रोहिंग्या संकट के तीन सप्ताह बाद भी पलायन जारी, शरणार्थियों को मदद की आस

punjabkesari.in Friday, Sep 15, 2017 - 12:06 PM (IST)

कॉक्स बाजार(बांग्लादेश): म्यामां में हिंसा के कारण बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुस्लिमों के पलायन के करीब तीन सप्ताह बाद बांग्लादेश सीमा पर हजारों लोग शरणार्थी बस्तियों में मदद और सुरक्षा की बाट जोह रहे हैं। विश्व भर में इस संकट की आलोचना की जा रही है।
PunjabKesariसंयुक्त राष्ट्र के अधिकारी म्यामां से जातीय सफाए के अभियान को रोकने की मांग कर रहे हैं जिसके तहत करीब 400,000 रोहिंग्या लोगों ने राखिन प्रांत से पलायन किया है।  पुलिस ने बताया कि रोहिंग्या शरणार्थियों को बांग्लादेश के सीमावर्ती शहर टेकनाफ लाने वाली दर्जनों नौकाओं में से एक को कल पकड़ा गया और कम से कम दो लोग डूब गए। इस घटना के बाद इस संकट के शुरू होने से लेकर अब तक नाव नदी में डूबने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 88 हो गई है। एक रोहिंग्या व्यक्ति ने बताया कि उनके गांव राशिडोंग में छह दिन पहले म्यामां सैनिकों और पुलिस ने हमला किया। 
PunjabKesariअब्दुल गोफ्फार ने कहा,‘‘जब सेना और पुलिस ने हमारे गांव को घेरा और आग लगाने के लिए हम पर रॉकेट लॉन्चरों से हमला किया तो हम अपने गांव से भागे और जहां भी रास्ता मिला, हम उसी दिशा में बढ़ते गए।’’ म्यामां के राष्ट्रपति कार्यालय के प्रवक्ता जाव ते ने कहा कि राखिन के तीन शहरों में 471 ‘‘बंगाली’’ गांवों में से 176 गांवों में अब वीरानी छाई हुई है जबकि कम से कम 34 और गांव आंशिक रूप से खाली हैं।
PunjabKesariम्यामां ने रोहिंग्या पर खुद अपने घरों और गांवों को फूंकने का आरोप लगाया है जिसकी संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने यह कहकर आलोचना की कि ‘‘यह सच्चाई को पूरी तरह से खारिज करना है।’’ संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कल विश्व संस्था के मुख्यालय में संवाददाताओं को बताया कि बीते 24 घंटे में करीब 10,000 लोगों के सीमा पार जाने की खबर है।   


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