विदेशी भूमि पर दावे ड्रेगन की पुरानी आदत, 23 देशों की जमीन हथियाने की कोशिश में चीन

punjabkesari.in Saturday, Sep 12, 2020 - 04:12 PM (IST)

बीजिंगः चीन अपनी विस्तारवादी सोच और विदेशी भूमि पर अपना दावों के लिए पूरी दुनिया में बदनाम हो चुका है।  इतिहास गवाह है कि किस तरह विदेशी जमीन पर कब्जे के लिए साजिशें रचता आ रहा है और उसकी यही नीतिया जारी हैं। रिपोर्टस के अनुसार चीन ने 1949 में कम्युनिस्ट शासन की स्थापना के बाद से जमीन हथियाने की नीति शुरू कर दी थी। राष्ट्रपति शी जिनपिंग के 2013 में सत्ता में आने के बाद से चीन भारत से लगी सीमा पर मोर्चेबंदी तेज की लेकिन उसे पहली बार इतनी कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।  

 

ला ट्रोबे यूनिवर्सिटी की एशिया सुरक्षा रिपोर्ट  के मुताबिक चीन की सीमा भले ही 14 देशों से लगती हो, लेकिन वह कम से 23 देशों की जमीन या समुद्री सीमाओं पर दावा जताता है। जो देश चीन के साथ सीमा साझा करते हैं वे हैं अफगानिस्तान, भूटान, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, लाओस, मंगोलिया, म्यांमार, नेपाल, उत्तर कोरिया, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और वियतनाम। 

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चीन अब तक दूसरे देशों की 41 लाख वर्ग किलोमीटर भूमि कब्जे में ले चुका है यह मौजूदा चीन का 43% हिस्सा है। यानी ड्रैगन ने अपनी विस्तारवादी नीति से पिछले 6-7 दशकों में अपने साइज को लगभग दोगुना कर लिया है और उसका लालच अभी खत्म नहीं हुआ है। चीन ने  अक्साई चिन को हड़पा और अब पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी पर अपना कब्जा जमाने की नापाक कोशिश कर रहा है वह उसके लिए नया नहीं है। केवल भारत ही नहीं वह करीब दो दर्जन देशों की जमीनों पर कब्जा करना चाहता है।


 

नेपाल
लद्दाख में भारतीय सरजमीं पर नजरे गड़ाए बैठे चीन ने अब नेपाल की जमीन पर भी कब्‍जा करना शुरू कर दिया है। नेपाल के कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक देश के कुल 10 जगहों पर चीन ने कब्‍जा कर लिया है। यही नहीं पेइचिंग ने 33 हेक्टेयर की नेपाली जमीन पर नदियों की धारा बदलकर प्राकृतिक सीमा बना दी है और कब्जा कर लिया है। 

 

भारत
चीन ने भारत के 38 हजार वर्ग किमी पर कब्जा कर रखा है। 14,380 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र अक्साई चिन का इसमें शामिल है। 5180 वर्ग किमी इलाका पीओके का पाक ने चीन को दिया।

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जापान
चीन और जापान सेनकाकू द्वीप और रयुकू द्वीप पर लड़ रहे हैं। इसके अलावा, दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में एक अतिव्यापी वायु रक्षा पहचान क्षेत्र भी बहस का हिस्सा है।

 

कजाखिस्तान
चीन और कजाखिस्तान के बीच 1,533 किलोमीटर की सीमा है और उत्तरार्द्ध चीन व रूस के बीच यह बफर जोन के रूप में कार्य करता है। कजाकिस्तान के क्षेत्र में चीन ने एकतरफा दावा किया है और अपने दावों के 22 प्रतिशत हिस्से में बस गया है।


 ईस्ट तुर्किस्तान
16.55 लाख वर्ग किमी का भूभाग। 1934 में पहले हमले के बाद 1949 तक चीन ने ईस्ट तुर्किस्तान पर कब्जा कर लिया। 45% आबादी वाले उइघुर मुस्लिमों के इस इलाके पर चीन जुल्म ढा रहा है। 

 

