नेपाल में हिंसा या साजिश? जांच आयोग के सामने पेश हुए पूर्व गृह मंत्री, बोले-मैंने फायरिंग का आदेश नहीं दिया
punjabkesari.in Monday, Dec 29, 2025 - 07:17 PM (IST)
Kathmandu: नेपाल में सितंबर की शुरुआत में हुए Gen-Z आंदोलन के दौरान हुई मौतों और व्यापक हिंसा की जांच कर रहे आयोग के सामने सोमवार को पूर्व गृह मंत्री रमेश लेखक पेश हुए। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का कोई लिखित या मौखिक आदेश नहीं दिया था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 8 और 9 सितंबर को हुए इस आंदोलन में 77 लोगों की मौत हुई, जबकि 84 अरब नेपाली रुपये से अधिक की सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचा। लेखक उस समय केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सरकार में गृह मंत्री थे और उन पर अत्यधिक बल प्रयोग की अनुमति देने के आरोप लगे हैं।
लेखक ने जांच आयोग को दिए लिखित बयान में कहा, “किसी भी कानून में गृह मंत्री को बल प्रयोग के आदेश देने का अधिकार नहीं दिया गया है।” उन्होंने दावा किया कि आंदोलन से एक दिन पहले उन्होंने सुरक्षा एजेंसियों को शून्य हताहत सुनिश्चित करने और किसी भी जानलेवा स्थिति से बचने के निर्देश दिए थे। उन्होंने यह भी कहा कि 7 सितंबर को हुई केंद्रीय सुरक्षा समिति की बैठक में अत्यधिक बल प्रयोग का कोई निर्णय नहीं लिया गया था। लेखक ने आंदोलन के हिंसक होने के पीछे कुछ स्वार्थी समूहों की घुसपैठ को जिम्मेदार ठहराया और इसे युवाओं के शांतिपूर्ण आंदोलन को हाईजैक करने की साजिश बताया।
Gen-Z आंदोलन के दौरान सिंह दरबार, सुप्रीम कोर्ट, सरकारी कार्यालयों, पुलिस चौकियों, राजनीतिक नेताओं के घरों और कारोबारी प्रतिष्ठानों को आग के हवाले किया गया। पहले दिन पुलिस फायरिंग में प्रदर्शनकारियों की मौत के बाद दूसरे दिन हिंसा और तेज हो गई। लेखक ने इसे “राष्ट्र और लोकतंत्र पर सुनियोजित हमला” बताते हुए दोषियों को सख्त सजा देने की मांग की। वहीं, आयोग पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का भी बयान दर्ज करने की तैयारी में है, हालांकि ओली ने जांच आयोग को पक्षपाती बताते हुए गवाही देने से इनकार कर दिया है।
