आईसीईटी की पहली उच्च-स्तरीय बैठक एक ‘‘रणनीतिक प्रवर्तक’’ साबित हो सकती है: विशेषज्ञ
punjabkesari.in Tuesday, Jan 31, 2023 - 10:53 AM (IST)

वाशिंगटन, 31 जनवरी (भाषा) राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल और उनके अमेरिकी समकक्ष जेक सुलिवन के बीच ‘इनीशिएटिव फॉर क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी’ (आईसीईटी) की पहली उच्च-स्तरीय बैठक एक ‘‘रणनीतिक प्रवर्तक’’ साबित हो सकती है और इससे भारत-अमेरिकी संबंध एक नए मुकाम पर पहुंच सकते हैं। विशेषज्ञों ने यह बात कही।
डोभाल और सुलिवन अपने-अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ व्हाइट हाउस में मंगलवार को बैठक करेंगे।
डोभाल आईसीईटी के लिए वाशिंगटन पहुंच गए हैं।
मई 2022 में तोक्यो में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच बैठक के बाद पहली बार एक संयुक्त बयान में आईसीईटी का उल्लेख किया गया था।
‘ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूट थिंक-टैंक’ में ‘द इंडिया प्रोजेक्ट’ की निदेशक तन्वी मदान ने ‘पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘ इस तरह की पहल में अमेरिका-भारत संबंधों को एक नए मुकाम पर ले जाने की क्षमता है। यह एक रणनीतिक प्रवर्तक साबित हो सकता है, लेकिन विशिष्ट प्राथमिकताओं को पहचानना, उसे सुगम बनाना, उन पर नजर रखना महत्वपूर्ण होगा।’’ भारत के प्रतिनिधिमंडल में सचिव स्तर के पांच अधिकारी और उन भारतीय कंपनियों का कॉरपोरेट नेतृत्व शामिल है, जो भारत में कुछ अत्याधुनिक अनुसंधान कर रहे हैं। यह पांच अधिकारी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ, प्रधानमंत्री के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार अजय कुमार सूद, रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार जी. सतीश रेड्डी, दूरसंचार विभाग में सचिव के. राजाराम और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के महानिदेशक समीर वी. कामत हैं।
‘सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज थिंक टैंक’ में ‘वाधवानी चेयर इन यूएस इंडिया पॉलिसी स्टडीज’ के रिचर्ड एम. रॉस्सो ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ आईसीईटी बैठक से काफी उम्मीदें हैं। अंतिम मकसद चीन के साथ प्रतिस्पर्धा में अगली सदी के लिए तकनीकों के निर्माण में हमारी संबंधित क्षमताओं को बेहतर बनाने के लिए मिलकर काम करना है।’’ भारत और अमेरिका ने आईसीईटी के तहत सहयोग के लिए जिन छह क्षेत्रों की पहचान की है, उनमें वैज्ञानिक अनुसंधान एवं विकास, क्वांटम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमता), रक्षा नवाचार, अंतरिक्ष तथा 6जी और सेमीकंडक्टर जैसी उन्नत संचार पद्धतियां शामिल हैं।
साथ ही दोनों देशों के बीच सहयोग सह-विकास तथा सह-उत्पादन के सिद्धांत पर आधारित होगा, जिसे धीरे-धीरे क्वाड (अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान का रणनीतिक समूह), फिर नाटो (उत्तर एटलांटिक संधि संगठन) और फिर यूरोप और बाकी दुनिया में विस्तार दिया जाएगा।
इसका मकसद बाकी दुनिया को ऐसी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियां प्रदान करना है, जो तुलनात्मक रूप से काफी सस्ती हों।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
डोभाल और सुलिवन अपने-अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ व्हाइट हाउस में मंगलवार को बैठक करेंगे।
डोभाल आईसीईटी के लिए वाशिंगटन पहुंच गए हैं।
मई 2022 में तोक्यो में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच बैठक के बाद पहली बार एक संयुक्त बयान में आईसीईटी का उल्लेख किया गया था।
‘ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूट थिंक-टैंक’ में ‘द इंडिया प्रोजेक्ट’ की निदेशक तन्वी मदान ने ‘पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘ इस तरह की पहल में अमेरिका-भारत संबंधों को एक नए मुकाम पर ले जाने की क्षमता है। यह एक रणनीतिक प्रवर्तक साबित हो सकता है, लेकिन विशिष्ट प्राथमिकताओं को पहचानना, उसे सुगम बनाना, उन पर नजर रखना महत्वपूर्ण होगा।’’ भारत के प्रतिनिधिमंडल में सचिव स्तर के पांच अधिकारी और उन भारतीय कंपनियों का कॉरपोरेट नेतृत्व शामिल है, जो भारत में कुछ अत्याधुनिक अनुसंधान कर रहे हैं। यह पांच अधिकारी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ, प्रधानमंत्री के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार अजय कुमार सूद, रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार जी. सतीश रेड्डी, दूरसंचार विभाग में सचिव के. राजाराम और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के महानिदेशक समीर वी. कामत हैं।
‘सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज थिंक टैंक’ में ‘वाधवानी चेयर इन यूएस इंडिया पॉलिसी स्टडीज’ के रिचर्ड एम. रॉस्सो ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ आईसीईटी बैठक से काफी उम्मीदें हैं। अंतिम मकसद चीन के साथ प्रतिस्पर्धा में अगली सदी के लिए तकनीकों के निर्माण में हमारी संबंधित क्षमताओं को बेहतर बनाने के लिए मिलकर काम करना है।’’ भारत और अमेरिका ने आईसीईटी के तहत सहयोग के लिए जिन छह क्षेत्रों की पहचान की है, उनमें वैज्ञानिक अनुसंधान एवं विकास, क्वांटम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमता), रक्षा नवाचार, अंतरिक्ष तथा 6जी और सेमीकंडक्टर जैसी उन्नत संचार पद्धतियां शामिल हैं।
साथ ही दोनों देशों के बीच सहयोग सह-विकास तथा सह-उत्पादन के सिद्धांत पर आधारित होगा, जिसे धीरे-धीरे क्वाड (अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान का रणनीतिक समूह), फिर नाटो (उत्तर एटलांटिक संधि संगठन) और फिर यूरोप और बाकी दुनिया में विस्तार दिया जाएगा।
इसका मकसद बाकी दुनिया को ऐसी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियां प्रदान करना है, जो तुलनात्मक रूप से काफी सस्ती हों।
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