तालिबान प्रतिबंधों ने लड़कियों का जीवन किया तबाह , अंडरग्राऊड स्कूल में पढ़ने को मजबूर छात्राएं

punjabkesari.in Saturday, Aug 13, 2022 - 02:10 PM (IST)

काबुल: अफगानिस्तान में तालिबान के नियंत्रण के एक साल बाद महिलाओं और लड़कियों की हालत खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है। यहां न सिर्फ शिक्षा के अधिकार से वंचित रखा जा रहा है बल्कि  भूखा भी रखा जा रहा है। अधिकतर किशोरियों को कक्षा में कदम रखे हुए एक साल हो गया है। ऐसे कोई संकेत भी नहीं हैं कि सत्ता पर काबिज तालिबान उन्हें वापस स्कूल जाने देगा।

 

सेव द चिल्ड्रन की एक नई रिपोर्ट के अनुसार तालिबान के अफगानिस्तान पर नियंत्रण के एक साल बाद आर्थिक संकट, गंभीर सूखे और नए प्रतिबंधों ने लड़कियों के जीवन को तबाह कर दिया है। लाइफ़ फ़ॉर चिल्ड्रन वन ईयर ऑफ़ तालिबान के अधिग्रहण के बाद से शीर्षक वाली रिपोर्ट से पता चलता है कि 97 प्रतिशत परिवार अपने बच्चों के लिए पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और लड़कियां लड़कों की तुलना में कम खा रही हैं।लगभग 80 प्रतिशत बच्चों ने कहा कि वे पिछले 30 दिनों में भूखे सो रहे हैं। लड़कों के अक्सर भूखे सोने की संभावना लड़कियों की तुलना में लगभग दोगुनी थी।

 

भोजन की कमी से बच्चों के स्वास्थ्य पर विनाशकारी परिणाम हो रहे हैं और उनके भविष्य को खतरा है। 10 में से नौ लड़कियों ने कहा कि उनका भोजन पिछले एक साल में कम हो गया है और उन्हें चिंता है क्योंकि उनका वजन कम हो रहा है और उनमें पढ़ाई, खेलने और काम करने की ऊर्जा नहीं है। महिलाओं की एक पीढ़ी शिक्षा से वंचित न रह जाए, इसके लिए कुछ युवतियां अपने स्तर पर प्रयास कर रही हैं। काबुल के एक घर में, सोदाबा नाजंद द्वारा स्थापित एक अनौपचारिक स्कूल में कक्षाओं के लिए दर्जनों युवतियां हाल के दिनों में एकत्रित हो रही हैं। नाजंद और उसकी बहन उन लड़कियों को अंग्रेजी, विज्ञान और गणित पढ़ाती हैं जिनकी पढ़ाई माध्यमिक विद्यालय में होनी चाहिए।

 

नाजंद ने कहा, ‘‘जब तालिबान महिलाओं से शिक्षा के अधिकार और काम के अधिकार छीनना चाहता है, तो मैं इन लड़कियों को पढ़ाकर उनके फैसले के खिलाफ खड़ा होना चाहती हूं।'' एक साल पहले देश में तालिबान के सत्ता में आने और लड़कियों को छठी कक्षा के बाद अपनी शिक्षा जारी रखने से प्रतिबंधित करने के बाद से यहां कई भूमिगत स्कूल संचालित किए जा रहे हैं। हालांकि, तालिबान ने महिलाओं को विश्वविद्यालयों में कक्षाओं में भाग लेने की अनुमति दे दी लेकिन यह अपवाद अप्रासंगिक हो गया है जब उच्च विद्यालयों से लड़कियां पढ़ाई ही नहीं कर पा रहीं हैं। नाजंद ने कहा, ‘‘इस अंतर की भरपाई करना संभव नहीं है और यह स्थिति बहुत निरशाजनक और चिंताजनक है।'' मई और जून में किए गए और बुधवार को जारी किए गए सर्वेक्षण में पाया गया कि 20 प्रतिशत लड़कों की तुलना में 45 प्रतिशत से अधिक लड़कियां स्कूल नहीं जा रही हैं। 

 

भी पाया गया कि 16 प्रतिशत लड़कों की तुलना में 26 प्रतिशत लड़कियों में अवसाद के लक्षण दिखे हैं। अफगानिस्तान की लगभग पूरी आबादी गरीबी के कुचक्र में फंस गई है और लाखों लोग अपने परिवारों का भरण पोषण करने में असमर्थ हैं, क्योंकि दुनिया ने तालिबान के सत्ता में आने के बाद वित्तपोषण बंद कर दिया। शिक्षक, अभिभावक और विशेषज्ञ सभी चेतावनी देते हैं कि अर्थव्यवस्था के पतन सहित देश के कई संकट लड़कियों के लिए विशेष रूप से हानिकारक साबित हो रहे हैं।

 


 


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Content Writer

Tanuja

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