पुतिन-ट्रंप मुलाकात पर टिकी दुनिया की नजर: अलास्का में हो रही अहम बातचीत में कौन क्या चाहता है?
punjabkesari.in Friday, Aug 15, 2025 - 11:59 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः शुक्रवार को अमेरिका के अलास्का स्थित सैन्य बेस पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच एक बहुप्रतीक्षित बैठक हो रही है। यह यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद किसी रूसी नेता की पहली पश्चिमी यात्रा है और साथ ही यह 10 साल में पहली बार है जब पुतिन अमेरिकी धरती पर कदम रख रहे हैं।
यह बैठक क्यों अहम है?
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यह 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका और रूस के शीर्ष नेताओं के बीच पहली सीधी बातचीत है।
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ट्रंप ने दावा किया है कि वे 24 घंटे में युद्ध खत्म करने का समाधान निकाल सकते हैं।
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रूस की ओर से यह संकेत है कि वह शांति की बात कर रहा है, लेकिन शर्तें इतनी सख्त हैं कि उन्हें ज़्यादातर लोग यूक्रेन का आत्मसमर्पण मानते हैं।
रूस क्या चाहता है?
रूस की स्थिति शांति के लिए बहुत कठोर शर्तों पर आधारित है। जून 2025 में जारी एक ड्राफ्ट 'शांति प्रस्ताव' में पुतिन प्रशासन ने कहा कि:
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यूक्रेन को खेरसॉन, लुगांस्क, ज़ापोरिज़्ज़िया और डोनेत्स्क क्षेत्रों से अपनी सेना हटानी होगी — जिन पर रूस ने 2022 में कब्ज़ा कर लिया था।
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यूक्रेन को नाटो (NATO) में शामिल होने की इच्छा छोड़नी होगी।
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सेना की नई भर्ती पर रोक लगानी होगी।
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पश्चिमी देशों को हथियारों की आपूर्ति तत्काल बंद करनी होगी।
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रूसी भाषी आबादी के अधिकारों की गारंटी देनी होगी।
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तथाकथित ‘नाजी विचारधारा’ को खत्म करने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे।
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और अंत में, पश्चिमी देशों को रूस पर लगाए आर्थिक प्रतिबंध हटाने होंगे।
यूक्रेन और पश्चिमी देशों ने इन मांगों को पूरी तरह खारिज किया है।
यूक्रेन क्या चाहता है?
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की इस बैठक में शामिल नहीं हैं, लेकिन उन्होंने अपनी स्थिति स्पष्ट की है:
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बिना शर्त युद्धविराम की मांग — जमीन, समुद्र और आकाश में।
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सभी युद्धबंदियों की रिहाई, खासकर यूक्रेनी सैनिकों और नागरिकों की।
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अवैध रूप से रूस द्वारा अगवा किए गए बच्चों की वापसी।
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रूस पर प्रतिबंधों को धीरे-धीरे हटाना, और ज़रूरत पड़ने पर उन्हें फिर से लागू करने का विकल्प खुला रखना।
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किसी भी समझौते में भविष्य में रूसी हमले से सुरक्षा की गारंटी होना ज़रूरी।
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यूक्रेनी सेना की तैनाती और संरचना पर कोई बाहरी हस्तक्षेप या प्रतिबंध न हो।
ज़ेलेंस्की का दो टूक कहना है: "यूक्रेन की भागीदारी के बिना कोई भी शांति समझौता वैध नहीं हो सकता।"
ट्रंप और अमेरिका की भूमिका
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जो इस समय पुनः राष्ट्रपति बनने की दौड़ में हैं, ने जनवरी 2025 में सत्ता संभालते ही कहा था कि वे 24 घंटे में युद्ध खत्म कर देंगे। लेकिन 8 महीने बीतने के बाद भी:
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क्रेमलिन (रूसी प्रशासन) से कोई बड़ी रियायत नहीं मिली है।
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ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने कई बार रूस की यात्रा की, लेकिन कोई ठोस परिणाम नहीं निकला।
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ट्रंप ने पहले 'जमीन की अदला-बदली' की संभावना जताई थी, लेकिन बाद में यूरोपीय नेताओं के विरोध के बाद इस पर नरमी दिखानी पड़ी।
ट्रंप का हालिया बयान:"अगर यह पहली बैठक ठीक रही, तो हम जल्दी ही दूसरी करेंगे। अगली बैठक में शायद ज़ेलेंस्की भी हों।"
यूरोप की चिंता और नाराज़गी
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यूरोपीय देश जो यूक्रेन को सैन्य और मानवीय सहायता दे रहे हैं, वे इन वार्ताओं से बाहर रखे गए हैं।
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ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, जर्मनी, पोलैंड, फिनलैंड और यूरोपीय आयोग ने संयुक्त रूप से कहा है: "यूक्रेन के बिना कोई भी शांति समझौता संभव नहीं है।"
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फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने संकेत दिया कि यदि युद्ध रुके तो वे यूक्रेन में शांति सेना भेजने को तैयार हैं — लेकिन रूस ने इस प्रस्ताव को सख्ती से खारिज कर दिया है।