दक्षिण कोरिया में रातभर हजारों लोगों ने सड़कों पर किया हंगामा; 6 घंटे में पलटा राष्ट्रपति का फैसला, रद्द किया मार्शल लॉ
punjabkesari.in Wednesday, Dec 04, 2024 - 12:28 PM (IST)
International Desk: दक्षिण कोरिया में मंगलवार देर रात एक अप्रत्याशित राजनीतिक घटनाक्रम सामने आया जब राष्ट्रपति यून सुक योल ने देश में मार्शल लॉ लागू करने की घोषणा की। इस फैसले ने जनता और संसद में उथल-पुथल मचा दी। भारी विरोध के बीच मात्र 6 घंटे बाद राष्ट्रपति को अपना फैसला वापस लेना पड़ा। मंगलवार रात 11 बजे, राष्ट्रपति यून सुक योल ने अचानक टेलीविजन पर अपने संबोधन में विपक्षी दलों पर देश विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि विपक्ष उत्तर कोरिया के एजेंडे को बढ़ावा दे रहा है और इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए मार्शल लॉ लागू करना जरूरी है।
इस घोषणा के साथ ही उन्होंने आर्मी जनरल पार्क अन सू को मार्शल लॉ कमांडर नियुक्त किया, जो राजनीतिक गतिविधियों और प्रदर्शनों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने वाले थे। राष्ट्रपति की इस घोषणा ने पूरे देश में हलचल मचा दी। विपक्षी दलों ने तुरंत संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए, जिससे माहौल तनावपूर्ण हो गया। यहां तक कि राष्ट्रपति की अपनी पार्टी, *पीपल्स पावर पार्टी*, ने भी इस फैसले का विरोध किया। संसद में विपक्ष ने इमरजेंसी बैठक बुलाई, और मार्शल लॉ को असंवैधानिक करार दिया। इसके साथ ही प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर सेना की गाड़ियों को रोक दिया और बैरिकेड्स को हटाने लगे। लगातार बढ़ते विरोध और संसद में वोटिंग के बाद राष्ट्रपति यून सुक योल को अपना फैसला वापस लेना पड़ा। सुबह 5 बजे उन्होंने मार्शल लॉ खत्म करने की घोषणा की और सेना को वापस बुलाने का आदेश दिया।
क्या होता है मार्शल लॉ ?
- मार्शल लॉ लागू होने पर सभी राजनीतिक गतिविधियां प्रतिबंधित हो जाती हैं।
- मीडिया और सोशल मीडिया पर सेंसरशिप लागू होती है।
- किसी भी प्रकार की रैली या प्रदर्शन पर पूरी तरह रोक होती है।
- नियमों के उल्लंघन पर सख्त सजा दी जाती है।
दक्षिण कोरिया में 1980 में आखिरी बार मार्शल लॉ लागू हुआ था, जब जनरल चून डू ह्वान ने सख्त कदम उठाए थे। उस समय प्रदर्शनकारियों पर बर्बर कार्रवाई की गई थी। दक्षिण कोरिया के संविधान के मुताबिक, अगर राष्ट्रपति नियमों का उल्लंघन करते हैं, तो उन पर महाभियोग चलाया जा सकता है। इसके लिए संसद के दो-तिहाई यानी 200 सांसदों का समर्थन जरूरी है। हालांकि अभी तक महाभियोग की कोई आधिकारिक प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है, लेकिन जनता और विपक्ष ने राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग तेज कर दी है। इस घटनाक्रम ने दक्षिण कोरियाई राजनीति में राष्ट्रपति यून सुक योल की स्थिति को और अधिक कमजोर कर दिया है।