CoHNA का वैश्विक मीडिया पर प्रहारः बांग्लादेश में हिंदू युवक की मॉब लिंचिंग पर दुनिया खामोश क्यों? UN की चुप्पी शर्मनाक
punjabkesari.in Saturday, Dec 20, 2025 - 02:17 PM (IST)
Washington:उत्तर अमेरिका स्थित प्रमुख वैश्विक हिंदू संगठन कोएलिशन ऑफ हिंदूज़ ऑफ नॉर्थ अमेरिका (CoHNA) ने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा और उस पर अंतरराष्ट्रीय मीडिया की चुप्पी को लेकर गंभीर चिंता जताई है। यह प्रतिक्रिया मयमनसिंह जिले के भालुका उपजिला में हिंदू युवक दीपु चंद्र दास की मॉब लिंचिंग के बाद आई है। आरोप है कि ईशनिंदा के झूठे आरोप लगाकर एक इस्लामी भीड़ ने पहले दीपु की बेरहमी से हत्या की, फिर शव को पेड़ से लटकाकर आग लगा दी। CoHNA ने इस जघन्य घटना को “बर्बरता की पराकाष्ठा” बताते हुए कहा कि बांग्लादेश तेजी से एक हिंसक और असहिष्णु राज्य की ओर बढ़ रहा है, जहां हिंदू समुदाय सबसे अधिक निशाने पर है।
अंतरराष्ट्रीय मीडिया व UN की चुप्पी पर सवाल
संगठन ने आरोप लगाया कि घटना के वीडियो और तस्वीरें वायरल होने के बावजूद अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने इस हत्या को लगभग नजरअंदाज कर दिया। CoHNA ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग और अन्य वैश्विक मानवाधिकार संगठनों ने भी इस हत्या पर कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दी। संगठन ने कहा, “यूएन ने एक इस्लामी नेता की हत्या की निंदा तो की, लेकिन दीपु चंद्र दास या अल्पसंख्यकों पर हो रही लगातार हिंसा का कोई ज़िक्र तक नहीं किया। दीपु से उसका सबसे बुनियादी अधिकार जीवन का अधिकार छीन लिया गया, लेकिन वह हिंदू था, इसलिए दुनिया ने आंखें मूंद लीं।”
अमेरिकी दूतावास पर भी सवाल
CoHNA ने यह भी आरोप लगाया कि ढाका स्थित अमेरिकी दूतावास ने सोशल मीडिया पर एक इस्लामी नेता की मौत की निंदा की, लेकिन दीपु चंद्र दास की हत्या पर एक शब्द नहीं कहा। संगठन ने द डेली स्टार और प्रथम आलो जैसे मीडिया संस्थानों पर हुए हमलों और तोड़फोड़ की भी निंदा की, जो बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरता के खिलाफ रिपोर्टिंग जारी रखे हुए हैं।
‘हिंदुत्व’ का ठप्पा लगाने की चेतावनी
CoHNA ने चेतावनी दी कि आने वाले दिनों में दीपु के लिए न्याय मांगने वालों को “हिंदू राष्ट्रवादी”, “हिंदुत्ववादी” या “भारतीय एजेंट” करार दिया जाएगा। संगठन ने कहा कि अकादमिक और तथाकथित उदार वर्ग हिंदूफोबिया के अस्तित्व से इनकार करता रहेगा। अंत में CoHNA ने कहा, “कुछ ही दिनों में दीपु चंद्र दास को दुनिया भूल जाएगी। उसे सिर्फ उसका गरीब परिवार याद रखेगा। बांग्लादेश में यह एक बार-बार दोहराया जाने वाला दुखद पैटर्न है।”
