कराची में कुत्तों का आतंक: 2025 में 29 हजार डॉग बाइट के केस, 19 लोगों की रेबीज़ से मौत

punjabkesari.in Saturday, Dec 20, 2025 - 07:06 PM (IST)

Islamabad: पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची में आवारा कुत्तों का संकट एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा का रूप ले चुका है। वर्ष 2025 में अब तक 29,000 से अधिक डॉग बाइट मामलों की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 19 लोगों की मौत रेबीज़ जैसी घातक बीमारी से हो चुकी है। यह जानकारी पाकिस्तानी अख़बार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के हवाले से सामने आई है।

 

किन इलाकों में सबसे ज्यादा खतरा
कराची के लांधी, कोरंगी, डीएचए, महमूदाबाद, ओरंगी टाउन और मलिर जैसे इलाकों में आवारा कुत्तों की संख्या तेजी से बढ़ी है। स्थानीय निवासियों के मुताबिक, कुत्तों के हमले रोज़मर्रा की ज़िंदगी को प्रभावित कर रहे हैं और लोग घर से निकलने में डरने लगे हैं।  शहर के बड़े अस्पतालों में हालात बेहद चिंताजनक हैं।इंडस अस्पताल में रोज़ाना करीब 150 डॉग बाइट मरीज पहुंच रहे हैं। जनवरी से अब तक यहां 16,000 से अधिक मरीजों का इलाज हुआ, जिनमें 8 की मौत रेबीज़ से हो चुकी है। जिन्ना अस्पताल में भी लगभग 13,000 मामले दर्ज किए गए हैं और 11 मौतें हो चुकी हैं। यहां प्रतिदिन करीब 100 मरीज इलाज और फॉलो-अप के लिए आ रहे हैं।

 

रेबीज़: लक्षण दिखे तो बचना नामुमकिन
इंडस अस्पताल के रेबीज़ प्रिवेंशन क्लिनिक के मैनेजर डॉ. मुहम्मद अफ़ताब गोहर ने बताया कि रेबीज़ एक 100 प्रतिशत जानलेवा बीमारी है, यदि इसके लक्षण सामने आ जाएं।शुरुआती लक्षणों में सिरदर्द और बेचैनी, जबकि आगे चलकर हाइड्रोफोबिया (पानी से डर) और एरोफोबिया (हवा से डर) शामिल हैं। इस अवस्था के बाद दुनिया में कहीं भी इसका इलाज संभव नहीं है।  डॉक्टरों और विशेषज्ञों का कहना है कि कराची में खराब वेस्ट मैनेजमेंट के कारण सड़कों पर कचरे के ढेर लगे हैं, जो आवारा कुत्तों के लिए खाना और ठिकाना बन गए हैं। इससे उनकी आबादी बेकाबू होकर बढ़ रही है।

 

WHO की सलाह  
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, कुत्ते के काटने के तुरंत बाद घाव को कम से कम 10 मिनट तक साबुन और साफ पानी से धोना चाहिए। मध्यम मामलों में 1, 3, 7 और 14 दिन पर वैक्सीन दी जाती है। गंभीर मामलों में रेबीज़ इम्युनोग्लोब्युलिन लगाया जाता है। लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि कई लोग घरेलू नुस्खों या अधूरा इलाज करवाते हैं, जिससे मौत का खतरा बढ़ जाता है।स्थानीय लोगों का कहना है कि महिलाओं को दौड़ाया जा रहा है, बच्चे शिकार बन रहे हैं, और शाम के वक्त साइकिल व बाइक सवारों पर हमले आम हो गए हैं। आवारा कुत्तों को हटाने की कोशिशें नाकाम रही हैं, क्योंकि वे दोबारा लौट आते हैं। ऊपर से कुछ लोग उन्हें खाना भी डालते हैं, जिससे समस्या और बढ़ रही है।

 


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Content Writer

Tanuja

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