क्वाड ने चीन-सोलोमन समझौते पर उठाए सवाल, कहा-चीन पर भरोसा करना मुश्किल

punjabkesari.in Wednesday, Apr 27, 2022 - 01:30 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः क्वाड का ध्यान अचानक दक्षिण चीन सागर या इंडो-पैसिफिक से दक्षिण-पश्चिमी प्रशांत महासागर, सोलोमन द्वीप समूह में 5000 किमी दूर एक छोटे से द्वीप समूह की ओर बढ़ गया है। चीन ने हाल ही में सोलोमन द्वीपों के साथ एक द्विपक्षीय समझौता किया है जिसके बाद पश्चिम देश चिंतित हैं। क्वाड ने चीन-सोलोमन समझौते पर  सवाल उठाते हुए कहा कि इस समझोते को लेकर चीन पर भरोसा करना मुश्किल है। दरअसल क्वाड और पश्चिमी देशों को चिंताहै कि इस समझौते की आड़ में अंततः द्वीपों को चीनी सैन्य अड्डे में बदल दिया जाएगा।

 

नाराज वाशिंगटन ने तुरंत द्वीप के अधिकारियों से बात करने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल सोलोमन भेजा और चेतावनी जारी की कि प्रशांत द्वीप राष्ट्र पर स्थायी चीनी सैन्य उपस्थिति स्थापित करने के किसी भी कदम को अमेरिका  बर्दाश्त नहीं करेगा।  हालांकि  ने अमेरिका क्या एक्शन लेगा यह बताने से इंकार कर दिया है। लेकिन जाहिर तौर पर सोलोमन द्वीप के प्रधान मंत्री मनश्शे सोगावरे ने अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल से कहा कि "यहां चीनका कोई सैन्य अड्डा नहीं होगा, कोई दीर्घकालिक उपस्थिति नहीं होगी, और सुरक्षा समझौते के तहत कोई शक्ति प्रक्षेपण क्षमता नहीं होगी।" 

 

हालांकि, अमेरिका सोलोमन के इस जवाब से संतुष्ट नहीं है, लेकिन वह इस स्तर पर और कुछ करने की स्थिति में नहीं है। इसके सामने अफ्रीका के हॉर्न पर जिबूती का उदाहरण है जहां चीनी ने शुरू में एक सुरक्षा समझौते में प्रवेश किया जो अंततः एक चीनी नौसैनिक अड्डे में विकसित हुआ। इस बीच ऑस्ट्रेलिया की मुख्य विपक्षी पार्टी ने सोलोमन आयलैंड्स पर चीनी सेना की संभावित मौजूदगी के मद्देनजर प्रशांत क्षेत्र के देशों की सेनाओं को प्रशिक्षित करने के वास्ते प्रशांत रक्षा स्कूल खोलने का मंगलवार को वादा किया।

 

विपक्षी दल ‘लेबर पार्टी' की यह घोषणा उन योजनाओं का हिस्सा है जिन्हें उसने 21 मई को होने वाले चुनाव में पार्टी के जीतने पर लागू करने का वादा किया है। पार्टी ने चीन और सोलोमन आयलैंड्स के बीच पिछले सप्ताह हुए सुरक्षा समझौतों को लेकर प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन की सरकार की आलोचना की है। ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका को डर है कि इस समझौते से चीनी नौसेना आस्ट्रेलिया के उत्तरपूर्वी तट से महज दो हजार किलोमीटर से भी कम दूरी पर आ जाएगी। इस बात की भी चिंता जताई जा रही है कि महामारी के कारण आर्थित रूप से कमजोर हुए देशों को भी चीन इस प्रकार के लुभावने प्रस्ताव दे सकता है। 

 

पार्टी के विदेश मामलों के प्रवक्ता पेनी वोंग ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया को प्रशांत क्षेत्र में पसंद के भागीदार के तौर पर अपनी जगह बहाल करने की जरूरत है। वोंग ने कहा, ‘‘हमें स्पष्ट होना चाहिए कि ऑस्ट्रेलिया के समुद्र तट से 2,000 किलोमीटर से कम दूरी पर चीनी ठिकाने की संभावना ऑस्ट्रेलिया के सुरक्षा हितों के लिए हानिकारक है।'' एक नीतिगत बयान में कहा गया कि प्रस्तावित ऑस्ट्रेलिया प्रशांत रक्षा स्कूल ऑस्ट्रेलियाई रक्षा बल तथा उसके क्षेत्रीय सहयोगियों के बीच संस्थागत कड़ी को मजबूत करेगा,साथ ही क्षेत्र की जरूरतों को भी पूरा करेगा।  
 


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Content Writer

Tanuja

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