चीन में मुस्लामनों पर हो रहे अत्याचार का दुनियाभर में हो रहा विरोध, UNHRC की चुप्पी पर उठ रहे सवाल

punjabkesari.in Thursday, Jul 16, 2020 - 07:07 PM (IST)

बीजिंगः चीन के शिनजियांग में रहने वाले उइगर मुसलमानों के साथ होने वाली ज्यादती और अमानवीय व्यवहार बढ़ते ही जा रहे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद  (यूएनएचआरसी)  अब तक इस पर चुप क्यों है?  2006 में संयुक्त राष्ट्र ने मानवाधिकार परिषद की स्थापना की थी। जिसको बनाने का मकसद था दुनिया भर में मानवाधिकारों के रक्षा करना, लेकिन पिछले कुछ समय से परिषद विवादों में बना रहा है। 

दुनिया भर में हो रहा है चीन के डिटेंशन कैंप का विरोध
शिनजियांग में चल रहे इन डिटेंशन कैंप को लेकर पूरी दुनिया में विरोध होने शुरू हो गए हैं। अमेरिका ने उइगर, कजाख समेत दूसरे मुसलमानों के साथ हो रहे अत्याचार को लेकर कई चीनी अधिकारियों के खिलाफ प्रतिबंध लगा दिए हैं। चीनी अधिकारियों ने कम से कम 518 प्रमुख उइगर धार्मिक इमामों को हिरासत में लिया है।

  • उइगर मुस्लिमों को नमाज पढ़ने से रोका जा रहा है।
  • कुरान नहीं पढ़ने दिया जा रहा।
  • इसके अलावा रमजान के वक्त रोजा भी नहीं रखने दिया गया था।


61 वर्षीय चीनी सरकार द्वारा दक्षिणी शिनजियांग में काशगर शहर के येंगिसार काउंटी में एक पड़ोसी मस्जिद में नमाज़ पढ़ने के लिए हिरासत में लेने से पहले काम किया गया। उनका परिवार चीनी सरकार के इस आरोप को खारिज करता है कि वह उइगरों के बीच चरमपंथ फैला रहा। मेरे पिता एक शांतिपूर्ण और कानून का पालन करने वाले धार्मिक व्यक्ति हैं। अब्दुकेरिम ने कहा कि 2016 के अंत तक उनके पिता को चीनी सरकार द्वारा वेतनभोगी किया गया था, जब नव नियुक्त कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख, चेन क्वांगो ने शिनजियांग पर बीजिंग के शासन को और अधिक लागू करना शुरू किया।

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चीन अमेरिका हुए आमाने-सामने
उइगर मुस्लमानों के मुद्दे को लेकर दोनों देश आमने सामने हो गए हैं। जहां अमेरिका ने चीनी अधिकारियों पर मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर बैन लगा दिया वहीं, चीन ने भी अमेरिका के कुछ शीर्ष अधिकारियों और नेताओं पर वीजा प्रतिबंध लगा दिया। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिकी अधिकारियों व नेताओं का आचरण और उइगर मुस्लिम बहुल प्रांत शिनजियांग के कुछ अधिकारियों के खिलाफ वीजा प्रतिबंध ने चीन-अमेरिका संबंधों को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। शिनजियांग पूरी तरह से चीन का आंतरिक मामला है, और अमेरिका को इसमें हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। आपको बता दें कि ऐसा पहली बार हुआ है जब चीन ने शिनजियांग, तिब्बत और हाल में हांगकांग संबंधी नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को लेकर अमेरिकी प्रतिबंधों के जवाब में शीर्ष अमेरिकी राजनेताओं पर प्रतिबंध लगाया है। इसके इलावा एक कार्यक्रम में अमेरिका ने भारत द्वारा चीन की एप्स पर लगाए गए प्रतिबंध का समर्थन करते हुए इसे करारा जवाब बताया था। 

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बता दें कि मुस्लिम आबादी घटाने के लिए चाइनीज सरकार उइगर और दूसरे अल्पसंख्यकों समुदायों के जन्मदर को बर्बरतापूर्वक नियंत्रित कर रही है। एक तरफ मुस्लिम बच्चों को जन्म लेने से रोका जा रहा है, तो दूसरी तरफ देश में हान बहुसंख्यकों को अधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। शिनजियांग के सुदूर पश्चिमी क्षेत्र में पिछले चार साल से चलाए जा रहे अभियान को कुछ विशेषज्ञ एक तरह से ''जनसांख्यिकीय नरसंरहार'' करार दे रहे हैं। साक्षात्कार और आंकड़े दिखाते हैं कि यह प्रांत अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं को नियमित तौर पर गर्भावस्था जांच कराने को कहता है, उन्हें इंट्रायूटरिन डिवाइस (आयूडी) लगवाने के अलावा नसबंदी करवाने और लाखों महिलाओं को गर्भपात कराने के लिए भी मजबूर करता है।
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देश भर में जहां आईयूडी के इस्तेमाल और नसबंदी में गिरावट आई है वहीं शिनजियांग में ये तेजी से बढ़ रहे हैं। जनसंख्या नियंत्रण के इन उपायों पर जोर बड़े पैमाने पर लोगों को हिरासत में लेकर दिया जाता है। निरोध केंद्र में भेजे जाने को धमकी के साथ ही जन्म दर पर काबू करने में विफल रहने पर दी जाने वाली सजा का इसके लिए इस्तेमाल किया जाता है। 

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Yaspal

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