आर्कटिक सागर की चौंकाने वाली तस्वीरें आई सामने, नासा के हाथ-पांव फूले
punjabkesari.in Wednesday, Apr 25, 2018 - 10:22 AM (IST)
वॉशिंगटनः आर्कटिक सागर की बर्फ में कई जगह बड़े छिद्र की रहस्यमयी व चौंकांने वाली तस्वीरें आई हैं जिसे लेकर नासा के हाथ-पांव फूल गए हैं। हैरानीजनक व चिंताजनक बात यह है कि इस बारे में नासा किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सका है। आमतौर पर आर्कटिक सागर में इन दिनों तापमान काफी नीचे रहता है, लेकिन वहां की बर्फ में मिले अजीब पैटर्न के बारे में नासा के हाथ फिलहाल खाली हैं। यह बात इसलिए भी अजीब लगती है क्योंकि नासा भविष्य में चांद और मंगल ग्रह पर ले जाने और वहां इंसानी बस्ती बसाने का दावा करती रहती है।
नासा पिछले एक दशक से पृथ्वी के अहम हिस्से आर्टिक और अंटार्कटिक क्षेत्र में नजर बनाए हुए है। नासा के मुताबिक वो इस बात का अध्ययन कर रहा है कि विश्व के क्लाइमेट चेंज का इस पर क्या प्रभाव पड़ रहा है। क्लाइमेट चेंज का इन क्षेत्र पर असर जानने के लिए नासा काफी समय से यहां शोध कर रहा है। इस मिशन को जेम्स बांड के नावेल ऑपरेशन आइसब्रिज नाम दिया गया है।
नासा ने यहां पर छह महीने तक शोध किया, जिसके तहत दोनों तरफ बर्फ से आच्छादित गोलार्धों का अध्ययन किया गया। इस शोध में कई तरह के संवेदनशील और नए तरह के वैज्ञानिक यंत्रों का प्रयोग किया गया। इलमें लेजर अल्टीमीटर, प्लेन आधारित लिडार और नासा के सैटेलाइट को शामिल किया गया। इन सबके बावजूद नासा के वैज्ञानिक की ओर से हिम छिद्रों को लेकर कोई जानकारी न होने की बात सामने आई है। आइसब्रिज मिशन में शामिल जॉन सैन्टैंग के मुताबिक हमने बर्फ में इन गोलाकार छिद्रों को देखा। इन छिद्रों की तस्वीर लेने वाले वैज्ञानिक के मुताबिक उन्हें याद नहीं है कि उन्होंने कभी इस तरह के हिम छिद्र पहले कभी देखे हों।
नासा के गॉडर्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के ग्लैसियोलॉजिसट क्रिस शुमन ने नासा को बताया कि ये छिद्र प्राकृतिक भी हो सकते है, जैसे कि बर्फ में मोजूद गर्म पार्टिकल की वजह से वहां के आसपास की बर्फ पिघल रही हो, जिसकी वजह से इस तरह के छिद्र बन जाते हों। इसके अलावा ये मुलायम बर्फ में हवा से बने होल हो सकते हैं। यहां की बर्फ आसानी से टूट रही हो। ऐसा भी हो सकता है। नेशनल स्नो एडं आइस डाटा सेंटर के वैज्ञानिक वाल्ट मियर ने नासा से कहा कि ये वृत्ताकार छिद्र जैसी आकृति पानी की तरंगों की वजह से भी हो सकती है। जो कि हिम खंडों से टकराने पर बनती है।