रूस से भी सीमा विवाद
रूस से 52 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर चीन का विवाद। 1969 में चीन की हमले की कोशिश, रूस से मुंह की खाई।

 

 दक्षिण चीन सागर
इस क्षेत्र में 7 देशों से हड़पने की कोशिशताइवान, ब्रूनेई, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, वियतनाम, सिंगापुर से तनाव है। 35.5 लाख वर्ग किलोमीटर में फैले दक्षिणी चीन सागर 90% क्षेत्र पर दावा करता है। चीन ने पारसले, स्पार्टले द्वीपों पर कब्जा जमाकर सैन्य अड्डे बनाए। यहां से 33% यानी 3.37 लाख करोड़ का सालाना वैश्विक कारोबार  77 अरब डॉलर का तेल, 266 लाख करोड़ क्यूबिक फीट गैस भंडार है।

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भूटान, ब्रुनेई
कुछ महीने पहले  चीन ने भूटान के साकटेंग वन्यजीव अभयारण्य  के  एक "विवादित" क्षेत्र पर दावा किया था। "विवादित" क्षेत्र भारत के अरुणाचल प्रदेश के मुख्य शहर तवांग के करीब है। चीन स्प्रैटली द्वीप समूह के दक्षिणी भाग पर भी दावा करता है।  ब्रुनेई का कहना है कि दक्षिण चीन सागर में इसका हिस्सा है, जिससे लगातार संघर्ष चीन उलझा हुआ है।

 तिब्बत
12.3 लाख वर्ग किमी वाले इस सुंदर प्राकृतिक देश पर चीन ने 07अक्टूबर 1950 को कब्जा कर लिया। 80% बौद्ध आबादी वाले तिब्बत पर हमला कर उसने अपनी सीमा का विस्तार भारत तक कर लिया। इसके अलावा उसे यहां अपार खनिज, सिंधु, ब्रह्मपुत्र,मीकांग जैसी नदियों का स्रोत मिल गया। 

 

 इनर मंगोलिया
11.83 लाख वर्ग किमी  भूभाग वाले इन मंगोलिया पर चीन ने अक्टूबर 1945 में हमला कर दिया और जमा लिया। 13 फीसदी आबादी वाले मंगोलों की आजादी की मांग को बुरी तरह कुचला डाला। यहां दुनिया का 25 फीसदी कोयला भंडार है। यहां की आबादी 3 करोड़ है।  

 

अफगानिस्तान
दोनों देश अफगानिस्तान के बदख्शान प्रांत के वखन जिले में स्थित वखन कॉरिडोर के नाम से जानी जाने वाली सीमा साझा करते हैं। 1963 में एक द्विपक्षीय संधि के बावजूद चीन ने अवैध रूप से प्रांत के कुछ हिस्सों का अतिक्रमण किया।

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 ताइवान
35 हजार वर्ग किमी वाले समुद्रों से चारों ओर से घिरे ताइवान पर लंबे समय से चीन की नजर है। 1949 में कम्युनिस्टों की जीत के बाद राष्ट्रवादियों ने ताइवान में शरण ली। चीन अपना हिस्सा मानता है, लेकिन ताइवान डटकर उसके सामने खड़ा है। ताइवान को अमेरिकी समर्थन प्राप्त है और इसलिए चीन चाहकर भी उस पर हमला नहीं कर पा रहा है। 

 

 हांगकांग
चीन ने 1997 में हांगकांग पर जबरन कब्जा कर लिया। इन दिनों वह  राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू कर हांगकांग पर शिकंजा कसने की फिराक में है। 50.5 फीसदी चीन का विदेशी निवेश और व्यापार हांगकांग के जरिये ही आता है।

 

मकाउ
450 वर्ष के शासन के बाद 1999 में पुर्तगालियों ने चीन को मकाउ सौंप दिया। 

 

पूर्वी चीन सागर
जापान से जद्दोजहद। 81 हजार वर्ग किमी के आठ द्वीपों पर चीन की नजर है। 2013 में चीन के वायु सीमा जोन बनाने से विवाद बढ़ गया था।


 


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Tanuja

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