PoK में हालात विस्फोटक: पाकिस्तान के खिलाफ होने वाला कुछ बड़ा ! एक्शन कमेटी के ऐलान ने बढ़ाई सरकार की टेंशन
punjabkesari.in Sunday, Sep 28, 2025 - 04:45 PM (IST)

Peshawar: पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में हालात तेजी से बिगड़ते दिख रहे हैं। नीलम वैली पब्लिक एक्शन कमेटी ने बड़ा ऐलान करते हुए पूरे क्षेत्र में शटडाउन और हड़ताल की घोषणा कर दी है। यह कदम स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क और स्वच्छ पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं की वर्षों से हो रही अनदेखी और सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाया गया है।
कमेटी के नेता शौकत नवाज़ मीर ने कहा-“लोगों का सब्र अब आखिरी हद पर है। यह बंद हमारी मजबूरी नहीं, बल्कि लापरवाह हुकूमत के खिलाफ सीधा प्रतिकार है।”प्रदर्शन के ऐलान से घबराए स्थानीय प्रशासन ने हड़ताल को रोकने के लिए बल प्रयोग की धमकी दी है। लेकिन यह चेतावनी जनता के गुस्से को और भड़का रही है। स्थानीय वकीलों ने कमेटी को खुला समर्थन देते हुए कहा कि यह हड़ताल लोगों का लोकतांत्रिक हक है। एक वरिष्ठ वकील ने चेतावनी दी-“लोगों की जायज़ मांगों को कुचलने की कोशिश आग से खेलने जैसी होगी।”सूत्रों के मुताबिक, हड़ताल के चलते बाजार, दुकानें और परिवहन सेवाएं पूरी तरह से ठप हो सकते हैं। नागरिक समाज का मानना है कि यदि सरकार दमन की राह पर चली, तो हालात और बिगड़ेंगे।
विश्लेषकों का मानना है कि यह सिर्फ हड़ताल नहीं, बल्कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में गहराती नाराज़गी का बड़ा संकेत है। आने वाले दिनों में हालात और विस्फोटक हो सकते हैं। बीबीसी, अल-जज़ीरा और कुछ भारतीय मीडिया संस्थानों ने रिपोर्ट किया कि PoK में जनता का सब्र टूट चुका है। भ्रष्टाचार, संसाधनों की लूट और बुनियादी सुविधाओं की कमी ने प्रशासन और जनता के बीच टकराव को चरम पर पहुंचा दिया है।स्थानीय प्रशासन ने जहां बल प्रयोग की धमकी दी है, वहीं अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने चेतावनी दी है कि दमन से हालात और बिगड़ेंगे। एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच जैसे संगठनों की नजर इस आंदोलन पर टिकी है।
भारत में सुरक्षा विश्लेषक मानते हैं कि यह आंदोलन पाकिस्तान की कमजोर पकड़ को उजागर करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि PoK में जनता की नाराज़गी अगर और भड़की तो इसका असर नियंत्रण रेखा (LoC) की सुरक्षा स्थिति पर भी पड़ सकता है।PoK की स्थिति अब केवल पाकिस्तान का आंतरिक मामला नहीं रह गई है। यह आंदोलन धीरे-धीरे अंतरराष्ट्रीय एजेंडे का हिस्सा बन रहा है, और पाकिस्तान पर दबाव बढ़ सकता है कि वह दमनकारी रवैये को छोड़कर पारदर्शिता और जवाबदेही की ओर बढ़े।