोमैटिक मीटिंग की थी जो किसी रिकॉर्ड में नहीं है?”ट्रंप ने इसके जवाब में फिर वही बात दोहराई -“मैंने 8 देशों में शांति कराई है।”  “मैंने कहा है, तो यह इतिहास है।”


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Content Writer

Tanuja

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