ब्रिटेन से जारी हांगकांग वासियों के पासपोर्ट को मान्यता नहीं दे सकता है चीन
punjabkesari.in Friday, Oct 23, 2020 - 06:52 PM (IST)
बीजिंग, 23 अक्टूबर (एपी) चीन के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि वह हांगकांग के बाशिंदों के लिये ब्रिटेन द्वारा जारी पासपोर्ट को मान्यता नहीं देने का फैसला कर सकता है।
मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि ब्रिटेन ने वादे तोड़े हैं और ब्रिटिश राष्ट्रीय (ओवरसीज) पासपोर्ट के मुद्दे से खिलवाड़ किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि पहले ब्रिटेन ने अपने वादे को तोड़ा है, इसलिए चीन इस पासपोर्ट को वैध यात्रा दस्तावेज के रूप में मान्यता नहीं देने पर विचार करेगा और आगे के उपाय करने का अधिकार भी अपने पास सुरक्षित रखे हुए है। ’’
उल्लेखनीय है कि ब्रिटेन ने मई में कहा था कि वह इस तरह के पासपोर्ट धारकों को विस्तारित अवधि तक रहने की अनुमति देगा और उन्हें नागरिकता मिलने की भी संभावना होगी। इसके बाद, हांगकांग के हजारों बाशिंदे उसके लिये आवेदन करने की खातिर उमड़ पड़े थे।
गौरतलब है कि हांगकांग, 1997 में ब्रिटिश शासन से चीनी शासन के तहत आया था।
ब्रिटेन ने चीन पर आरोप लगाया है कि वह विशेष प्रशासनिक क्षेत्र में नागरिकों की स्वतंत्रता कायम रखने के वादे को निभाने में नाकाम रहा है, जबकि बीजिंग ने कहा है कि लंदन उसके अंदरूनी मामले में हस्तक्षेप कर रहा है।
एपी सुभाष पवनेश पवनेश 2310 1837 बीजिंग
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि ब्रिटेन ने वादे तोड़े हैं और ब्रिटिश राष्ट्रीय (ओवरसीज) पासपोर्ट के मुद्दे से खिलवाड़ किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि पहले ब्रिटेन ने अपने वादे को तोड़ा है, इसलिए चीन इस पासपोर्ट को वैध यात्रा दस्तावेज के रूप में मान्यता नहीं देने पर विचार करेगा और आगे के उपाय करने का अधिकार भी अपने पास सुरक्षित रखे हुए है। ’’
उल्लेखनीय है कि ब्रिटेन ने मई में कहा था कि वह इस तरह के पासपोर्ट धारकों को विस्तारित अवधि तक रहने की अनुमति देगा और उन्हें नागरिकता मिलने की भी संभावना होगी। इसके बाद, हांगकांग के हजारों बाशिंदे उसके लिये आवेदन करने की खातिर उमड़ पड़े थे।
गौरतलब है कि हांगकांग, 1997 में ब्रिटिश शासन से चीनी शासन के तहत आया था।
ब्रिटेन ने चीन पर आरोप लगाया है कि वह विशेष प्रशासनिक क्षेत्र में नागरिकों की स्वतंत्रता कायम रखने के वादे को निभाने में नाकाम रहा है, जबकि बीजिंग ने कहा है कि लंदन उसके अंदरूनी मामले में हस्तक्षेप कर रहा है।
एपी सुभाष पवनेश पवनेश 2310 1837 बीजिंग
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